- दारुल उलूम देवबंद के वरिष्ठ उस्ताद थे मौलाना अमीनी, इस्लामिक जगत में शोक
जनवाणी संवाददाता |
देवबंद: इस्लामी तालीम के प्रमुख केंद्र दारुल उलूम देवबंद के वरिष्ठ उस्ताद एवं राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित अरबी विद्वान मौलाना नूर आलम खलील अमीनी का लम्बी बीमारी के बाद रविवार की देर रात निधन हो गया। वह 69 वर्ष के थे। मौलाना के इंतिकाल से इस्लामिक जगत में शोक की लहर है।
अरबी साहित्य में उत्कृष्ठ सेवाओं के लिए राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित मौलाना नूर आलम खलील अमीनी काफी समय से बीमार थे। कुछ दिन पूर्व तबीयत बिगड़ जाने पर उन्हें मेरठ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तबीयत में सुधार होने के बाद वह देवबंद लौट आए थे। लेकिन रविवार की देर रात अचानक मौलाना की तबीयत बिगड़ी और वह इस दारे फानी से कूच कर गए।
सोमवार दोपहर एक बजे दारुल उलूम की अहाता-ए-मोलसरी में उनके जनाजे की नमाज जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अदा कराई। जिसके बाद उन्हें कासमी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। मौलाना के निधन से इस्लामिक जगत में शोक की लहर है।
दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी, कार्यवाहक मोहतमिम कारी उस्मान मंसूरपुरी, नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी, मौलाना अब्दुल खालिक संभली, मौलाना सलमान बिजनौरी, दारुल उलूम वक्फ के मोहतमिम मौलाना सुफियान कासमी, मौलाना अहमद खिजर शाह मसूदी, मौलाना नसीम अख्तर शाह कैसर, मौलाना नदीमुल वाजदी आदि ने मौलाना के इंतिकाल को इस्लामिक जगत के लिए बड़ा नुकसान करार दिया है।
18 दिसंबर 1952 को बिहार के मुजफ्फरपुर में जन्में थे मौलाना अमीनी
मौलाना नूर आलम खलील अमीनी का जन्म 18 दिसंबर 1952 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में हुआ था। उनका शुमार हिंदुस्तान के बड़ा अरबी विद्वानों में होता है। वह लंबे समय से दारुल उलूम देवबंद में अरबी साहित्य के शिक्षक थे। मौलाना के दुनिया भर में हजारों शागिर्द हैं।
मौलाना अमीनी मशहूर अरेबिक मैगजीन अल-दाई के संपादक भी थे। मौलाना अमीनी द्वारा लिखी गई किताब मुफ्ता अल-अरबिया विभिन्न मदरसों के पाठ्यक्रम में शामिल है। इस्लामिक जगत के उच्च कोटि के उलमा की अनेकों पुस्तकों का उन्होंने अरबी में अनुवाद भी किया है।