- बोले-महापौर हरिकांत अहलूवालिया पर्यावरण को लेकर एनजीटी कोर्ट भी चल रही निगम से नाराज
- 1100 मैट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन होता है उत्सर्जित होने से शहर में वैज्ञानिक पद्धति से निस्तारण को वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट की स्थापना जरूरी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: गांवड़ी में लगने वाले वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट को लेकर जहां एक तरफ नगरायुक्त एवं महापौर एकमत होने की बात कहते हुए जल्द से प्लांट की स्थापना का कार्य शुरू होने का भरोसा जनता को दे रहे हैं। वहीं कहीं न कहीं दोनो के बीच अंदर ही अंदर प्लांट की स्थापना को लेकर एकमतता दिखाई नहीं दे रही है। जिसके चलते यह परियोजना अभी तक परवान नहीं चढ़ सके। महापौर ने अब फिर से शासन को पत्र लिखा। जिसके बाद शासन ने नगरायुक्त से इस संबंध में एक अगस्त को पत्र जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
गांवड़ी में वैज्ञानिक पद्धति द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अन्तर्गत वेस्ट-टू-एनर्जी परियोजना स्थापना को लेकर महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने शासन को पत्र लिखा। जिसमें शासन से जल्द से जल्द वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट परियोजना की स्थापना के लिए कार्य शुरू कराने की मांग की है। जो पत्र उन्होंने भेजा है। उसमें अपनी पीड़ा भी व्यक्त की है कि शहर के कूडेÞ के निस्तारण को लेकर जहां एक तरफ एनजीटी कोर्ट नगर निगम से नाराज चल रही है।
वहीं, दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सरकार की छवि भी धूमिल हो सकती है। उधर, सूत्रों की माने तो इस वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट को जहां एक तरफ महापौर हरिकांत अहलूवालिया ड्रीम प्रोजेक्ट मानते हैं। क्योंकि अपनी पूर्व की योजना में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। जिस पर अभी तक निर्माण शुरू नहीं हो सका। वहीं नगरायुक्त अब तक विपक्ष का महापौर आदि शासन को बता किसी न किसी तरह की आपत्ति लगाकर इस प्रोजेक्ट को अटकाए हुए थे। अब इस मामले में कहीं न कहीं महापौर एवं सरकार की किरकिरी जरूर हो रही है।
जिसमें महापौर ने भेजे पत्र में बताया कि परियोजना स्थापित न होने से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। अनेकों गंभीर बीमारियां फैलने की प्रबल सम्भावना है। जलवायु भी दूषित हो रहा है। भारी वर्षा होने से शहर में बने कूड़े के पहाड़ सड़ने लगे हैं। जिससे हवा अत्यंत ही खराब श्रेणी में आ गयी है। जिस कारण शहरवासियों को संभवत: गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। महानगर की जनता में अत्यंत रोष व्याप्त है। उक्त प्रकरण एनजीटी, नई दिल्ली से भी विचाराधीन हैं। नगर निगम को कूड़े से बने पहाड़ों के निस्तारण करने के लिए कई बार निर्देश जारी किये जा चुके हैं।
उपरोक्त के दृष्टिगत यह भी अवगत कराना है कि संबंधित अधिकारियों की लापरवाही निष्क्रियता एवं उदासिनता के चलते प्लांट स्थापित होने में विलम्ब हो रहा है। जिससे उत्तर प्रदेश सरकार की छवि भी प्रभावित हो सकती है। जैसा कि आपको संज्ञान होगा कि नगर निगम में लगभग 1100 मैट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन उत्सर्जित होने से मेरठ में वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा कूड़े का निस्तारण करने के लिए परियोजना का स्थापित होना अत्यंत ही आवश्यक है।
लिगेसी वेस्ट प्लांट की निविदा नियम विरुद्ध प्रकाशित का आरोप
मेरठ: मंगतपुरम में कूडेÞ के पहाड़ के निस्तारण के लिए निगम के द्वारा लिगेसी वेस्ट निस्तारण प्लांट के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए। जिस तरह से टेंडर की निविदा प्रकाशन की गई ओर वह टेंडर डाले जाने के 24 घंटे के बाद ही खोल दिया गया। जिसको लेकर टेंडर प्रक्रिया में एक बडे भ्रष्टाचार की बू की बात कहते हुए आपत्ति भी लगा दी गई है। जिसमें टेंडर को निरस्त करने की मांग की है। इस मामले में फिलहाल निगम के अधिकारियों के द्वारा आपत्ति लगाई जाने के बाद इस प्रक्रिया को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
नगर निगम द्वारा मंगतपुरम में लिगेसी वेस्ट निस्तारण प्लांट के लिए जो टेंडर प्रक्रिया शुरू की उसमें बड़ी लापरवाही बरती जाने का आरोप लगाते हुए टेंडर को निरस्त कराने की मांग की गई है। गंगानगर आई ब्लॉक निवासी सामाजिक पहरेदार सुमित कुमार ने इस संबंध में राज्य मिशन निदेशक स्वच्छ भारत मिशन नगरीय लखनऊ एवं मंडलायुक्त मेरठ के साथ नगरायुक्त को शिकायती पत्र भेजा है। जिसमें टेंडर छोडेÞ जाने के दौरान नियमानुसार क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए उसके बारे में विस्तार से बताया।
जिसमें बताया गया कि मंगतपुरम डंपिंग साइट पर लिगेसी वेस्ट का निस्तारण करने के लिए निविदा प्रकाशित की गई। आरोप किाया कि वह निविदा पूरी तरह से गलत तरीके से प्रकाशित कराई गई। जिसमें टेंडर डाले जाने के दो सप्ताह करीब 15 दिन बाद ही खोले जाने का नियम है, लेकिन यहां पर निविदा प्रकाशन से लेकर टेंडर खोले जाने तक में लापरवाही बरती गई है। जिसमें कहीं न कहीं एक बडे भ्रष्टाचार की बू सामने आ रही है। जिसमें निगम ने एक ही कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए एक अगस्त को डाले गए टेंडर को दो अगस्त को ही 24 घंटे के भीतर ही खोल दिया गया।
निगम के अधिकारियों के बड़े भ्रष्टाचार के खेल के इस मामले की भनक सूत्रों से जनवाणी को पहले ही लग चुकी थी। जिसमें जनवाणी ने 2 अगस्त के अंक में इस समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित किया। जिसमें लिगेसी वेस्ट निस्तारण प्लांट: टेंडर में भ्रष्टाचार की बू का समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। अब टेंडर खोले जाने के बाद जो अंदेशा जनवाणी ने जताया था उसकी इस टेंडर में आपत्ति लगने के बाद मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में चले जाने के बाद कहीं न कही आरोप की पुष्टि सही साबित होती दिखाई दे रही है।