Saturday, July 6, 2024
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पाकिस्तान में हिंदू होने का मतलब

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Samvad 4


Pankaj Chaturvadi jpgसाल के शुरू होते ही दो  जनवरी को सिंध प्रान्त के खैरपुर  कस्बे के ‘पीर जो गोठ’ बाजार में दिन दहाड़े व्यापारी सुनील को चाकुओं से गोद कर मार डाला गया, उसकी लाश दो घंटे सड़क पर पड़ी रही। तीन जनवरी को बदीन जिले के गोलिरच कसबे से 15 साल की रजनी का अपरहण 41 साल के मनुल्लाह ने किया, लड़की के परिवार वाले थाने जाते तब तक उसने लड़की का धर्म बदलवा कर नाम फातिमा शेख किया और निकाह कर लिया। 15 जनवरी को सिंध के मोड़ कस्बे में दीवान कमलेश कुमार का अपरहण हुआ और दो दिन बाद उसकी लाश मिली। 17 जनवरी को कराची के सबसे पॉश इलाके क्लिफ्टन  में बैंक से निकलवा कर आ रहे व्यापारी वीरभान को दिन दहाड़े चाकुओं से गोद कर पैसे लूट लिए गए। 19 जनवरी कि सिंध में ही आठ साल के कान्हा के साथ दुष्कर्म किया गया और फिर पत्थरों से कुचल कर निर्ममता से मार डाला गया।

पाकिस्तान में इस महीने में यह पांचवे हिंदू की हत्या है। अभी 23 जनवरी को ही जिला थारपारकर की मिट्ठी तहसील में खत्री मोहल्ला के हिंगलाज भवानी के मंदिर  को ध्वस्त कर दिया गया। इस कसबे में हिंदू आबादी 76.3 प्रतिशत है। यह एक गंभीर मसला है कि बीते 22 महीनों में हिंदू मंदिरों पर 11 वां बड़ा हमला है।

भले ही पाकिस्तान में गुरुनानक देव से जुड़े स्थानों के लिए करतारपुर साहेब गलियारे के माध्यम से अल्पसंख्यक सिखों को खुश करने के लिए पाकिस्तान प्रयास करता दिखता हो, लेकिन बीता साल पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए तबाही  ले कर आया है। यह तय है कि यदि पाकिस्तान में यही हालात रहे तो आगामी एक दशक में वहां हिंदुओं का नामोनिशान मिट जाएगा।

2017 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान की आबादी कोई 20.77 करोड़ है जिसमें से 22 लाख के करीब  हिंदू हैं। पाकिस्तान में 1951 में 1.60 फीसदी, 1961 में 1.45, 1972 में 1.11 , 1981 में 1.85 और 2017 में 1.73 प्रतिशत हिंदू आबादी का आंकडा है। हालांकि पाकिस्तान में हिंदू नेताओं का कहना है कि देश में कोई एक करोड़ हिन्दू हैं और चूंकि अधिकांश  के पास  राष्ट्रीय पहचान पत्र (एनआईसी ) है नहीं सो उनकी गणना  होती नहीं। देश में सबसे ज्यादा हिंदू  सिंध में, कुल आबादी का 8.73 फीसदी हैं।

पंजाब राज्य में 0.19, खैबर पख्तुन्बा में 0.02, बलोचिस्तान में 0.40 और इस्लामाबाद में 0.04 प्रतिशत हिंदू आबादी का सरकारी आंकडा है। राजस्थान से सटे थारपारकर जिले में सात लाख 14 हजार, 698  हिंदू रहते हैं तो मीरपुरखास में पांच लाख के करीब, सक्खर में चार लाख 46 हजार हैं, तो बदिन, हैदराबाद , टंडो मुहम्मद खान और रहीम यार खान जिलों में एक से डेढ़ लाख हिंदू रहते हैं। यहां उमरकोट जिले की आबादी का 52.15 फीसदी हिंदू है और यहां के राजपूत शासक बड़े ताकतवर हैं।

विडम्बना यह है कि हिंदू बाहुल्य इलाकों से भी कभी हिंदू सांसद या विधायक चुने नहीं जाते, क्योंकि इस आबादी के नाम ही वोटर लिस्ट में होते नहीं या उनके वोट और कोई डालता है।

पाकिस्तान में भारत से जाने वालों को स्थानीय खुफिया दफ्तर में अपनी आमद के लिए जाना होता है, लेकिन यदि यात्री हिंदू है तो उसका रिकार्ड अलग से होता है, उसकी डेस्क अलग से है और उससे पूछताछ भी कुछ ज्यादा होती है। पाकिस्तान की जेलों में बंद सैंकड़ों गैर मुस्लिम नाविकों या कथित जासूसी में पकड़े गए लोगों को इस तरह प्रताड़ित किया जाता है कि वे जेल में इस्लाम काबुल कर लेते हैं।

हिंदू कैदी को कैद से बाहर न निकालना, भोजन देने में  भेदभाव, जैसे कई ऐसे मसले होते हैं कि कैदी मजबूर हो कर इस्लाम कबूल करता है। शायद इसका कारण है कि वहां लोगों के दिल में बैठा दिया गया है हिंदू, वह भी भारत से, देश के लिए संदिग्ध ही है।

पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाते हैं, लेकिन कट्टरपंथी जमात के विरोध के चलते ठंडे बसते में चले जाते हैं। बीते साल वहां 18 साल से कम के लोगों के धर्म परिवर्तन पर पाबंदी का कानून आया लेकिन मुल्ला-मौलवियों के विरोध के चलते उसे वापिस ले लिया गया। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की बीते साल की रिपोर्ट बेशर्मी से स्वीकार करती है कि देश में हर साल अल्पसंख्यक समुदाय की कोई एक हजार लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाया जाता है और ये 12 से 25 साल उम्र की होती हैं। 2004 से 2018 के बीच अकेले सिंध प्रांत में 7430 हिंदू लड़कियों के अपरहण के मामले दर्ज किए गए, कहने की जरूरत नहीं कि वहां बड़ी संख्या में मामले थाना पुलिस तक जाते ही नहीं हैं, चूंकि सिंध के बड़े जागीरदारों के यहां अधिकांश  हिंदू  मजदुर हैं और वह भी तीन-तीन पीढ़ियों से लगभग बंधुआ मजदूर की तरह, सो उनकी कोई आवाज नहीं होती।

सबसे बड़ी समस्या पाकिस्तान के शिक्षा तंत्र में है, वहां की स्कूली किताबों में  हिंदुओं को खलनायक बताया जाता है और आजादी की लड़ाई में मुस्लिम लीग और कांग्रेस की भूमिका को हिंदू-मुस्लिम टकराव, वहां की किताबों में देश के हिंदुओं की वफादारी को भारत के साथ जोड़ा जाता है, वहां किसी भी किताब में किसी हिंदू चरित्र की तारीफ की ही नहीं जाती। पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 20-22 में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लेख था लेकिन जुलाई  1977 में जिया उल हक ने  देश में मार्शल ला घोषित किया और संविधान में बदलाव कर गैर मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता पर कई पाबंदियां लगा दीं, पाकिस्तान में राष्ट्रपति केवल मुस्लिम ही बन सकता है|

और सभी उच्च पदों पर मुस्लिम आयतों के साथ शपथ लेना अनिवार्य है। इसके कारण वहां हिंदुओं को सदैव दोयम माना जाता है।  पाकिस्तान में हिंदुओं पर सबसे बड़ा खतरा वहां का ईश निंदा कानून है जिसकी आड़ में भीड़ हिंसा में किसी को भी मार देने पर कोई खास कार्यवाही नहीं होती। अभी ढेढ़ महीने पहले ही एक श्रीलंका के निवासी कपड़ा मिल के मैनेजर को इसी तरह के आरोप लगा कर निर्ममता मार दिया गया था।

हिंदू या सनातन धर्म का कम से कम तीन हजार साल पुराना अतीत सरहद पार है- मोहनजोदाडो या हड़प्पा के रूप में और हिंगलाज और कटासराज मंदिर सहित कई प्राचीन इमारतों के रूप में, दुर्भाग्य है कि पाकिस्तान बनते समय मुहम्मद अली जिन्ना  ने वहां धार्मिक आजादी की बात की थी, लेकिन अब पाकिस्तान ‘जिन्ना के पाकिस्तान से जेहाद के पाकिस्तान’ में तब्दील हो गया है|

और इसका सबसे बड़ा खामियाजा हिंदू आबादी को उठा पड़ रहा है। जरूरत है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय  पाकिस्तान में हिंदू धर्म और उससे जुड़े चिन्हों को सहेजने, वहां की हिंदू आबादी को शैक्षिक और आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाए।


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