Wednesday, July 30, 2025
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अनर्थक जड़ ज्ञान

 

Amritvani 2

 


उस ज्ञान का कोई अर्थ नहीं, जिसके साथ बुद्धि, विवेक, सजगता और सावधानी न हो। हंस: श्वेतो बक: श्वेतो को भेदो बकहंसयो:।

Weekly Horoscope: क्या कहते है आपके सितारे साप्ताहिक राशिफल 3 अप्रैल से 9 अप्रैल 2022 तक || JANWANI

नीरक्षीरविवेके तु हंस: हंसो बको बक:॥ रामकृष्ण परमहंस ने अपने शिष्यों से वार्तालाप में एक बार बताया कि ईश्वर द्वारा बनायी गई इस सृष्टि के कण-कण में परमेश्वर का वास है। अत: प्रत्येक जीव के लिए हमें अपने मन में आदर एवं प्रेम का भाव रखना चाहिए। एक शिष्य ने इस बात को मन में बैठा लिया। कुछ दिन बाद वह कहीं जा रहा था। उसने देखा कि सामने से एक हाथी आ रहा है। हाथी पर बैठा महावत चिल्ला रहा था, सामने से हट जाओ, हाथी पागल है। वह मेरे काबू में भी नहीं है। शिष्य ने यह बात सुनी; पर उसने सोचा कि गुरुजी ने कहा था कि सृष्टि के कण-कण में परमेश्वर का वास है।

अत: इस हाथी में भी परमेश्वर होगा। फिर वह मुझे हानि कैसे पहुंचा सकता है? यह सोचकर उसने महावत की चेतावनी पर कोई ध्यान नहीं दिया। जब वह हाथी के निकट आया, तो परमेश्वर का रूप मानकर उसने हाथी को साष्टांग प्रणाम किया। इससे हाथी भड़क गया। उसने शिष्य को सूंड में लपेटा और दूर फेंक दिया। शिष्य को बहुत चोट आई। वह कराहता हुआ रामकृष्ण परमहंस के पास आया और बोला, आपने जो बताया था, वह सच नहीं है। यदि मुझमें भी वही ईश्वर है, जो हाथी में है, तो उसने मुझे फेंक क्यों दिया?

परमहंस जी ने हंस कर पूछा, क्या हाथी अकेला था? शिष्य ने कहा, नहीं, उस पर महावत बैठा चिल्ला रहा था कि हाथी पागल है। उसके पास मत आओ। इस पर परमहंस जी ने कहा, पगले, हाथी परमेश्वर का रूप था, तो उस पर बैठा महावत भी तो उसी का रूप था। तुमने महावत रूपी परमेश्वर की बात नहीं मानी, इसलिए तुम्हें हानि उठानी पड़ी। बेशक! विचार-विलास भरी वक्रता न हो, स्थितप्रज्ञ सम जड़ता भी किसी काम की नहीं है।


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