सर्दियों में पशुओं को ठंड से बचाएं क्योंकि कम तापमान उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है और दूध उत्पादन को कम कर सकता है। इस बदलते मौसम में कई बीमारियां पशुओं में फैल सकती हैं। ऐसे में पशुओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देना और उन्हें सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है। आप अपने पशुओं का ध्यान रख सकते हैं और अपने डेयरी व्यवसाय को अधिक लाभदायक बना सकते हैं।
सर्दियों में पशुओं का ध्यान कैसे रखें?
’ ठंड के मौसम में कम तापमान पशुओं के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसलिए उन्हें ठंड से बचाना बेहद जरूरी है।
’ सर्दियों में पशुओं को धूप में बैठने का अवसर दें। पशुशाला की खिड़कियां दिन के समय खुली रखें ताकि ताजी हवा अंदर आए और नमी बाहर निकल सके।
’ गर्मी प्रदान करने के लिए जलती हुई आग के धुएं से पशुओं को दूर रखें, क्योंकि इससे निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।
’ ठंड से बचने के लिए पशुओं को उनके दैनिक आहार की मात्रा बढ़ाकर पर्याप्त पोषण प्रदान करें।
’ ठंड से बचाने के लिए कमजोर और बीमार पशुओं को टाट या बोरी के कपड़े से ढकें।
’ दूध देने वाले पशुओं के शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए उनके आहार में सरसों, तिल या अन्य तेल का मिश्रण शामिल करें।
’ हरा, सड़ा या गंदा आलू पशुओं को कभी न खिलाएं क्योंकि यह विषाक्तता का कारण बन सकता है।
’ पशुओं के स्वास्थ्य के लिए उन्हें प्रतिदिन 50 ग्राम आयोडीन युक्त नमक या 50-100 ग्राम खनिज पदार्थ हरे चारे या दाने के साथ खिलाएं।
’ पेट फूलने की समस्या से बचने के लिए हरे चारे को गेहूं के भूसे जैसे सूखे चारे के साथ मिलाकर खिलाएं।
’ पशुओं को केवल चावल का भूसा खिलाने से बचें, क्योंकि इससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
’ अगर पशुओं में अपच (फूलना) हो तो उन्हें सरसों, तिल, मूंगफली या सूरजमुखी का तेल दिया जा सकता है या पशु का पेट फूल जाए तो उन्हें 250-300 मिलीलीटर सरसों का तेल दिया जा सकता है।
’ यह समय पशुओं को कृमि मुक्त करने के लिए उपयुक्त है।
’ यदि पशुओं का टीकाकरण नहीं हुआ है तो एफएमडी, पीपीआर, हेमोरेजिक सेप्टिसीमिया, एंटरोटॉक्सिमिया और ब्लैक क्वार्टर के टीके जरूर लगवाएं।
’ नवजात बछड़ों को ठंड से बचाने के लिए उन्हें हींग दें। नवजात बछड़ों को निमोनिया से बचाएं। जन्म के 1-2 घंटे के भीतर मां का पहला दूध बछड़े को जरूर पिलाएं।