- फिलहाल टल सकती है कंकरखेड़ा में जमीन खाली कराने की कार्रवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण तमाम कॉलोनियों में बुलडोजर चला रहा हैं, लेकिन अपनी जमीन को कब्जा मुक्त नहीं करा पा रहा हैं। श्रद्धापुरी स्थित जमीन पर हॉस्पिटल, स्कूल तक बने हुए खड़े हैं, मगर ये जमीन कब्जा मुक्त क्यों नहीं करा पाया? पांच दिन पहले ही प्राधिकरण को ये कैसे पता चला कि यहां पर उनकी सरकारी जमीन हैं? इसका मतलब है कि प्राधिकरण की लापरवाही से करोड़ों की जमीन पर लोगों ने कब्जे कर लिये हैं, लेकिन ये अवैध कब्जों को प्राधिकरण नहीं छुड़ा पा रहा हैं। इसको लेकर मेडा क्या प्लान बना रहा हैं? प्राधिकरण की नाकामी ही इसमें सामने आ रही हैं। क्योंकि सरकारी जमीन पर कब्जे कैसे होने दिये गए? प्राधिकरण के तमाम अफसर आंखें मूंदे इसे देखते रहे।
मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) की जमीन को कब्जा मुक्त करने के लिए बड़ा प्लान प्राधिकरण तैयार कर रहा हैं। कब्जा हटाने के लिए इस बार प्राधिकरण अफसर संयुक्त व्यापार संघ को भी संतुष्ट करने के बाद तोड़फोड़ की कार्रवाई करेगा। प्राधिकरण ने डिफेंस एन्क्लेव के ठीक सामने गहरा गड्ढा हैं, जो लंबे समय से खाली पड़ा हैं। ये मेरठ विकास प्राधिकरण की सम्पत्ति हैं, जिसको लेकर प्राधिकरण अभी तक उदासीन था। पांच दिन पहले प्राधिकरण ने अवैध निर्माण बताते हुए व्यापारी के प्रतिष्ठान पर तोड़फोड़ की कार्रवाई कर दी थी। बाद में बताया कि ये प्रॉपर्टी मेरठ विकास प्राधिकरण की थी, जिस पर बुलडोजर चलाया गया। उसके विरोध में संयुक्त व्यापार संघ ने बवाल कर दिया था। मेडा आॅफिस पहुंचकर वीसी का घेराव किया। ये घेराव चार घंटे चला था। व्यापारियों ने इस जमीन को प्रमोद पुंडीर की होना बताया था। इसी को लेकर विवाद खड़ा हो गया हैं।
जांच के नाम पर वीसी ने चार दिन मांगे थे, लेकिन जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई हैं। प्रारंभिक जांच में वीसी ने अवश्य ही ये बताया है कि जितनी भी दुकान व प्रतिष्ठान कंकरखेड़ा में गहरे गड्ढे में बने हैं, वो तमाम सरकारी सम्पत्ति में बनाये गए हैं। इसको मुक्त कराने के लिए कार्रवाई की जाएगी। इसी को लेकर व्यापारी वर्ग भी एकजुट हो रहा हैं। इसमें तोड़फोड़ होने पर फिर से बवाल हो सकता हैं। इसको लेकर व्यापारी भी लगातार मीटिंग कर रहे हैं, ताकि मेडा का मुकाबला करने के लिये इसे प्रकरण को व्यापक रूप दिया जा सके। उधर, प्राधिकरण उपाध्यक्ष इस बार संयुक्त व्यापार को संतुष्ट करके ही तोड़फोड़ की कार्रवाई करेंगे। क्योंकि मेडा इस जमीन को सरकारी बात रही हैं, जबकि व्यापारी इस जमीन को अपनी बता रहे हैं। इसको लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकला हैं।