Wednesday, June 26, 2024
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हर बार मेरठ पुलिस को मिलती है शिकस्त

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  • दूसरे राज्यों की पुलिस ले जाती है श्रेय, डमी हथियारों की मंडी बन रहा पीएल शर्मा रोड

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: इससे ज्यादा हैरानी की बात और क्या होगी कि डमी हथियारों और शस्त्रों के गैर कानूनी धंधे को लेकर दूसरे राज्यों और शहरों की पुलिस छापेमारी कर घोटाले का खुलासा कर देती है और मेरठ पुलिस या तो हाथ मलते रह जाती है या फिर सेटिंग के कारण हर बार शिकस्त झेल लेती है। पीएल शर्मा रोड स्थित शस्त्र मार्केट में इस वक्त जमकर खेल चल रहा है और पुलिस व प्रशासन पूरी तरह से आंख मूंदकर बैठा हुआ है।

पूरे देश में यह बात फैल गई है कि अगर आपको अवैध हथियार खरीदने है तो मेरठ आ जाए। पीएल शर्मा रोड के इस बाजार में वैध हथियारों की आड़ में अवैध हथियार बेचने वालों की चांदी आ गई है। आए दिन दूसरे शहरों की पुलिस बदमाशों को लेकर आती है और उनके जरिये हथियार और कारतूसों के रैकेट के बारे में पूछताछ करती है। नेशनल शूटर प्रशांत बिश्नोई के घर पर 30 अप्रैल 2017 को डायरेक्टोरेट आॅफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस की छापेमारी में 50 से भी ज्यादा बंदूक और 50 हजार कारतूस बरामद किए गए हैं।

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शुरुआती जानकारी में यह बात कही गई थी कि शूटिंग की प्रैक्टिस के लिए ये हथियार और कारतूस सरकार की तरफ से प्रशांत को मिले हैं, लेकिन प्रशांत के घर वाले इनके लाइसेंस नहीं दिखा पाए। शक बढ़ने पर कड़ाई से पूछताछ के बाद दिल्ली और मेरठ में छापे में मारे गए। डीआरआई ने स्थानीय शस्त्र विक्रेताओं से काफी लंबी पूछताछ की थी और दिल्ली तमाम दस्तावेजों के साथ तलब भी किया था। मेरठ पुलिस की काफी जग हंसाई हुई थी कि इतने बड़े रैकेट का उसे क्यों नहीं पता चला।

इसी तरह 2002 में 30 पिस्टलों का मामला काफी गरमाया था और इसमें शस्त्र डीलरों की मिलीभगत सामने आई थी। जब मामले ने तूल पकड़ा था तब हाईकमान के द्वारा मामले को रफा दफा कर दिया गया था। 24 अप्रैल को टूंडला जीआरपी ने टूंडला जंक्शन पर 700 कारतूसों के साथ फिरोजाबाद के सगे भाई शादाब व सुल्तान को गिरफ्तार किया था। दोनों ने पूछताछ में कारतूसों की तस्करी को स्वीकार किया था। इसमें शिकोहाबाद निवासी अरशद, अमरोहा के हसनपुर मोहल्ला कायस्थान निवासी प्रतीक सक्सेना व मुजफ्फरपुर के बहरिया बस स्टैंड निवासी विक्की का नाम बताया।

इस मामले की जांच आगरा एसपी जीआरपी कर रहे है। आगरा जीआरपी इस मामले में पीएल शर्मा रोड के एक शस्त्र विक्रेता को एक डीलर की निशानदेही पर पूछताछ के लिये आगरा लेकर गई थी। तब बताया गया था कि जिन 70 हजार कारतूसों की खरीद फरोख्त की बात की जा रही है। उसका कनेक्शन सीधे यहां से जुड़ा हुआ है। ये तो चंद घटनाएं है, इस शस्त्र बाजार में डमी हथियार खरीदने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है। इस धंधे में लोग जुड़ते जा रहे हैं और वही लोग अवैध हथियारों की बिक्री पर जोर देकर कमाई कर रहे हैं और पूरे मार्केट को अवैध हथियारों की मंडी बना रहे हैं।

रहस्यमय है आमदनी का स्रोत

जब 10 साल से पूरे प्रदेश शस्त्र लाइसेंस भी गिने चुने लोगों के बन रहे हो ऐसे में पीएल शर्मा रोड के शस्त्र मार्केट में हथियारों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही हो, निश्चित रूप से संशय का विषय है। यही नहीं इन हथियार डीलरों की आमदनी का स्रोत भी रहस्य के घेरे में है। अगर पुलिस सोतीगंज के कबाड़ियों की तर्ज पर इस बाजार में भी सफाई अभियान चलाये तो स्थिति यहां भी बदल सकती है।

सोतीगंज में चोरी में आई लाखों की गाड़ी हजारों में खरीदने वाले कबाड़ियों ने देखते देखते करोड़ों रुपये कमा कर आलीशान कोठियां खड़ी कर ली थी। जब एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने सफाई अभियान चलाया तो चोरी के वाहन काटने वाले कबाड़ी गैंगस्टर में जेल चले गये और उनकी कोठियां जब्त हो गई। कबाड़ियों की आय का स्रोत तो पुलिस को पता चल गया, लेकिन पीएल शर्मा रोड पर शस्त्र विक्रेताओं की आमदनी का स्रोत रहस्यमय बना हुआ है।

जानकारों का कहना है कि इस बाजार में डमी के हथियारों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। हैरानी की बात यह है कि जब नये लाइसेंस ही नहीं बन रहे हैं ऐसे में इनको हथियार खरीदने की अनुमति कौन दे रहा है? इन हथियारों की आड़ में शस्त्र विक्रेता मोटी कमाई कर रहे हैं और पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। ऐसा नहीं है कि इस बाजार में बिक रहे डमी हथियारों के कारतूसों की आवाज इनकी कान में न गूंजती हो, लेकिन बिल्ली की गली में घंटी कौन बांधे? इसके इंतजार में बैठे अधिकारी इस बाजार के शस्त्र डीलरों को रातों रात धनकुबेर बनाने में लगे हुए है।

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