जनवाणी ब्यूरो |
वाराणसी: वाराणसी में G20 समिट के पहले चरण की बैठक समाप्त हो गई है। वाराणसी में अगस्त तक जी-20 ग्रुप की 5 बैठकें और होंगी। काशी पहुंचे डेलीगेट्स ने अपने पहली बैठक में काशी की सभ्यता और आध्यात्म से रूबरू हुए।
काशी की अलौकिक गंगा आरती और गंगाघाट देख डेलीगेट्स मंत्रमुग्ध हुए। काशी में चल रही पहले चरण की तीन दिवसीय जी-20 के कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों (एमएसीएस) की बैठक कल सम्पन्न हो गई।
बैठक में जी-20 के सदस्य देशों के 80 प्रतिनिधियों के अलावा आमंत्रित अतिथि देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठन और भारत द्वारा विशेष आमंत्रित सदस्यों ने भाग लिया। बैठक में कृषि खाद्य प्रणाली में परिवर्तन के लिए नवाचार और तकनीकी, खाद्य सुरक्षा और पोषण प्राप्त करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में फ्रंटियर्स, पोषण मूल्य बढ़ाने के लिए खाद्य फसलों में बायोफोर्टिफिकेशन, पोषण और ब्ल्यू क्रांति के लिए उष्णकटिबंधीय समुद्री शैवाल की खेती, श्रीअन्न के उत्पादन एवं पोषण के लिए प्राचीन अनाज अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महर्षि), पर एकीकृत दृष्टिकोण के रूप में, समन्वित कार्रवाई के लिए साझेदारी और नीतियों के बनाने पर जोर दिया गया।
बैठक को सफल बनाने के लिए लगभग 200 टूरिस्ट गाइड और ट्रांस्लेटर्स कि मदद ली गई। तीन दिन तक चली बैठक में विदेशी प्रतिनिधियों ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का अनूठा अनुभव प्राप्त किया।
योगी सरकार ने प्रतिनिधियों के लिए शहर में सुविधाजनक आवागमन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक व्यवस्था और बैठक स्थल पर सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
अतिथियों को बैठक के बाद रोज भारतीय संस्कृति, कला और धरोहरों से परिचय कराया गया। इसके लिए मेहमानों को क्रूज़ से विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती दिखाई गई, जिसके बाद स्वागत रात्रिभोज और ताज गंगा में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
प्रतिनिधियों को तथागत की तपोस्थली सारनाथ भ्रमण में भीकराया गया और उन्हें एएसआई संग्रहालय और बुद्धा स्तूप व लाइट एंड साउंड शो भी दिखाया गया। बुद्धा थीम पार्क में अतिथियों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया था।
इन मुद्दों पर हुई चर्चा
ताज होटल में तीन दिनों तक चली बैठक में अन्य विषयों जैसै-सीमा पार कीट और रोग, टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणालियों के लिए अनुसंधान एवंविकास प्राथमिकताओं, टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों के लिए जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकी और नवाचार, प्राकृतिक खेती, रेजिलिएंट एग्रीफूड सिस्टम के निर्माण के लिए विज्ञान और नवाचार, जैविक नाइट्रिफिकेशन इनहिबिशन (बीएनआई), जीएचएस उत्सर्जनको कम करना और फसल की पैदावार बढ़ाने पर चर्चा की गई। प्रतिनिधियों ने डिजिटल कृषि और सतत कृषि मूल्य श्रृंखला, कृषि अनुसंधान एवं विकास में सार्वजनिक निजी भागीदारी एवं मैक्स कम्यूनिकेशन पर विचार-विमर्श किया।
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