विवेक शर्मा
हंसते बच्चे सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। बच्चों के चेहरों पर मुस्कुराहट रखने के लिए उनके माता-पिता हर उस वस्तु को भी खरीदने और उन्हें देने को तैयार रहते हैं जो चाहे उनकी पहुंच से बाहर हो परंतु आज के माहौल में न जाने क्या जहर घुल गया है जो बच्चों का स्वभाव एग्रेसिव बनता जा रहा है। उनका यह उक्त स्वभाव पेरेन्ट्स के लिए बहुत बड़ी समस्या है।
किसी व्यक्ति का स्वभाव कैसा है और क्या सोच है, यह सब निर्भर करता है कि बचपन में उसके प्रति उसके माता पिता का क्या रवैय्या था और बचपन में उसे क्या माहौल मिला। किस तरह के वातावरण में उसकी परवरिश हुई आदि।
परिस्थिति का आकलन करें
बच्चों में बढ़ते उस स्वभाव व ंिहंसा को कम करने में माता पिता महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। बच्चा पेरेटंस का प्यार पाना चाहता है क्योंकि इस प्यार को पाकर वह स्वयं को खुश व सुरक्षित महसूस करता है। पेरेटंस के साथ-साथ घर के सदस्य भी बच्चों को बिना उग्र व हिंसक हुए अपने इमोशंस पर काबू रखना सिखा सकते हैं। बच्चे की किसी हरकत या शरारत पर उसे सजा देने या डांटने से पहले उस स्थिति के बारे में सोचें जिसके कारण बच्चे ने हरकत या शरारत की हो।
नजर रखें
बिना सुपरविजन बच्चा उग्र व हिंसक बन जाता है। इसलिए उन पर नजर रखना बेहद जरूरी है। अगर स्कूल के बच्चों के साथ लड़ता झगड़ता है तो उसकी टीचर से कहें कि नजर रखें। बच्चे पर हाथ नहीं उठाना चाहिए। मारपीट कर आप कुछ समय के लिए उसकी गलत आदतों या हरकतों पर रोक तो लगा सकते हैं परंतु यह तरीका अच्छा नहीं। मारने से बच्चा ढीठ बन जाता है। इससे बेहतर है कि उसे प्यार से सही गलत के बारे में समझाएं। पिटाई करने की जगह सजा के तौर पर जेब खर्च कम कर दें या प्यार से बाहर खेलने जाने पर भी रोक लगा सकते हैं।
टाइम टेबल या नियम बनाएं
बच्चे का पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन का भी पूरा ध्यान रखें। बेहतर होगा कि एक टाइम टेबल बना लें जिससे, पढ़ने, खेलने एवं खाने का एक निश्चित समय कर लें। टाइम टेबल बनाने के बाद उस पर सख्ती से अमल करवाएं। पढ़ने, लिखने सोने आदि का एक समय बनाने से बच्चे पर पढ़ाई का भी ज्यादा भार नहीं रहता क्योंकि खेलने का भी समय बनाया गया होता है।
टीवीज्यादा न दिखाएं
अपने बच्चों को ज्यादा देर टीवी न देखने दें। बच्चा टीवी पर ज्यादा ध्यान से किस तरह के प्रोग्राम देखता है, नोट करें। अगर मार धाड़ और झगड़े वाले प्रोग्राम ज्यादा देखे तो उसे प्यार से समझाएं कि लड़ाई झगड़ा हिंसा व्यावहारिक जीवन में ठीक नहीं होते। इनसे दूर रहना चाहिए।
आपसी संबंधों पर ध्यान दें
माता पिता के आपसी संबंधों व व्यवहार का बच्चे के कोमल ह्नदय व मन पर बहुत प्रभाव पढ़ता है। बच्चे के सामने कभी भी एक दूसरे के लिए अपशब्द न कहें। जहां तक हो, मार पिटाई से भी परहेज रखें। अगर आपस में किसी बात पर मतभेद पैदा हो गया है तो चीखने चिल्लाने की अपेक्षा आपस में बैठकर शांतिपूर्ण तरीके से मतभेद के कारण को ढूंढ कर दूर करें। जब तक आप दोनों (माता पिता) एक दूसरे की इज्जत व मान सम्मान नहीं करेंगे तो अपने बच्चे से भी मान सम्मान करने की अपेक्षा करना भी व्यर्थ होगा।