- खत्म होगी बिचौलियों के साथ सांठगांठ, सरकार कर रही इसकी तैयारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पिछले दो साल के दौरान ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम में काफी गड़बड़ियां देखने को मिली हैं। वहीं, बिचौलियों की साठगांठ की मदद से लाभार्थियों को बिना काम किए पैसे मिल रहे हैं। अब इस पर लगाम लगाने के लिए सरकार कदम उठाने वाली है। मोदी सरकार भ्रष्टाचार और अन्य गड़बड़ियों पर लगाम लगाने की कड़ी में एक कदम आगे बढ़ाते हुए मनरेगा कानून (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) को सख्त बनाने की तैयारी कर रही है।
अगर ऐसा होता है तो इसके बाद मनरेगा के लाभार्थियों को बिना काम किए पैसा नहीं मिलेगा। इसके साथ ही बिचौलियों पर लगाम लगेगी। खास बात यह है कि इससे लाभार्थियों और बिचौलिये का साठगांठ को भी खत्म करने में मदद मिलेगी। पीडी अधिकारी मोतीलाल ब्यास ने बताया कि पिछले दो साल के दौरान ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम में काफी गड़बड़ियां भी देखने को मिली हैं।
बिचौलियों की साठगांठ की मदद से लाभार्थियों को बिना काम किए पैसे मिल रहे हैं। इसके एवज में बिचौलिये लाभार्थियों से कमीशन लेते हैं। अब इस पर लगाम लगाने की जरूरत है, जिसके लिए सरकार कदम उठाने वाली है। डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर सीधे व्यक्ति तक धन पहुंचाने में सफल रहा है। लेकिन फिर भी कुछ ऐस बिचौलिये हैं, जो लोगों को गुमराह कर देते हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस पर सख्ती करेगा।
बढ़ गया है बजट अनुमान
इस योजना में लाभार्थियों के नाम दर्ज करने के लिए बिचौलिए पैसे ले लेते हैं। वहीं, बिना पैसे दिए लोगों को काम नहीं मिल पाता है। कई बार किसी अन्य के मान पर बिचौलिए पैसे हड़प लेते हैं। इससे दो साल में बजट अनुमान के मुकाबले संशोधित अनुमान काफी अधिक रहा है।
73,000 करोड़ रुपये किए आवंटित
केंदÑ ने 2022-23 के लिए मनरेगा के तहत 73,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान में दिए गए 98,000 करोड़ रुपये से 25 फीसदी कम है। अगले वित्त वर्ष के लिए आवंटन चालू वित्त वर्ष के लिए बजट अनुमान के बराबर है। वहीं, 2020-21 में 1.11 लाख करोड़ रुपये जारी किए, जबकि 2014-15 में यह आंकड़ा 35,000 करोड़ रुपये था।
काम कुछ हुआ नहीं, खाते से लाखों का बजट गायब
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) श्रमिकों को हर हाल में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए लागू किया गया था। लेकिन भ्रष्टाचार के चलते योजना का लाभ पात्रों से छीन लिया गया। पिछले कुछ दिनों पहले जिले के एक दर्जन से अधिक गांवों में हुए कार्यों की जांच में सच सामने आया था। गांवों में योजना का धन हड़पने के लिए बिना सूची में दर्ज किया गया और काम दर्शाकर इनके खातों में पैसा भेजकर निकाल लिया गया था। ऐसे ही गांवों में मनरेगा से कराए गए कार्यों की जांच में सच सामने आया कि बरसों से कोई विकास कार्य हुआ ही नहीं था।
तीन लाख किसानों को करानी होगी ई-केवाइसी
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए केवाइसी कराना जरूरी कर दिया गया है। इसी के तहत जनपद के तीन लाख किसानों को भी केवाइसी करानी होगी। जो किसान केवाइसी नहीम कराएंगे उन्हें योजना का लाभ नहीं मिलेगा। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को प्रतिवर्ष दो हजार रुपये के हिसाब से तीन किस्तों में कुल छह हजार रुपये दिए जा रहे हैं।
विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में जनपद में 30 हजार किसान ऐसे हैं, जो अपात्र होने के बाद भी योजना का लाभ ले रहे हैं। इसमें आयकरदाता, भूमिहीन, सरकारी नौकरी, पेंशनर के साथ मृतक तक के खाते में सम्मान निधि पहुंच रही है। कृषि विभाग ने उनकी सम्मान निधि को रोक दिया है। अब उनसे दी गई धनराशि की वसूली की जाएगी। कृषि अधिकारी ने बताया कि पंजीकरण कराने वाले किसान को ई-केवाइसी करार प्रमाण पत्र विभाग में जमा कराना होगा।
किसानों को राहत, अब खेतों पर ही होगी मिट्टी की जांच
अब किसानों को मिट्टी की जांच के लिए नमूना लेकर कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगें। खेतों पर ही मिट्टी की जांच हो जाएगी। इसके लिए सरकार विभाग को जल्द ही चलंत वाहन उपलब्ध कराएगी। वहीं जांच के बाद दो से तीन घंटे में ही रिपोर्ट आ जाएगी। अभी तक खेत की मिट्टी की जांच कराने के लिए नमूने किसान प्रखंड कार्यालय पर भेजते थे। सैंपल देने के बाद जांच रिपोर्ट के लिए कई-कई दिन चक्कर काटने पड़ते थे।
अब विभाग की ओर से किसानों को राहत दी जाएगी। किसान को मिट्टी लेकर कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और खेत पर ही मिट्टी में उर्वरा शक्ति की जांच होगी। कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि जल्द ही विभाग को सरकार की ओर से चलत वाहन दिया जाएगा, जो किसानों के लिए फायदे का सौदा होगा। किसानों के खेतों से नमूना लेने के बाद मिट्टी में पीएच, जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फेट और पोटाश की मात्रा की जांच की जाएगी। इसके बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाएगा। इससे किसान को यह पता चल सकेगा कि खेत में कितना खाद देना है। साथ ही कौन सी फसल फायदे का सौदा होगा।