Thursday, April 17, 2025
- Advertisement -

बड़ी खबर: 24 कंपनियां भारत में लगाएंगी मोबाइल फोन प्लांट

  • कई कंपनियां चीन से शिफ्ट कर रही हैं अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट
  • चीन से बोरिया बिस्तर समेट रही हैं कई कंपनियां, भारत का कर रही रुख
  • दो दर्जन कंपनियों की भारत में मोबाइल फोन यूनिट लगाने में दिलचस्पी
  • भारत में अगले 5 साल में बनाया जा सकता है 153 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स सामान
  • करीब दस लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने के आसार

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: हाहाकार मचा रही कोरोना वायरस महामारी (Covid-19 pandemic) के कारण चीन के प्रति दुनियाभर में गुस्से का माहौल है। दुनियाभर की कई कंपनियां वहां से अपना बोरिया बिस्तर समेट रही हैं।

ऐसी कंपनियों को अपनी तरफ लाने की भारत सरकार की कोशिशें अब रंग लाती दिख रही हैं। सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर एप्पल तक के एसेंबली पार्टनर्स ने भारत में निवेश करने में दिलचस्पी दिखाई है।

मोदी सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियों के लिए मार्च में कई तरह के प्रोत्साहनों की घोषणा की थी। इसका नतीजा यह हुआ कि करीब दो दर्जन कंपनियों ने भारत में मोबाइल फोन यूनिट लगाने के लिए 1.5 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है।

सैमसंग के अलावा फॉक्सकॉन के नाम से जानी जाने वाली कंपनी Hon Hai Precision Industry Co., विस्ट्रॉन कॉर्प (Wistron Corp.) और पेगाट्रॉन कॉर्प (Petatron Corp.) ने भी भारत ने निवेश में दिलचस्पी दिखाई है।

भारत ने साथ ही फार्मास्यूटिकल सेक्टर के लिए भी इसी तरह के इंसेंटिव की घोषणा की है। साथ ही कई अन्य सेक्टरों में भी इसे लागू किया जा सकता है। इनमें ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग शामिल है।

वियतनाम पसंदीदा विकल्प

अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव और कोरोना वायरस संक्रमण से कंपनियां अपनी सप्लाई चेन को डाइवर्सिफाई करना चाहती हैं। यही वजह है कि वे चीन के बाहर सप्लाई चेन के विकल्प खोज रही हैं।

स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीएलसी के एक हालिया सर्वे के मुताबिक इन कंपनियों के लिए वियतनाम सबसे पसंदीदा विकल्प बना हुआ है। इसके बाद कंबोडिया, म्यांमार, बांग्लादेश और थाईलैंड उनकी पसंद है।

10 लाख लोगों को मिलेंगे रोजगार

मोदी सरकार को उम्मीद है कि भारत में अगले 5 साल में 153 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाया जा सकता है और इससे करीब 10 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे।

नीलकंठ मिश्रा का अगुवाई में क्रेडिट सुइस ग्रुप के विश्लेषकों का मानना है कि इससे अगले 5 साल में देश में 55 अरब डॉलर का अतिरिक्त निवेश आएगा जो देश के इकॉनमिक आउटपुट में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी करेगा। इससे अगले 5 साल में ग्लोबल स्मार्टफोन प्रोडक्शन का अतिरिक्त 10 फीसदी भारत शिफ्ट हो सकता है।

इकॉनमी में बढ़ेगा विनिर्माण का हिस्सा

मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत इकॉनमी में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी बढ़ाकर 25 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है जो अभी 15 फीसदी है।

सरकार पहले ही कॉरपोरेट टैक्स में कमी कर चुकी है जो एशिया में सबसे कम है। इसका मकसद देश में नया निवेश आकर्षित करना है।

कोरोना वायरस महामारी से देश की इकॉनमी बुरी तरह प्रभावित हुई है और चार दशक से भी अधिक अवधि में यह पहली बार निगेटिव रह सकती है BoFA Secutities में एनालिस्ट अमीश शाह ने कहा कि आउटपुट लिंक्ड इंसेंटिव प्लान मेक इन इंडिया के लिए बड़ी जीत है।

चीन को खा रहा है उसका अभिमान
भारतीय सीमाओं से जब चीन अपनी सेनाएं हटा लेगा, तब माना जायेगा, चीन की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है।
-नवरत्न अग्रवाल

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Gold- Silver Price Today: सोने-चांदी की कीमतों में उछाल, जानें आज के ताजा रेट

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

Meerut News: डॉ स्वाति सिंह की पुस्तक इल्यूजन एन इनर डिस्कवरी का लोकार्पण

जनवाणी ब्यूरो | मेरठ: अखिल भारतीय उत्कर्ष साहित्य मंच के...

Tech Tips: अब UPI सिर्फ ट्रांजैक्शन का नहीं, कमाई का भी जरिया! घर बैठे कमाएं पैसा

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

West Bengal: मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच तेज, स्पेशल टीम गठित, NCW की टीम पीड़ितों से करेगी मुलाकात

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img

2 COMMENTS

Comments are closed.