Tuesday, July 9, 2024
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पास कराने के नाम पर मांगे जा रहे पैसे

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  • यूपी बोर्ड: फर्जी काल से रहे सावधान, बोर्ड की ओर से सभी डीआईओएस को जारी की गई एडवाइजरी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानि यूपी बोर्ड की ओर से जून के दूसरे सप्ताह तक 10वीं और 12वीं का परीक्षा परिणाम जारी कर दिया जाएगा। हालांकि परीक्षा परिणाम को लेकर बोर्ड की ओर से अभी तक कोई तिथि जारी नहीं की गई है।

मगर अनुमान लगाया जा रहा है कि जून के दूसरे सप्ताह में परीक्षा परिणाम जारी कर दिया जाएगा। परिणाम जारी होने से पहले बोर्ड के सामने एक फर्जीवाड़ा सामने आया हैं, जिसमें पास कराने के नाम पर छात्रों को फोन कर पैसों की मांग की जा रही है। जिसके चलते बोर्ड की ओर से सभी डीआईओएस को एक एडवाइजरी जारी कर ऐसे फोन से छात्रों को जागरुक करने की बात कही गई है।

बता दें कि इस समय यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं के छात्रों के पास फर्जी काल आ रही है जिसमें 70 प्रतिशत अंक के लिए चार हजार और 80 प्रतिशत अंक के लिए पांच हजार रुपये की मांग की जा रही है। ऐसे में यूपी बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्र इन फोन काल से परेशान है। सूत्रों के मुताबिक बोर्ड में इस समय अंकों की फीडिंग का काम चल रहा है। शिकातयों को बढ़ता देख बोर्ड की ओर से सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को एक एडवाइजरी जारी की है और कहा है कि ऐसे फर्जी काल पर तुरंत कार्रवाई की जाए।

एक के बाद एक कई स्कूलों के विद्यार्थी, शिक्षक और प्रधानाचार्यो का कहना है कि फोन करने वाले विद्यार्थियों के नाम, रोल नंबर, माता-पिता के नाम आदि जानकारी देने के बाद परिणाम में उन्हें फेल बताकर पास करने के एवज में चार से पांच हजार मांगे जा रहे है। ऐसे फोन लगातार आने पर कुछ शिक्षकों ने अपने प्रधानाचार्य को जानकारी भी दी है। वहीं शिक्षक इस बात से परेशान है कि कही यह साइबर फ्राड तो नहीं।

फोन करने वाले खुद को बता रहे हैं रिजल्ट अपलोडर

छात्र-छात्राओं को पास करने की एवज में रुपये मांगने वाले खुद को रिजल्ट अपलोडर बता रहे हैं। भरोसा जताने के लिए वह छात्रों के रोल नंबर तक की जानकारी दे रहे है। साथ ही एक विषय में पास करने के लिए 2 हजार और 70 प्रतिशत अंक दिलाने के लिए 4 हजार व 80 प्रतिशत अंक के लिए 5 हजार की मांग कर रहे हैं। बोर्ड की ओर से इस संबंध में सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को एडवाइजरी जारी की गई है।

अब शोधार्थी नहीं कर सकेंगे कट पेस्ट

विवि अनुदान आयोग यूजीसी ने पीएचडी थीसिस की चोरी रोकने के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया था, लेकिन वह सभी विवि में सही तरह से प्रयोग में नहीं लाया जा रहा है। जिस पर यूजीसी की ओर से हाल ही में एक गाइडलाइन जारी कर कट पेस्ट को रोकने की बात कही गई है।

बता दें कि पीएचडी में फर्जीवाड़ा करने और कराने वालों पर अब सख्ती की जाएगी। यूजीसी के अनुसार अब सभी विवि में थीसिस जमा करने से पहले उसकी जांच की जाएगी। सॉफ्टवेयर के माध्यम से गाइड और छात्र थीसिस की मुफ्त जांच करा सकेंगे। ऐसे में यदि रिसर्च स्कॉलर ने थीसिस की कही से चोरी की होगी तो सॉफ्टवेयर उसे तुरंत पकड़ लेगा।

इसकी कार्य प्रणाली के बारे में छात्र-छात्राओं को जानकारी भी दी जाएगी। यूजीसी की ओर से तैयार किए गए उरकुंद सॉफ्टवेयर के माध्यम से अब थिसिस की चोरी को पकड़ा जा सकेगा। कई विवि में यह सॉफ्टवेयर काम भी कर रहा है। थिसिस में 60 फीसदी तक साहित्यिक चोरी पकड़े जाने पर शोधार्थी का पंजीकरण भी रद किया जा सकता है।

वहीं साहित्यिक चोरी किसी शिक्षक के रिसर्च पेपर में पकड़ी गई है तो वह दो साल तक पीएचडी का पर्यवेक्षक नहीं बन सकेगा। रिसर्च पेपर में फर्जीवाड़ा करने वालों शिक्षकों की सेवा भी समाप्त की जा सकती है।

ये होती है साहित्य चोरी

पूर्व में किए गए किसी शोध से टेक्स्ट, फोटो, डेटा, पैराग्राफ, शोध के मूल विचार आदि को जू के तू कॉपी कर अपनी रिसर्च में शामिल कर लेना प्लेगरिज्म या फिर साहित्य चोरी कहलाता है। रिसर्च स्कॉलर पूर्व में की गई रिसर्च के किसी हिस्से का हवाला देकर अपनी रिसर्च में शामिल कर सकता हैं, लेकिन अगर वह उसे बिना किसी रिफरेंस के अपने शोध में शामिल कर लेता है तो वह साहित्य चोरी की श्रेणी में आता है।

पीएचडी थीसिस और डिजर्टेशन में समानता मिलने पर यह हो सकती है कार्रवाई

  1. 10 फीसदी समानता पर कोई कार्रवाई नहीं।
  2. 10 से 40 प्रतिशत समानता मिलने पर छात्रों को अधिकतम छह माह की विनिर्धारित अवधि के भीतर संशोधित आलेख जमा करने के निर्देश।
  3. 40 से 60 फीसदी समानता पर एक वर्ष के लिए संशोधित आलेख जमा करने के निर्देश।
  4. 60 फीसदी से अधिक समानता होने पर छात्रों का पीएचडी पंजीकरण रद।
  5. बार-बार साहित्यिक चोरी पर कारगर दंड दिया जाएगा।
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