जनवाणी संवाददाता
मोरना: तीर्थनगरी शुकतीर्थ में आस्था का महाकुंभ कहे जाने वाले ज्येष्ठ गंगा स्नान मेले का आगाज़ अब चंद दिनों दूर है, लेकिन गंगा घाटों की हालत देखकर लगता है मानो खुद आस्था भी असहज हो गई हो। प्रशासनिक दावों और बजट के बावजूद न तो घाट साफ हुए हैं, न ही टूटी सीढ़ियों की मरम्मत हो पाई है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से पहले ही गंगा घाट अव्यवस्था में डूबा नज़र आ रहा है। मेले के दौरान लाखों की संख्या में पहुंचने वाले भक्तों की सुविधा और सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं।
3 तारीख से होगा ज्येष्ठ गंगा दशहरा स्नान
बता दें कि तीर्थनगरी शुकतीर्थ में जिला पंचायत के द्वारा ज्येष्ठ गंगा दशहरा स्नान मेले का आयोजन किया जाना है। मेले का शुभारंभ 3 जून को होगा, जबकि मुख्य स्नान 5 जून को किया जायेगा। मेले के शुरू होने में मात्र तीन दिन शेष रह गये हैं, परन्तु वहां पर अभी भी तैयारिंया आधी-अधूरी हैं। ऐसा लग रहा है कि इस बार मेला आयोजक आधी-अधूरी तैयारियों के बीच मेला संपन्न कराने का मन बना चुके हैं।
बजट पास, लेकिन ज़मीन पर नहीं दिखी तैयारी
जिला पंचायत द्वारा इस बार मेले के आयोजन के लिए 7 लाख 67 हजार रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। दावा किया जा रहा है कि तैयारियां शुरू कर दी गई हैं, लेकिन जब धरातल पर स्थिति देखी जाती है तो दावा और सच्चाई के बीच गहरी खाई नजर आती है। घाटों पर मिट्टी के ढेर, टूटी सीढ़ियां और अधूरे निर्माण कार्य न सिर्फ अव्यवस्था को दर्शाते हैं बल्कि प्रशासन की लापरवाही की पोल खोलते हैं।
घाटों पर गंदगी के ढेर, श्रद्धालुओं की आस्था पर चोट
शुकतीर्थ के गंगा घाटों की स्थिति इस कदर खराब है कि श्रद्धालुओं को वहां कदम रखना भी मुश्किल हो सकता है। जगह-जगह फैली गंदगी, कीचड़ और प्लास्टिक के कचरे ने घाट की पवित्रता को ही चुनौती दे दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मेले के नाम पर केवल कागजी कार्यवाही हो रही है, जबकि वास्तव में कोई ठोस सफाई अभियान अब तक नहीं चलाया गया।
चिकनी मिट्टी बनी खतरा, कई श्रद्धालु फिसलकर हुए घायल
घाटों की खुदाई के बाद वहां पड़ी चिकनी मिट्टी अब श्रद्धालुओं के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। इस पर पांव रखते ही फिसलने की घटनाएं सामने आ रही हैं। कई स्थानों पर महिलाएं और बुजुर्ग चोटिल हो चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द मिट्टी नहीं हटाई गई तो यह दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है।
जर्जर सीढ़ियां, टूटी पेढ़ियां बनीं हादसों की दावत
गंगा घाट पर बनी सीढ़ियों की हालत बदतर है। कई स्थानों पर पेढ़ियां टूट चुकी हैं, जिससे श्रद्धालुओं को चढ़ने-उतरने में खतरा है। महिलाओं और बुजुर्गों के लिए यह एक बड़ा जोखिम बन सकता है। अभी तक इन सीढ़ियों की मरम्मत शुरू नहीं हो सकी है। सुरक्षा के लिहाज से भी यह स्थिति बेहद चिंताजनक मानी जा रही है।
तीर्थ की छवि पर संकट, प्रशासन खामोश
शुकतीर्थ सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक पहचान है। हर साल यहां देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इस बार की अव्यवस्थाएं नगर की प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगा रही हैं। स्थानीय संतों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यदि प्रशासन अगले 48 घंटे में कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तो गंगा स्नान मेला अव्यवस्था की भेंट चढ़ सकता है।
श्रद्धालुओं और समाजसेवियों की खुली चेतावनी
गंगा स्नान मेले को लेकर किसान संगठन,, समाजसेवी और धार्मिक संस्थाएं खुलकर सामने आ गई हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि घाटों की सफाई, मिट्टी हटाने और सीढ़ियों की मरम्मत जैसे बुनियादी कार्य तत्काल नहीं कराए गए, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
श्रद्धालुओं को राहत चाहिए, आश्वासन नहीं
श्रद्धालु प्रशासनिक आश्वासन नहीं, व्यवहारिक सुधार चाहते हैं। उन्होंने मांग की है कि घाटों पर फौरन सफाई अभियान चलाया जाए, मिट्टी और मलबा हटाकर फिसलन से बचाव किया जाए, टूटी हुई पेढ़ियों की मरम्मत युद्ध स्तर पर कराई जाए, सुरक्षा और जल व्यवस्था को संतुलित और सक्रिय बनाया जाए।
क्या नींद से जागेगा प्रशासन?
आस्था की यह अग्निपरीक्षा केवल श्रद्धालुओं की नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की भी है। मेले के शुरू होने में अब कुछ ही दिन शेष हैं। यदि प्रशासन ने वक्त रहते जरूरी कदम नहीं उठाए, तो इसका खामियाजा न केवल श्रद्धालु भुगतेंगे, बल्कि शुकतीर्थ की प्रतिष्ठा को भी गहरी ठेस पहुंचेगी।