- एनएचएआई के अधिकारी इसको लेकर क्यों नहीं कर रहे कार्रवाई ?
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: खड़ौली में मस्जिद तो हटा दी, लेकिन दुकानें आगे बढ़ा दी। यह एनएचएआई के अधिकारियों ने कैसे होने दिया? इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं। धार्मिक स्थान मस्जिद को खड़ौली में हटा दिया गया, लेकिन जो दुकानें बनाई गयी,उनको क्यों नहीं हटाया जा रहा हैं? एनएचएआई के अधिकारी इसको लेकर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं।
अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि हाइवे व उसके आसपास में ग्रीन बेल्ट और रोड वाइडिंग खाली कराये, तभी हाइवे पर राहत मिलेगी। हाइवे पर वाहन सरपट दौड़ने चाहिए, लेकिन यहां तो हाइवे बाधित हो रहा हैं। इसकी जिम्मेदारी लेने को कोई भी तैयार नहीं है।
टोल वसूली पर तो जोर दिया जाता हैं, लेकिन हाइवे क्लीयर करने की जिम्मेदारी एनएचएआई के अधिकारी कब निभायेंगे या फिर इसी तरह से हाइवे पर इस तरह से दिक्कत आम जनता को होती रहेगी। परतापुर से लेकर मोदीपुरम तक कई स्थानों पर एनएच-58 पर आवागमन बाधित रहता हैं।
बाधा की वजह भी एनएचएआई और टोल के अधिकारी जानते हैं, मगर इसका समाधान क्यों नहीं कर रहे हैं, यह तो वहीं जाने, लेकिन जो वाहन चालक टोल दे रहा है, उसे तो हाइवे पूरी तरह से क्लीयर चाहिए। वर्तमान में चार धाम यात्रा चल रही हैं। उसमें बड़ी तादाद में यात्री हरिद्वार जा रहे हैं।
उन्हें हाइवे पर जाम की समस्या से हर रोज जूझना पड़ रहा हैं। इसका संदेश भी पूरे देश में गलत जा रहा हैं। बड़ा सवाल ये है कि जब मस्जिद को पीछे हटा दिया तो फिर दुकानों को पीछे क्यों नहीं हटाई। ढाबे चल रहे हैं। ढाबों के आगे भी खान-पान चलता हैं, जिसके बाद हाइवे पर हर रोज जाम लग रहा है।
दो टोल के बीच की दूरी 15 किमी
केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि कोई भी टोल 60 किमी से पहले नहीं होगा, लेकिन यहां एकदम उलटा हो रहा हैं। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर टोल लगा है। इससे करीब 15 किमी की दूरी पर सिवाया टोल हैं, दोनों के बीच की दूरी 15 किमी मात्र हैं। फिर भी दोनों ही जगहों पर टोल वसूली हो रही हैं।
नियमों का इस तरह से पालन नहीं हो रहा हैं। इन दोनों ही टोल के बीच 60 किमी की आपस में दूरी होनी चाहिए थी। जिस तरह से केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कह रहे थे। यही नहीं, चार धाम यात्रा के दौरान जगह-जगह टोल से सफर बेहद महंगा हो गया है। दिल्ली से लेकर हरिद्वार तक जाने के लिए पांच से छह जगह टोल देना पड़ रहा हैं। श्रद्धालुओं की इस तरह से जेब ढीली हो रही हैं।