- पीडब्ल्यूडी विभाग ने भी लिखा नगर निगम को नाले से अतिक्रमण हटवाने को पत्र
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्रांतिधरा पर अवैध कब्जाधारक निगम के अधिकारियों एवं भाजपा के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार पर भारी पड़ रहे हैं। पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा निगम के अधिकारियों को तमाम पत्र लिखने के बाद भी घंटाघर के निकट नाले पर बनी दुकानों को निगम के अधिकारियों द्वारा अब तक नहीं हटवाया जा सका है। लोगों का कहना है कि नगर निगम में ट्रिपल इंजन सरकार नहीं बल्कि कहा जो तो अवैध कब्जा धारकों की सरकार है। तभी तो तमाम प्रयासों के बाद भी नाले की भूमि से उनका अवैध कब्जा नहीं हटाया जा सका है।
शहर में अधिकतर नालों की भूमि पर अवैध कब्जों की भरमार है। निगम द्वारा कभी कभार नालों से अतिक्रमण हटवाने के लिए जो अभियान चलाया जाता है। वह केवल रिकॉर्ड के कारम को पूरा करने के लिए चलाया जाता है, वह भी खानापूर्ति को। निगम के अधिकारी खुद भी मानते हैं कि यदि कोई अतिक्रमण नहीं हटाना चाहता तो उसका अतिक्रमण जबरन निगम द्वारा नहीं हटवाया जा सकता है। उसकी केवल जुर्माने के रूप में रसीद ही काटी जा सकती है। शहर में अधिकतर नाली एवं नालों की जमीन पर अवैध कब्जों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
कुछ लोगों ने तो अपना स्थाई कारोबार नालों के उपर ही अवैध निर्माण करके शुरू कर दिया है। कहने को तो नगर निगम में ट्रिपल इंजन सरकार है, लेकिन देखा जाये तो वास्तव में नाली व नालों पर अवैध कब्जा करके कहते हैं कब्जा नहीं हटाना, देखा जाये तो ऐसे लोगों की बात में ट्रिपल इंजन सरकार से ज्यादा दम हैं। नाली व नालों पर अवैध कब्जा देखने के लिए निगम से दूर जाने की जरूरत नहीं है।
निगम के मुख्यालय के यदि 200 मीटर परिधि क्षेत्र को ही देख लिया जाये तो सबकुछ समझ में आ जायेगा या तो निगम के अधिकारियों की नालों पर अवैध कब्जा करने वालों से मोटी रकम लेकर सेटिंग मजबूत है या फिर वह कब्जा धारक महापौर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार में निगम की कमान जो अधिकारी संभाले हुए हैं, वह कब्जा धारकों के सामने बेबस हैं।
तभी तो पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा जो नाला निर्माण छतरी वाले पीर से घंटाघर होते हुए ओडियन तक बनाया जा रहा है। उस नाले की जद में कई दुकाने आ रही हैं। उन्हें हटवाने के लिए नगर निगम के अधिकारियों को कई बार पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी।
नाले पर अवैध अतिक्रमण/कब्जा होने के कारण मार्ग भी संकरा हो गया है, लेकिन निगम के अधिकारी नालों की भूमि से अवैध कब्जा हटवाने में अब तक कब्जाधारकों के सामने या तो घुटने टेके हुए दिखाई दे रहे हैं या फिर उनसे मोटी रकम लिए हुए हैं। तभी तो तमाम परेशानी स्थानीय लोगों के साथ राहगीरों को हो रही है, लेकिन उनका कब्जा नहीं हटाया जा सका है।
घंटाघर के सामने दूषित पानी के बीच से निकाली टंकी की पाइप लाइन
पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा 24 करोड़ रुपये से अधिक के बजट में छतरी वाले पीर से जिला अस्पताल के सामने से होते हुए घंटाघर-ओडियन नाले का निर्माण कराया जा रहा है। नाला निर्माण पर अच्छा खासा बजट रखा गया है,ओर नाले का निर्माण कार्य भी करीब 70 से 80 प्रतिशत पूरा हो चुका हैं, लेकिन अभी 24 करोड़ की रकम में से 5 करोड़ रुपये ही अवमुक्त हो सके हैं। ऐसे में जहां अभी पांच करोड़ रुपये शासन से खर्च के लिए भेजे गए हैं। ऐसे में नाले का आधे से अधिक निर्माण कार्य ठेकेदार के द्वारा कैसे पूरा कर लिया गया।
वहीं दूसरी तरफ देखा जाए तो जो पुराना नाला बना था उसकी चौड़ाई से नए नाले की चौड़ाई कम कर दी गई हैं। वहीं नाले की चौड़ाई कहीं अधिक व कहीं कम रखी गई, नाले की गहराई को भी ठेकेदार के द्वारा कम कर दिया गया है। वहीं घंटाघर के सामने पुराने नाले से हटाकर सड़क के बीच में खोदाई कराकर नाला निर्माण कराया गया है। जिस नाले से दूषित पानी होकर गुजरेगा उस दूषित पानी के बीच से ही टंकी के पीने के शुद्ध जल का पाइप निकाला गया है। इस पाइप लाइन को निकाले जाने के दो बडेÞ नुकसान सामने आयेंगे, जिसमें एक तो नाले के दूषित पानी का प्रवाह बाधित होगा।
दूसरे यदि शुद्ध पेयजल आपुर्ति की पाइप लाइन का पाइप लिकेज हो गया तो लोगों के घरों में नाले का दूषित पानी जा सकता है। जिसमें बीमारी फैल सकती है। फिलहाल ठेकेदार के द्वारा शासन से मानक के अनुसार जितना नाला निर्माण हो चुका है, उससे कहीं अधिक पैसा जो खर्च करना बताया जा रहा है, उसको लेकर तमाम चर्चाएं है,कि बिना खाते में पैसा आए ठेकेदार के द्वारा इस तरह से जो कार्य कराया जा रहा है,उसका असर नाले के मानक पर जरूर पडेÞगा।
वहीं इस संबंध में पीडब्लूडी विभाग के जेई महेश बालियान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि करीब 70 से 80 प्रतिशत निर्माण पूरा हो चुका है,अभी पांच करोड रुपये ही शासन से मिल सके हैं,शेष रकम जल्द मिलेगी, लेकिन ठेकेदार के द्वारा अपने पैसे से नाला निर्माण कराया जा रहा है,जिसे काफी हद तक नाला निर्माण का कार्य पूरा हो सका है।
एक करोड़ से अधिक के खर्च में सड़क पर डिवाइडर व पथ प्रकाश व्यवस्था
घंटाघर से छतरी वाले पीर तक जिला अस्पताल के सामने सड़क पर डिवाइडर एवं पथ प्रकाश के लिए पोल लगने का कार्य कराया जा रहा है। जिसमें यह कार्य एक करोड से अधिक के बजट में कराया जा रहा है। जिसमें ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की तरफ से यह कार्य कराया जाना बताया जा रहा है।
हालांकि इस मार्ग पर डिवाइडर के बनने से मार्ग की चौडाई जरूर कम होगी, वाहनों को भी परेशानी होगी। फिलहाल इस मार्ग पर पथ प्रकाश की व्यवस्था भी कराई जा रही है। हालांकि इस मार्ग पर सड़क को बने दो वर्ष भी नहीं हुए ओर सड़क पूरी तरह से उखड़ चुकी है।