- परीक्षितगढ़ रोड पर गांवड़ी स्थित वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट की कूड़ा निस्तारण की समस्या के समाधान को 1 जनवरी 2017 को की गई थी स्थापना
- तत्कालीन मंडलायुक्त आलोक सिन्हा, डीएम बी. चंद्रकला और पूर्व महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने रखी थी आधारशिला
- कूड़ा निस्तारण की लापरवाही पर करीब 25 लाख का लगाया जा चुका है जांच टीम द्वारा पूर्व में जुर्माना
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्रांतिधरा को कूडेÞ की समस्या से निजात दिलाने एवं निगम के राजस्व में बढ़ोतरी को वेस्ट-टू-एनर्जी अर्थात कूडेÞ से बिजली बनाने के लिये परीक्षितगढ़ मार्ग स्थित गांवड़ी के निकट करीब 15 एकड़ से अधिक भूमि पर करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट की आधारशिला अब से करीब पांच वर्ष पूर्व रखी गई थी। जिसमें तत्कालीन कमिश्नर एवं डीएम के साथ सांसद ने गत 1 जनवरी 2017 को उसकी आधारशिला रखी।
इस वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट के प्रोजेक्ट पर 244 करोड़ रुपये का बजट भी निगम बोर्ड बैठक में पास हुआ। आर्गेनिक रीसाइकिलिंग परियोजना उसके बावजूद सफल नहीं हुई। आधारशिला के पांच वर्ष बीतने के बाद निगम व उक्त कंपनी द्वारा किस तरह से कूड़ा निस्तारण वर्तमान समय में किया जा रहा है। उससे साफ है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी निगम व उक्त कंपनी किसान वाला
वही देशी फार्मूला अपना रही है कि कूडेÞ को जमीन में गड्ढा खोदकर दबा दो कुछ दिन बाद उसका खाद बन जायेगा, लेकिन प्लांट में कूड़ा खाद बनाने के साथ ही वेस्ट-टू-एनर्जी यानि कूडेÞ से बिजली बनाई जानी चाहिए, लेकिन निगम एवं उक्त कंपनी द्वारा गीला एवं सूखा दोनों तरह के कूडेÞ को जेसीबी से मिट्टी खोदकर उसमें दबवाया जा रहा है।
महानगर में सड़कों पर जगह-जगह कूडेÞ के ढेर पडेÞ दिखाई देना आम बात हो गई है। लोहियानगर में हाल ही में लखनऊ एवं दिल्ली से आई जांच टीम पहुंची तो वहां पर जांच टीम को खामियां मिली। जांच टीम वहां से पानी के सैंपल को भी भरकर ले गई। नगर निगम द्वारा लोहिया नगर के साथ ही कूड़ा निस्तारण के लिये एक और जगह परीक्षितगढ़ मार्ग स्थित गांवड़ी के जंगल में निर्धारित की गई। इस जगह पर पांच वर्ष पूर्व करोड़ों रुपये के खर्च से वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट की आधारशिला रखी गई।
जनवाणी टीम ने रविवार को इस प्लांट का सूरत-ए-हाल जानने के लिये उधर का रुख किया तो परीक्षितगढ़ मार्ग पर सड़क के दोनों ओर कूडेÞ के बडेÞ-बड़े ढेर दिखाई दिये। जोकि गांवड़ी के उस प्लांट तक आधा दर्जन से अधिक जगहों पर यही सूरत-ए-हाल देखा गया। जैसे ही प्लांट के अंदर प्रवेश किया तो गेटमैन ने कहा कि निगम द्वारा प्लांट के अंदर प्रवेश वर्जित किया गया है, लेकिन उसे बताया गया कि वह मीडिया से हैं तो उसने गेट खोल दिय।
अंदर जाकर वहां के हालात को कैद किया तो वह असमंजस में डालने वाला था। जिस प्लांट पर सरकार एवं शासन के द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किये गये उसमें कूड़ा निस्तारण किस तरह से किया जा रहा था। जैसे वर्षों पूर्व किसान गोबर व कूड़े से खाद तैयार करते हैं, जमीन में गड्ढा खोदकर उसे दबा दिया जाता है। ठीक उसी तरह से गीला एवं सूखे दोनों कूडेÞ को एक जगह ही मिट्टी खोदकर दबाया जा रहा था।
जबकि जो प्लांट लगा है। ऐसा लग रहा था कि वह कई महीनों से चला तक नहीं है। उस प्लांट के आसपास काफी मात्रा में घास फूंस जमी हुई थी। एक ट्रैक्टर चालक जमीन में खोदे गये गड्ढों में ट्रॉली से कूड़ा उतार रहा था। उसने पहले तो फोटो लेने से मना किया, लेकिन बताया कि वह मीडिया से हैं तो उसने कंपनी के एक कर्मचारी से बात कराने को कहा। जिसमें उसके द्वारा बताया गया कि जो जमीन में गड्ढे खोदकर कूड़ा डाला जा रहा है।
वह निगम द्वारा डलवाया जा रहा है। वह तो आज इधर ट्रॉली में गीला कूड़ा लेकर पहुंचा है। वहां पर देखा गया तो 15 एकड़ जमीन की चारदीवारी के दोनों तरफ जेसीबी से कूड़ा जमीन में दबाने के लिये कई फीट गहरी जमीन की खोदाई की गई है। ताकि कूडेÞ को जमीन में दबाकर उस पर जेसीबी से मिट्टी डालकर मामला रफा-दफा कर दिया जाये कि कूडेÞ का निस्तारण कर दिया गया है।
वहीं, आसपास के लोगों को यही कहते सुना गया कि सीएम साहब तक मामला जाना चाहिए, जोकि करोड़ों रुपये प्रोजेक्ट पर खर्च करने के बाद भी निगम के द्वारा इस तरह से नायाब तरीका खोजकर कूड़ा निस्तारण कराया जा रहा है। इस नायाब तरीके को या तो पूरे प्रदेश में लागू करायें या फिर लापरवाह अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई अमल में लायें।
वहीं, इस संबंध में प्रभारी मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी एवं पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डा. हरपाल सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया तो उनके मोबाइल पर संपर्क नहीं हो सका। उसके बाद नगरायुक्त अमित पाल शर्मा के मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।