जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: आज गुरूवार को तहव्वुर राणा, जो 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में शामिल था, अब भारत लाया जा रहा है। अमेरिकी अदालतों द्वारा उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दिए जाने के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उसे भारत लेकर आ रही हैं। उसे भारत आने पर कोर्ट में पेश किया जा सकता है, उसके बाद कोर्ट से रिमांड मिलने पर तहव्वुर राणा मुंबई को दहलाने की साजिश के राज खोलेगा और पाकिस्तान की पापों से पर्दा उठेगा। तहव्वुर राणा के भारत आने से इस बड़े आतंकी हमले में पाकिस्तानी एजेंसियों और अधिकारियों की संलिप्तता के नए तथ्य सामने आ सकते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं राणा के बारे में कुछ अहम जानकारी..
राणा का मुंबई आतंकी हमलों क्यों आया नाम?
दावा है कि तहव्वुर राणा ने अपनी कंसल्टेंसी फर्म्स में डेविड हेडली को भी नौकरी दी। इसी फर्म की मुंबई शाखा के काम के लिए डेविड हेडली मुंबई आया था और यहां लश्कर-ए-तयैबा के आतंकी हमलों की तैयारी के लिए मुंबई में ताज महल होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसी प्रमुख जगहों की रेकी की थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तहव्वुर राणा ने कंसल्टेंसी फर्म की आड़ में ही डेविड हेडली से रेकी का पूरा काम कराया। साल 2008 में मुंबई में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने घुसकर शहरभर में हमले किए थे। इन बर्बर हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों और कुछ यहूदियों समेत 166 लोग मारे गए थे।
हेडली राणा दोनों पर दर्ज मामलों में हुई सुनवाई
अमेरिका में हेडली-राणा दोनों पर दर्ज मामलों में सुनवाई हुई। यहां हेडली ने कोर्ट में कई खुलासे किए। हेडली ने बताया कि डेनमार्क में डेनिश अखबार पर हमले के लिए तहव्वुर राणा ने ही उसके दौरे को मंजूरी दी थी। वह डेनमार्क में राणा की फर्म से ही आव्रजन कानून केंद्र का प्रतिनिधि बन कर गया था। इसके लिए राणा ने हेडली के बिजनेस कार्ड छपवाए थे।
हालांकि, अल-कायदा की तरफ से ‘मिक्की माउस प्रोजेक्ट’ कोडनेम वाले जिलेंड्स-पोस्टेन अखबार पर हमले को अंजाम नहीं दिया जा सका। हेडली-राणा पर अखबार के कर्मचारियों पर हमले और पास ही एक यहूदी पूजास्थल को निशाना बनाने के लिए साजिश रचने के आरोप लगे थे।
साल 2011 में राणा पर चलाया गया मुकदमा
बता दें कि,अमेरिका में साल 2011 में राणा पर अमेरिका में दोनों मामलों में मुकदमा चलाया गया और उसे डेनिश अखबार पर हमला करने की साजिश में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को मदद पहुंचाने का दोषी ठहराया गया। हालांकि, कई सबूत होने के बावजूद अमेरिकी जिला अदालत की जूरी ने उसे मुंबई हमलों में शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया। जनवरी 2013 में राणा को संघीय जेल में 14 साल की सजा सुनाई गई, इसके बाद उसे पांच साल तक निगरानी में रखने का निर्देश दिया गया।
जिसके बाद जब डेविड हेडली ने दोनों मामलों में अभियोजकों को खुलकर तहव्वुर राणा के खिलाफ सबूत दिए थे। हालांकि, राणा के वकीलों का कहना था कि डेविड हेडली झूठ बोलकर बच निकलने में माहिर रहा है। उसने कई पुराने दोस्तों को आपराधिक मामलों में फंसाया और खुद कम सजा के साथ बच निकला।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में उसने कहा कि वह पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है, इसलिए भारत में उसे टॉर्चर किया जा सकता है, जो कि बेहद कम समय में उसकी जान ले सकता है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 26/11 हमले के आरोपी के प्रत्यर्पण पर मुहर लगा चुके हैं। ऐसे में तहव्वुर राणा को सरकारी मदद मिलने की संभावना कम है। भारत ने भी उसके प्रत्यर्पण की संभावना को देखते हुए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
भारत में लाए जाने के बाद तहव्वुर के लिए क्या हैं तैयारियां?
- राणा को भारत ला कर एनआईए की अदालत में पेश किया जाएगा। एनआईए पूछताछ के लिए अदालत से उसकी हिरासत मांगेगी। इसके साथ ही भारत में राणा के खिलाफ मुंबई आतंकी हमला मामले में न्यायिक प्रक्रिया की शुरुआत होगी।
- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फरवरी में संकेत दिए थे कि तहव्वुर राणा को उसी जेल में रखा जाएगा, जहां 26/11 हमले को अंजाम देने वाले आतंकी अजमल कसाब को रखा गया था।
- दूसरी तरफ दिल्ली के तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी तहव्वुर राणा के लिए उच्च सुरक्षा वाला जेल वार्ड बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि, राणा को कहां रखा जाएगा इस पर अंतिम फैसला गृह मंत्रालय लेगा।
- अमेरिकी अदालत में अपने बचे हुए मौकों को खत्म करने के बाद राणा को ट्रंप सरकार की तरफ से प्रत्यर्पित कर दिया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी जानकारी मिलते ही एनआईए की एक टीम उसे लेने के लिए रवाना हुई। इसमें आईजी-डीआईजी और दो जूनियर अधिकारी के शामिल होने की बात सामने आई है।