Wednesday, January 8, 2025
- Advertisement -

खेतीबाड़ी: नेपियर घास,  एक बार लगाएं पांच साल हरा चारा पाएं!

नेपियर घास में आॅक्सैलिक अम्ल की मात्रा कुछ अधिक होती है। इसलिए नेपियर घास को ग्वार या लोबिया के साथ मिलाकर पशुओं को खिलाएं।

भूमि

इसे विभिन्न प्रकार की भूमि में उगा सकते हैं, परन्तु फसल की उपज भारी भूमियों की अपेक्षा हल्की भूमि मे अधिक होती है। उत्तम उपज के लिए दोमट अथवा बलुअर दोमट मृदा उपयुक्त है।

खेत की तैयारी

खेत की तैयार के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से की जाती है। इसके बाद 2-5 जुताइयां देसी हल से करते हैं। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए प्रत्येक जुताई के बाद पाटे का प्रयोग किया जाता है। भारत में नेपियर घास की फसल रबी की फसल की कटाई के पश्चात खरीफ ऋतु में तथा बसंत ऋतु (फरवरी-मार्च) में बोई जाती है। अत: इन्हीं के आधार पर खेती की तैयारी की जाती है।

जातियां

पूसा जाइन्ट नेपियर: इसका चारा उत्तम गुण वाला होता है। प्रोटीन व शर्करा अधिक मात्रा में पाया जाता है। चारा मुलायम, अधिक पत्तीदार होता है। सहन करने की क्षमता अधिक होती है। इसकी जड़ छोटी व उथली हुई होती है। जिसके कारण आगामी फसल के लिए खेत की तैयारी में कोई बाधा नहीं होती है।
  • पूसा नेपियर-1: सर्दी में चारा देती है।
  • पूसा नेपियर-2: सर्दी में चारा देती है।
नेपियर बाजरा हाइब्रिड: 1500-1800/ वर्ष पौधे लंबे, शीघ्र बढ़ने वाले व पत्तियां लंबी, पतली, चिकनी तथा तना पतला, रोएं नही होते हैं। कल्ले अधिम मात्रा में बनते हैं। पहली कटाई बोने के 50-60 दिन बाद व अन्य कटाई 35-40 दिन के अंतराल पर करते हैं। यह बहुवर्षीय घास एक बार रोपने के बाद 2-3 वर्ष तक चारा देती है। नवम्बर से फरवरी तक कोई वृद्धि नहीं होती हैं।

बुवाई का समय

वर्षा ऋतु की बुवाई:- जिन स्थानों पर सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती है,  वहां पर नेपियर घास की बुवाई वर्षा ऋतु में जुलाई से अगस्त तक की जाती है।
बसंत ऋतु की बुवाई: नेपियर घास की बुवाई का यह सबसे उत्तम समय (फरवरी से मार्च) होता है। परंतु इस समय फसल की बुवाई उन स्थानों पर की जाती हैं जहां सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हों।

बोने का ढंग एवं बीज की मात्रा

नेपियर घास के बीज में भी अंकुरण शक्ति होती है। परंतु बीज की बुवाई करके उगाई गयी फसल में पौधों की वृद्धि अच्छी नहीं होती है। इसलिए नेपियर की बुवाई वानस्पतिक प्रसारण विधि से की जाती है।
कुंडों में बुवाई: खेत को अच्छी तरह से तैयार करते हैं। खेत में उपयुक्त मात्रा में नमी हो। 90 सेमी की दूरी पर हल से कुंड बनाकर कुंड में टुकड़े डाल देते हैं और पटेला लगाकर उसे ढक देते हैं। 10-15 दिन बाद जब टुकड़े उग जाते हैं, तब खेत की सिंचाई कर देते हैं। इस विधि में 7-10 हजार तने के टुकड़े प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता हैं। 10-15 क्विंटल जड़ौधौं (4-5 हजार जड़ों के टुकड़े) या तनों के टुकड़े प्रति हे. तक बोने के काम आते हैं।
45 अंश के कोण पर राइजोम अथवा तनों के टुकड़ों को गाड़ना: इस विधि में खेत में लगभग 50 सेमी की दूरी पर हल से कुंड बनाए जाते हैं। इन कुंडों में 45 अंश का कोण बनाते हुए टुकड़े इस प्रकार गाड़े जाते हैं कि झुकाव उत्तर कि तरफ रहे तथा टुकड़े में उपस्थित दो कली में से एक कली भूमि के अंदर रहे जिससे जड़ें निकल सकें तथा दूसरी कली भूमि के ऊपर रहे जिससे शाखा उत्पन्न हो सके।

खाद

नेपियर घास अधिक मात्रा में उपज देने के कारण अधिक मात्रा में भूमि से पोषक तत्व शोषित करता है। पौधों की अच्छी वृद्धि एवं अधिक उत्पादन के लिए पर्याप्त मात्रा में भूमि में पोषक तत्व विभिन्न खाद एवं उर्वरकों द्वारा दें। सामान्य अवस्था में 120-150 किलोग्राम नाइट्रोजन और 50-70 किलोग्राम फास्फोरस प्रति वर्ष फसल में दें। भारतीय भूमि में पोटाश पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, इसलिए नेपियर घास को पोटाश देने की आवश्यकता नहीं होती है। नाइट्रोजन और फास्फोरस की कुछ मात्रा फसल को गोबर की खाद से दें। गोबर की खाद का प्रयोग खेत की तैयारी के समय करते हैं। नाइट्रोजन व फास्फोरस की आधी मात्रा का प्रयोग अमोनियम सल्फेट और सुपर फास्फेट से करना बहुत अधिक लाभदायक है।

सिंचाई

अच्छी उपज लेने के लिए खेत में नमी पर्याप्त मात्रा में हो। विशेषत: शीतकाल में पाले से बचाने के लिए गर्मी मे सूखे से बचाने के लिए प्रति कटाई के बाद इसमें सिंचाई कर दें। हल्की भूमि में भारी भूमि की अपेक्षा सिंचाई जल्दी करें। वर्षा ऋतु में सिचाई की जरूरत नहीं होती हैं। ग्रीष्मकाल में 10-12 दिन और अन्य मौसम में 20-25 दिन में सिंचाई करें।

मिश्रित खेती व फसल चक्र

नेपियर घास में आॅक्जैलिक अम्ल की मात्रा अधिक होती है। आॅक्जैलिक अम्ल की मात्रा को कम करने के लिए इसके साथ दलहन फसल को मिश्रित रूप मे उगाते हैं। मिश्रित फसल में दो लाइन के बीच 2.0 मीटर का अंतर रखें। रबी में बरसीम, लुर्सन, जापानी सरसों, मैथी, जई, सैंजी, जौ व मटर तथा गर्मियों में लोबिया व ग्वार इस फसल के साथ मिश्रित रूप में उगा सकते हैं।

निराई-गुड़ाई

 बुआई के 15 दिन बाद अंधी गुड़ाई करें। प्रत्येक कटाई के करने के बाद देशी हल, कल्टीवेटर या फावड़े से निराई-गुड़ाई करते हैं जिससे खरपतवार नष्ट हो जाता है।

कटाई

 सिंचाई एवं उर्वरता का उचित रूप से प्रयोग करने पर नेपियर घास की प्रथम कटाई बुआई के लगभग 70-80 दिन बाद करते हैं। फसल की अन्य कटाई 6-7 सप्ताह के अंतर से की जाती है। पौधे की कटाई भूमि की सतह से 8-10 सेमी ऊपर से करें। सामान्य अवस्था में प्रतिवर्ष लगभग 4-6 कटाई मिल जाती है। फसल को दो-तीन साल से अधिक समय तक एक खेत में नहीं रखें।
उपज: हरे चारे की उपज साधारणतया 1000 क्विंटल/हेक्टे. होती है। परंतु अच्छी फसल से 2500 क्विंटल/हेक्टे. उपज प्राप्त हो जाती है।

फीचर डेस्क Dainik Janwani

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

नववर्ष पर IRCTC लेकर आया है पुरी के साथ कोणार्क घूमने का सुनहरा मौका

जनवाणी ब्यूरो | लखनऊ: इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन...

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने महाकुम्भ प्रयागराज के लिये किया प्रस्थान

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल...

Sakat Chauth 2025: सकट पर करें ये उपाय, संतान की उम्र होगी लंबी

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर खुलेगी इन राशियों की किस्मत, रुके हुए काम होंगे पूरे

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img