- भाजपा सांसद पर भारी निगम के भ्रष्टाचार की जांच में शामिल आरोपी अधिकारी
- भ्रष्टाचार के आरोप में शामिल अधिकारियों ने बताया कि मामला कोर्ट में लंबित
- नहीं दिखाये कोर्ट के वाद के साक्ष्य-बोले नो कमेंट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम वार्ड-35 के सड़क घोटाले को जनता अभी भूली नहीं हैं। भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल की शिकायत पर इसमें जांच हुई, जिसमें दो अधिकारियों को जांच रिपोर्ट में दोषी पाया गया था। महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि सड़क घोटाले के दोषियों को बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती, लेकिन यहां तो नगरायुक्त अमित पाल शर्मा दागदारों पर कुछ खास मेहरबान हैं। यही वजह है कि मेला निर्माण समिति में ऐसे अफसरों को जिम्मेदारी दे दी गई, जो दागदार हैं। ये सवालों के घेरे में हैं।
नगर निगम के वार्ड-35 ट्रांसपोर्ट नगर की गुप्ता कॉलोनी से नवीन मंडी गेट नंबर-दो को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण 15वें वित्त से किया गया था। इस सड़क निर्माण में तमाम घोटालों के आरोप लगे तो मामला मीडिया की सुर्खिंया भी बना। इसके बाद ही भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने भी संज्ञान लिया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पत्र लिख दिया।
उधर, कमिश्नर ने इसकी जांच कराई तो त्रिसदस्यीय समिति की नगर निगम मेरठ निर्माण अनुभाग द्वारा वार्ड-35 टीपीनगर की गुप्ता कॉलोनी से नवीन मंडी के गेट से जेके टायर्स तक 300 मीटर लंबी सड़क के निर्माण संबंधी कार्य में जो लापरवाही बरती गई, उसकी जांच के निर्देश दिये गये। जांच समिति मौके पर पहुंची तो पता चला कि जिस सड़क की लंबाई लगभग 300 मीटर है। वह टेंडर में 600 मीटर पास की गई है, जिस पर खर्च भी करीब दो करोड़ 28 लाख रुपया दर्शाया गया।
वहीं सड़क में डिवाइडर का प्रावधान टेंडर में किया गया था। उसका भी निर्माण नहीं हुआ, जिसमें निर्माण के साथ ही 27 सितंबर 2021 को जो पूर्व में निर्माण के दौरान जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर हुये उस जांच रिपोर्ट में भी कोई टिप्पणी सड़क की कम लंबाई एवं डिवाइडर निर्माण आदि पर टिप्पणी के रूप में नहीं किये गये, जिसमें तत्कालीन अवर अभियंता राजेंद्र सिंह, सहायक अभियंता नानकचंद तत्कालीन अभियंता विकास कुरील के हस्ताक्षर उक्त निर्माण संबंधी पत्रावली पर अंकित मिले थे।
जांच समिति ने इस मामले में केके सिंघल सहायक अभियंता नगर निगम,राजवीर सिंह, नानकचंद, महेश बालियान, विकास कुरील, अमित शर्मा, देवपाल सिंह के नाम जांच में शामिल किये। इन सभी के पत्रावली पर हस्ताक्षर मिले। किसी ने भी 300 मीटर की सड़क का बजट जो 600 मीटर दशाई गई उस पर सवाल नहीं उठाये। जिसमें जांच में टीम ने 40 प्रतिशत निर्माण मौके पर कम पाया।
इस पूरे मामले में राजेंद्र सिंह तत्कालीन क्षेत्रीय अवर अभियंता नगर निगम, पदम सिंह अवर अभियंता तकनीक नगर निगम, नानकचंद तत्कालीन क्षेत्रीय सहायक नगर निगम मेरठ, विकास कुरील वर्तमान अधिशासी अभियंता समेत चार लोगों को जांच समिति ने पूरी तरह से दोषी माना था तथा 15 वें वित्त आयोग की मंडलीय बैठक कार्यवृत में दिये गये निर्देशों के अनुसार लोक निर्माण विभाग एवं नगर निगम मेरठ के संयुक्त अभियंताओं की संयुक्त जांच समिति ने स्थलीय निरीक्षण किया था
और उक्त आधार पर अपनी संयुक्त जांच आख्या प्रश्नगत कार्य के संदर्भ में सड़क की लंबाई पूर्ववत त्रुटिपूर्ण 600 मीटर अवगत कराते हुये कार्य कराये जाने की संस्तुति सहमति प्रदान की गई थी। इस मामले में जांच टीम में शामिल मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अवधेश कुमार, मुख्य वित्त एवं लेखाअधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह यादव, नगर आयुक्त द्वारा जांच रिपोर्ट आयुक्त मेरठ मंडल मेरठ को भेजी गई थी।
उक्त जांच रिपोर्ट के आधार पर धर्मेंद्र सिंह प्रताप सिंह विशेष सचिव ने निदेशक उत्तर प्रदेश नगर निकाय निदेशालय लखनऊ नगर विकास अनुभाग 4 को कार्यवाई के संबंध में लिखा, जिसमें तत्कालीन अवर अभियंता सिविल राजेंद्र सिंह जिनका गाजियाबाद के लिये स्थानान्तरण किया गया। साथ ही अवर अभियंता सिवल पदम सिंह को पूर्ण रूप से दोषी माना गया।
इस घोटाले में राजेंद्र सिंह तत्कालीन अवर अभियंता सिविल राजवीर सिंह को मेरठ सम्प्रति नगर निगम गाजियाबाद एवं पदम सिंह अवर अभियंता सिविल को निलंबित कर दिया गया था। दरअसल, नौचंदी मेले की जो महत्वपूर्ण समिति निर्माण समिति बनी है, उसमें विकास कुरील अधिशासी अभियंता व पदम सिंह अवर अभियंता तकनीक नगर निगम को जिम्मेदारी सौंप दी गई हैं। ये सभी दागदार हैं, फिर जिम्मेदारी कैसे दी? ये भी बड़ा सवाल हैं।
नहीं सुना गया हमारा पक्ष
- जो जांच टीम गठित की गई उस टीम के द्वारा उनका पक्ष लेकर जांच में शामिल करना चाहिए था। हमारा पक्ष नहीं सुना गया। एक पक्षीय कार्रवाई जांच टीम के द्वारा की गई है। जिसके लिये तत्कालीन क्षेत्रीय अवर अभियंता राजेंद्र सिंह के द्वारा मामले में कोर्ट का भी सहारा लिया गया है। -विकास कुरील, वर्तमान अधिशासी अभियंता नगर निगम
टीम ने किया गलत नाम शामिल
- मेरा कार्य तकनीकी जांच संबंधी होता है, जिसमें टीम द्वारा मेरा नाम गलत शामिल किया गया। मेरा इस मामले में कोई दोष नहीं है। -पदम सिंह वर्तमान अवर अभियंता तकनीक नगर निगम
जांच में गलत दोषी ठहराया
- इस संबंध में जब राजेंद्र सिंह तत्कालीन क्षेत्रीय अवर अभियंता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि फिलहाल वह गाजियाबाद में पोस्टिड है। वहीं, इस मामले में उन्हे जांच में गलत दोषी ठहराया गया। मामला कोर्ट में है, जब उनसे पूछा गया कि इस मुकदमें में आपके पक्ष के द्वारा किन्हे पार्टी बनाया गया और वादी कौन है या वाद संख्या क्या है तो बस उन्होंने कहा कि नो कमेंट, कुछ नहीं बताना, फोन कट कर दिया गया। -राजेद्र सिंह तत्कालीन क्षेत्रीय अवर अभियंता नगर निगम