जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जुटी विपक्षी एकता के दिग्गज ही नहीं, मीडिया भी इस उधेड़बुन में है कि आखिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की गाड़ी बिहार के नाम पर आकर रुक क्यों गई है? लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सीटों का बंटवारा क्यों अटक गया है? तो, इन सवालों का जवाब सामने आ रहा है। जल्द ही औपचारिक घोषणा संभव है।
एनडीए लोकसभा चुनाव के साथ आगे के लिए भी इसी समय फेस-टू-फेस डील कर रहा है। मतलब, अभी ऐसे सीट बांटेंगे। जिन्हें यह नहीं मिलेगा, उन्हें कब क्या देंगे। इस डील में कहीं-न-कहीं विधानसभा चुनाव तक की तैयारी है।
मौजूदा हालत पहले देखें, तब डील समझ सकेंगे
लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटें अभी एनडीए के पास हैं। इसमें 17 सीटें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), 16 जनता दल यूनाईटेड (जदयू) और छह लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के पास हैं। मौजूदा घटक दलों में हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा- सेक्युलर (हम-से) के पास कोई सांसद नहीं है। इधर, बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से एनडीए के घटक दलों के बीच भी सबसे मजबूत भाजपा ही है। उसके पास 78 सीटें हैं। इसके बाद जदयू के पास 45 विधायक हैं। चार विधायक हम-से, यानी जीतन राम मांझी की पार्टी से हैं।
एक विधायक निर्दलीय हैं। यानी, 128 अपनी संख्या है। एनडीए के घटक दलों में लोक जनशक्ति पार्टी के पास एक भी विधायक नहीं। उसने विधानसभा चुनाव में जदयू के दो दर्जन प्रत्याशियों को हराने में भूमिका निभाई, लेकिन एक ही विधायक जीते। उस विधायक ने जदयू में विलय कर लिया। यानी, लोजपा खाली है। यही हाल उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का है। कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक मोर्चा के पास सांसद भी नहीं, विधायक भी नहीं हैं।
आपदा प्रबंधन के साथ अगली तैयारी
लोकसभा चुनाव में सीट बंटवार इतने घटकों के बीच आपदा ही है। ऐसा इसलिए, क्योंकि दोनों बड़ी पार्टियां 17 और 16 सीटों पर अपनी तैयारी कर रही हैं। लोजपा के छह सांसद हैं, लेकिन अब यह दो टुकड़ों में है। दोनों टुकड़ों की अपनी-अपनी कहानियां हैं।
इसके अलावा, बगैर सांसद वाले जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। इन सभी के अलावा, एक नई एंट्री की चर्चा हो रही है- मुकेश सहनी के विकासशील इंसान पार्टी की। 40 सीटों में से जीते 39 पुराने फॉर्मूले पर रहे तो भी एक ही सीट बचेगी। इसलिए बंटवारे के नाम पर सिर फुटौव्वल की आपदा को देखते हुए प्रबंधन के नजरिए से अगली तैयारी भी हो रही है।
अब एक नजर संभावित डील पर
जदयू 16 सीटों पर तैयारी कर रहा है और वह इतने से कम में मान भी नहीं रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली जाकर इंग्लैंड चले गए। जदयू-भाजपा के बीच समन्वय स्थापित करने वाले राज्यसभा सांसद संजय झा भी दिल्ली में थे। फिर भी सीट बंटवारे की घोषणा नहीं हो सकी।
बताया जा रहा है कि भाजपा ने संसदीय 16 सीटों को जदयू को देने की स्थिति में विधानसभा सीटों का एक बड़ा हिस्सा उससे मांगा है, ताकि लोजपा, हम-से, रालोमो और वीआईपी को सम्मानजनक अवसर मिल सके।
इस डील के जरिए चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को संतुष्ट करने का तो प्रयास किया ही जा रहा है, रालोमो और वीआईपी को भी अच्छा भविष्य दिखाया जा रहा है। हम-से के पास अभी चार विधायक हैं और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के लिए किसी राजभवन की तैयारी का ऑफर भी चर्चा में है।