- स्नातक स्तरीय चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए की ओर से आयोजित की जाती है यह परीक्षा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: स्नातक स्तरीय चिकित्सा पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ओर से 17 जुलाई को नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) का आयोजन किया जाएगा। हालांकि सोशल मीडिया पर लगातार कई छात्रों की ओर से परीक्षा को टालने के लिए लगातार गुहार लगाई जा रही है। मगर ऐसा नहीं है जल्द ही नीट अंडर ग्रेजुएट परीक्षा के एडमिट कार्ड जारी किए जाने की उम्मीद है।
बता दें कि हर साल देश भर में 88 हजार से ज्यादा एमबीबीएस और 27 हजार से ज्यादा बीडीएस सीट के लिए लगभग 14 लाख बच्चे नीट की परीक्षा देते हैं। दरअसल मेडिकल की तैयारी अपने आप में एक तपस्या है, जब तक 100 प्रतिशत डेडीकेशन के साथ तैयारी न की जाए तब तक अपने लक्ष्य तक पहुंच पाना मुमकिन नहीं है। यह डेडिकेशन किसी भी बाहरी फोर्स के जरिए हासिल नहीं किया जा सकता है।
इसके लिए सेल्फ मोटीवेशन ही वह इकलौता सूत्र है, जो सफलता दिला सकता है। द्रोणाचार्य इंस्टीट्यूट के संचालक विजय अरोड़ा का। वह कहते है कि अगर कोई 24 घंटे किताबें खोले बैठा है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह परीक्षा निकाल लेगा। इसके लिए अहम है कि आपका माइंड कितना क्लियर है, विषय पर आपकी पकड़ कैसी है और आप फोकस कितना कर पाते हैं।
अक्सर लोग पूछते हैं कि नीट की परीक्षा की तैयारी के लिए कितना घंटे पढ़ाई करना पर्याप्त होता है, लेकिन मेरे हिसाब से इसका कोई एक फर्मूला नहीं है। हर एक की अपनी क्षमता और समझ होती है। अमूमन नीट उत्तीर्ण करने वाले ज्यादातर बच्चे 10-12 घंटे की पढ़ाई जरूर करते हैं।
630-650 मार्क्स का रखें लक्ष्य
नीट निकालने के लिए कम से कम 630-650 मार्क्स पाने का लक्ष्य तैयारी शुरू करने से पहले बना लेना जरूरी है। क्योंकि इतने मार्क्स हासिल करने वाले विद्यार्थी मनपसंद मेडिकल कॉलेज पा लेते हैं। पिछले वर्ष बिहार में न्यूनतम कटआॅफ 605 था, जबकि दक्षिण में न्यूनतम कट आॅफ 580-590 तक होता है। दरअसल यह आंकड़ा कॉलेज की संख्या पर भी निर्भर करता है। दक्षिण भारत में मेडिकल कॉलेज की संख्या अधिक है। हमारे यहां मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाए जाने की बेहद जरूरत है।
निगेटिव मार्किंग से बचना जरूरी
नीट की परीक्षा देने वाले बच्चों को निगेटिव मार्किंग का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है। अक्सर ही निगेटिव मार्किंग की वजह से रिजल्ट पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि उन्हीं सवालों को हल करें जिनके जवाब को लेकर 100 प्रतिशत आशवस्त हों। वैसे सवालों को छोड़ देना बेहतर है जिनके सही जवाब को लेकर वो पूरी तरह कांफिडेंट न हों। एक गलत जवाब का मतलब पांच अंक कट जाना। परीक्षा देते समय विद्यार्थियों को स्पीड और एक्यूरेसी का खास खयाल रखना चाहिए।
सेल्फ असेसमेंट से ही इम्प्रूवमेंट
कई बार बहुत कम नंबर से बच्चे नीट की परीक्षा में पिछड़ जाते हैं और ऐसा कई बार होता है। इसका हल सेल्फ असेसमेंट में छुपा है। तैयारी करने वाले बच्चे खुद ही अपनी तैयारी का असेसमेंट कर सकते हैं और वो पता कर सकते हैं कि किस विषय में उनकी मजबूत पकड़ है और किस में कमजोर। वो जितना टेस्ट सीरीज की प्रैक्टिस करेंगे उतने ज्यादा इम्प्रूव करेंगे।
अगर कोई बच्चा 20 टेस्ट सीरीज देता है तो उसे खुद ब खुद अंदाजा हो जाएगा कि उनका कमजोर क्षेत्रा कौन सा है। अगर केमिस्ट्री के सारे सवाल सही-सही हल कर दिए और फिजिक्स में लाइट या थर्मोंडायनेमिक्स में गलत किया है तो उन्हें खुद पता हो जाएगा कि उन्हें किस विषय में ज्यादा मेहनत करनी है। बच्चे ऐसे टेस्ट सीरीज से प्रैक्टिस करें जो रिजल्ट के साथ एनालाईज भी कर के देता हो।
13 भाषाओं में होगी नीट परीक्षा
विशेष रूप होने वाली नीट प्रवेश परीक्षा 17 जुलाई को आयोजित की जाएगी। परीक्षा एक पेन और पेपर पर आधारित प्रारूप में आयोजित की जाएगी और एनटीए नीट 2022 परीक्षा 13 भाषाओं अंग्रेजी, हिंदी, असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू में आयोजित की जाएगी।