- सरकार शिक्षा को लेकर खर्च करती है करोड़ों, विभाग लगा रहा पलीता
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: सरकार शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए प्रतिवर्ष शासकीय कार्यों के निर्माण पर लाख करोड़ों रुपये खर्च करती है। उस पैसे का दुरुपयोग हो और उसके खंडहर जनता को मुंह चिढ़ाएं तो क्रोध और बढ़ जाता है। कुछ ऐसा ही नजारा है, ब्लॉक क्षेत्र स्थित गांव खोडराय का है। जहां प्राथमिक विद्यालय के भवन का ध्वस्तीकरण कर शिक्षा विभाग शायद भवन बनाना भूल गया।
इससे क्षेत्र की जनता में क्रोध पनप रहा है। सरकार शिक्षा को लेकर करोड़ों रुपये का बजट तैयार करती है। लगातार संसाधन बढ़ाने का दावा किया जाता है। शिक्षकों को भी वेतन अच्छा खासा दिया जाता है। पूरा फोकस इस बात पर है कि शिक्षण संस्थानों को आधुनिक और रोचक बनाया जाए, ताकि बच्चे शासकीय स्कूलों में पढ़ने के लिए प्रेरित हो और संसाधनों का पूर्ण उपयोग किया जा सके, लेकिन इस हाल में ये संभव नहीं लगता।
इन सबके बीच कुछ ऐसे नजारे सामने आते हैं कि आप देख और सुनकर ही भौचक्के रह जाएंगे। कभी टूटी और जर्जर बिल्डिंग में पढ़ते बच्चे दिखेंगे तो कभी बच्चों की बहुतायत होने के बाद विद्यालयों में स्टाफ नहीं मिलेगा। यानी आप कह सकते हैं कि शिक्षा विभाग में कुछ ऐसा चल रहा है। मामला ऐतिहासिक नगरी हस्तिनापुर ब्3लॉक के गांव खोडराय का है।
जहां तकीबन एक साल पूर्व स्कूल में पढ़ाने वाले बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए जर्जर हाल भवन को तहस नहस कर दिया। बताया गया था कि कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक के लगभग 160 बच्चे इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। लिहाजा यहां पांच कमरों के एक विद्यालय भवन की आवश्यकता है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मामला संज्ञान में होने के बाद भी स्कूल में पांच कक्षाएं महज एक भूकंप रोधी कक्ष या खुले आसमान की नीचे सुचारू हो रही है।
लगभग एक साल से खुले में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चे
ग्रामीणों की माने तो लगभग एक साल पूर्व शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल के जर्जर हाल भवन को नीलाम कर तोड़ दिया गया। तब से स्कूल में कक्षा एक से पांचवीं तक शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चें को बेमौसम बरसात, कड़कड़ाती सर्दी हवाओं के साथ गर्मी में भी खुले आसमान के नीचे ही शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। यह हाल तब है, जब ग्रामीणों के साथ ग्राम प्रधान भी दर्जनों शिकायत विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से कर चुके हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण
स्थानीय रहवासी बताते हैं कि ज्यादातर बच्चे गरीब हैं, जो निजी स्कूलों में पढ़ने के लिए नहीं जा सकते हैं। मजे की बात ये है कि ग्राम प्रधान अमित कुमार भी इसकी शिकायत कई बार आलाधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन अभी तक विद्यालय भवन निर्माण की फाइल आगे बढ़ती नजर नहीं आ रही है।
क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी
भवन के हालात जर्जर होने के चलते पिछले शिक्षण सत्र में भवन तोड़े गए थे इस शिक्षण सत्र में स्कूल प्रांगण में भवन बनाने की डिमांड की जाएगी। जिसके बाद जल्द ही भवन निर्माण हो जाएगा।
-राहुल धामा, खंड शिक्षा अधिकारी