- शिकायत के बाद भी नहीं की जा रही जांच
- विभागीय लापरवाही से ठेकेदार कर रहा घटिया सामग्री का इस्तेमाल
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: कोविड से मचे हाहाकार के बाद देशभर में मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड की कमी नजर आई। प्रदेश सरकार में असमय आने वाली आपदाओं से निपटने के लिए प्रदेश भर के जिला अस्पतालों के साथ सीएचसी और पीएचसी में अलग से सिविल अस्पताल बनाने की घोषण की। विभागीय अनदेखी के चलते सरकार की मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत हस्तिनापुर सीएचसी में बनाई जा रही 20 बेड के वार्ड के निर्माण कार्य में प्रयोग हो रही घटिया सामग्री को देखकर लगाया जा सकता है। निर्माण कार्यों में न गुणवत्ता का ध्यान है। प्रयोग हो रही पीली र्इंटों की तरफ लोगों की शिकायत के बाद भी अधिकारी संज्ञान ले कार्रवाई के लिए तैयार नहीं है।
लोगों को सुगम और सस्ती चिकित्सा सेवा मुहैया करने के लिए सामुदायिक स्वास्थ केंद्र हस्तिनापुर परिसर में 20 बेडों के सिविल अस्पताल का निर्माण कार्य किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बनाये जा रहे अस्पताल भवन निर्माण का ठेका नेशनल बिल्डिंगस कंस्ट्राक्शन कॉपोरेशन लिमिटेड को दिया गया है। कम्पनी द्वारा निर्माण कार्य में लगाता घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।
इस ओर अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। अस्पताल परिसर में आने वाले लोगों की माने तो वे कई बार विभागीय अधिकारियों से निर्माण कार्य में अनियमितता की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन निर्माण की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं किया गया उल्टे घटिया सरिये और र्इंटों को प्रयोग खुलेआम किया जा रहा है। एक शिकायत कर्ता ने बताया कि उन्होंने ने सीएचसी परिसर में बनाये जा रहे सिविल अस्पताल के निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।
जिसमें बालू में सिल्ट कंटेंट पांच फीसदी चलता है, लेकिन यहां जो बालू लगाई जा रही है, जिसमें 50 फीसदी से अधिक सिल्ट कंटेंट की मात्रा देखी जा रही है। गिट्टी, सीमेंट और लोहा भी घटिया स्तर का उपयोग किया जा रहा है। निर्माण कार्य में जो लोहे का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह जंग लगा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि विभाग द्वारा सुपर विजन के लिए कोई भी इंजीनियर नहीं जाता है। इस लापरवाही के कारण ठेकेदार द्वारा जमकर धांधली की जा रही है।
शिकायतों के बावजूद नहीं दिया जाता ध्यान
निर्माण कार्य में धांधली की शिकायतें मिलने के बावजूद अधिकारियों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी घटिया निर्माण कार्य की जांच नहीं करा रहे हैं। ऐसे में घटिया सामग्री से बने गुणवत्ताहीन भवन के जल्द क्षतिग्रस्त होने की आशंका बनी रहेगी। नियमानुसार निर्माण स्थल पर एस्टीमेट एवं डीपीआर का निर्माण स्थल पर बोर्ड लगाकर सार्वजनिक किया जाना चाहिए, लेकिन ठेकेदार ने बोर्ड नहीं लगाया है।
क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी?
विभागीय जेई की माने तो मामला उनके संज्ञान में है। जिसके चलते वे कई बार शिकायत आलाधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।
-प्रवीण जैन, जेई स्वास्थ्य विभागमामला संज्ञान में नहीं है। घटिया समाग्री का प्रयोग किया जा रहा है तो सामग्री को बदला जायेगा। उसके बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जायेगा। गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जायेगा।
-नागेंद्र कुमार, जरनल मैनेजर नेशनल बिल्डिंगस कंस्ट्राक्शन कॉपोरेशन लिमिटेड