- लोगों को उधार पैसा देकर मोटी कमाई कर रहे सूदखोर
- समय पर पैसा नहीं लौटाने पर लगाते हैं चक्रवृद्धि ब्याज
- हाल ही में सूदखोर से परेशान होकर दो लोग दें चुके हैं जान
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ब्याज में पैसा देकर कर्जदार का सबकुछ लूट लेने वाले सूदखोरों का आंतक इन दिनों चरम पर है। खासकर तब जब योगीराज में गरीब लोगों की जमीन हथियाने वाले बाहुबलियों, माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई का डंका बज रहा है। हर कोई योगी के जयकारे लगा रहा है, लेकिन सूदखोर है कि शासन-प्रशासन की आंखों में धूल झोककर गरीबों को लूट रहे हैं और धमकियां दें रहे हैं।
आत्महत्या करने को विवश कर रहे हैं। योगी के सख्त निर्देश के बाद भी बेलगाम सूदखोरों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर उनके इशारे पर ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में मनी लॉड्रिंग एक्ट की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। हाल ही में शहर में सूदखोर से परेशान होकर दो लोगों ने अपनी जान दें दी और एक किशोरी ने जहरीला पदार्थ खाकर जान देने का प्रयास किया। किशोरी इस वक्त अस्पताल में जिंदगी व मौत से जूझ रही है। इसके बावजूद पुलिस चाह कर भी ऐसे सूदखोरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है, जिनके उत्पीड़न से परेशान लोग आत्महत्या करने को विवश हो रहे हैं।
शहर में ब्याज पर रकम देकर कर्जदार से कई गुना पैसा वसूलने का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। हालांकि कोई इसकी शिकायत नहीं करता। परिणाम यह है कि सूदखोरी का अवैध धंधा बड़े पैमाने पर फलफूल रहा है। सूदखोरी का धंधा करने वाले लोग बिना लाइसेंस के ब्याज पर रुपया देते हैं।
गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाकर आजीवन उनसे अवैध रूप से ब्याज वसूलते रहते हैं। ऐसे सूदखोर वसूली के लिए अपराधियों को भी एजेंट बनाकर रखते हैं, जो सूद पर उधार लेने वालों को डरा-धमकाकर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का शोषण करते हैं। जब ब्याज व मूलधन की राशि समय पर नहीं लौटा पाने पर सूदखोरों के द्वारा जमीन, जायदाद समेत अन्य संपत्ति को गिरवी रख लेते हैं।
हाल यह है कि आड़े वक्त में सूद पर रुपया उधार लेने वाले लोगों को कर्ज लेने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है तो कुछ लोग जमीन-जायदाद से हाथ धो बैठते हैं। आलम यह है कि सूद पर कुछ हजार रुपये का कर्ज देकर सूदखोर लोगों को इतना भयभीत कर देते हैं कि उन्हें अपनी महीने भर की कमाई का बड़ा हिस्सा चुकाना पड़ता है। ऐसे में गृहस्थी की गाड़ी लड़खड़ाने लगती है और सूदखोरों से भयभीत कर्जदार खुदकुशी पर मजबूर हो जाते हैं।
हाल ही में मोहनपुरी के रहने वाले इनवर्टर बैट्री व्यापारी योगेंद्र सिंह ने एक सूदखोर के उत्पीड़न से परेशान होकर एसएसपी आवास के पास कार में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी, वहीं शनिवार को नौचंदी थाना क्षेत्र के एल-2 शास्त्रीनगर के रहने वाले सब्जी विक्रेता मनोज पुत्र जगबीर ने भी एक सूदखोर से परेशान होकर फांसी लगाकर जान दे दी। शनिवार को ही लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र की एक रहने वाली एक किशोरी ने भी सूदखोर से परेशान होकर जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। फिलहाल किशोरी मेडिकल कॉलेज में जिंदगी व मौत से जूझ रही है।
सूदखोरों के खिलाफ है सख्त कानून
उत्तर प्रदेश साहूकार विनियम अधिनियम-2008 की धारा 12 के मुताबिक लाइसेंसधारी साहूकार कर्ज दे सकते हैं। वह भी निर्धारित शर्तों और नियमों के मुताबिक। साहूकार अपने द्वारा दिए गए कर्ज पर वाणिज्यिक बैंक द्वारा निर्धारित दर से ब्याज ले सकता है। बिना लाइसेंस ब्याज पर कर्ज देना प्रतिबंधित है।
इस पर धारा-22 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। अधिनियम की धारा-11 में कहा गया है कि गिरवी रखी गई वस्तु को साहूकार अमानत की तरह रखेगा। इकरारनामे में मूलधन का उल्लेख और रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज होना चाहिए। कर्जदार किस्त वापस करे तो एक गवाह के सामने साहूकार इसे लेकर रसीद देगा। बिना रजिस्ट्रेशन के साहूकारी करने या शर्तों का उल्लंघन करने पर छह माह तक की जेल और पांच हजार रुपये तक जुर्माना या दोनों सजाएं हो सकती हैं। एक्ट की धारा-23 में प्रावधान है कि कर्जदार का उत्पीड़न किया तो तीन माह की कैद या 500 रुपये जुर्माना अथवा दोनों सजाएं हो सकती हैं।
सूदखोर कैसे बिछाते हैं जाल?
सूदखोर अक्सर मजबूर लोगों की ताक में रहते हैं। जब किसी को पैसे की बेहद जरूरत पड़ती है तो वह सूदखोर के पास जाता है। शुरू में पांच टका ब्याज तय होता है, लेकिन जब ब्याज की रकम वक्त पर नहीं चुकाई गई तो यही ब्याज 30 टका तक पहुंच जाता है।
आत्महत्या की वजह
पैसे देने से पहले अक्सर सूदखोर ब्लैंक चेक पर साइन करवा लेते हैं। कई बार वह जमीन भी लिखवा लेते हैं। वक्त पर पैसे न आने पर सूदखोर सामाजिक बेइज्जती करने की धमकी देते हैं। चेक बाउंस होने पर जेल भिजवाने की धमकी देते हैं। अक्सर दबंगों से कर्जदार को धमकाया भी जाता है। ऐसे में कर्ज लेने वाले शख्स को आत्महत्या ही एक रास्ता नजर आता है।
साहूकारी का लाइसेंस लेने के नियम
- एसएसपी और एसडीएम की रिपोर्ट पर ही मिलता है साहूकारी का लाइसेंस
- हर साल कराना पड़ता है लाइसेंस का नवीनीकरण
- लाइसेंस और नवीनीकरण का शुल्क 15 रुपये
- लाइसेंस लेने के लिए बैंक में पैसा होना जरूरी
- बैंक की तरह सालाना ब्याज दर पर ही लिया जा सकता है ब्याज
- बिना लाइसेंस छह माह की सजा या पांच हजार रुपये का जुर्माना