Saturday, June 21, 2025
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Axiom-4 Launch Date: Ax-4 मिशन की नई लॉन्च डेट घोषित, शुभांशु शुक्ला अब 19 जून को भरेंगे अंतरिक्ष की उड़ान

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। भारतीय अंतरिक्ष प्रेमियों के लिए बड़ी खबर है। कुछ दिनों पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए गए Axiom-4 (Ax-04) मिशन की अब नई लॉन्च तिथि घोषित कर दी गई है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अब 19 जून, 2025 को अंतरिक्ष की अपनी पहली ऐतिहासिक यात्रा पर रवाना होंगे। यह मिशन NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के ज़रिए लॉन्च किया जाएगा।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा को लेकर अब तस्वीर साफ हो गई है। Ax-4 मिशन की लॉन्च तिथि की पुष्टि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), Axiom Space और SpaceX के बीच हुई एक महत्वपूर्ण तकनीकी बैठक के बाद की गई है। बैठक के दौरान अधिकारियों ने हाल ही में हुई तकनीकी चिंताओं पर चर्चा की। इस दौरान सबसे ज्यादा फाल्कन 9 लॉन्च वाहन में तरल ऑक्सीजन रिसाव पर भी मंथन हुआ। स्पेसएक्स इंजीनियरों ने अब इस परेशानी को हल कर लिया है और रॉकेट अब अपने अगले महत्वाकांक्षी मिशन के लिए तैयार है।

शुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना के एक सेवारत पायलट और इसरो के सबसे नए अंतरिक्ष यात्री, एक्स-04 मिशन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दल में शामिल होंगे। यह भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करने वाले कुछ भारतीयों में से एक बन जाएंगे।

एक्सिओम मिशन 4 क्या है?

यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक होगा, साथ ही पोलैंड और हंगरी के लिए भी। ये दोनों देश 40 साल बाद पहली बार मानव अंतरिक्ष उड़ान में हिस्सा लेंगे। यह पहली बार होगा जब भारत, पोलैंड और हंगरी एक संयुक्त मिशन के तहत आईएसएस पर साथ जाएंगे। इस मिशन को फाल्कन 9 रॉकेट पर स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल में लॉन्च किया जाएगा। एक्सिओम-4 चालक दल का प्रक्षेपण फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर में लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से होगा।

पैगी व्हिटसन संभालेंगी मिशन की कमान

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि मिशन में नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन भी शामिल हैं, जो मिशन की कमान संभालेंगी। निजी मिशन के अन्य सदस्य पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू हैं, जो पोलैंड और हंगरी के पहले अंतरिक्ष यात्री हैं।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय

इस महत्वाकांक्षी अभियान के तहत भारत जल्द ही ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला है। भारत के शुभांशु शुक्ल अब अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बनने वाले हैं। इतना ही नहीं, वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में पहुंचने वाले पहले भारतीय होंगे। इस मिशन को अमेरिका के अंतरिक्ष अभियानों से जुड़ी कंपनी एग्जियोम स्पेस और नासा के सहयोग से अंजाम दिया जा रहा है। साथ ही एलन मस्क की स्पेसएक्स इस मिशन में अहम भूमिका निभाएगी।

शुभांशु के साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री होंगे शामिल

बता दें कि इस मिशन में शुभांशु के साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री शामिल रहेंगे। शुभांशु शुक्ल इस अभियान के दौरान कई वैज्ञानिक मिशन्स को अंजाम देंगे। शुभांशु ने इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी यह अंतरिक्ष यात्रा भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि वह आईएसएस पर एक निजी एजेंडे के साथ भी जा रहे हैं। वहां वे अपने अनुभवों को वे तस्वीरें और वीडियो के जरिए इकट्ठा करेंगे। शुभांशु ने कहा, मैं इन अनुभवों को साझा करुंगा, ताकि सभी भारतवासी मेरी आंखों से देखी गई चीजों को खुद महसूस करें। मैं भले ही एक व्यक्ति की तरह यह यात्रा कर रहा हूं, लेकिन यह सफर 1.4 अरब लोगों का है।

शुभांशु शुक्ला कौन हैं?

शुभांशु शुक्ला का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 10 अक्तूबर 1985 को हुआ था। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे शुभांशु लखनऊ के अलीगंज में स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में पढ़े और 2001 में स्कूली शिक्षा पूरी की।

शुभांशु का परिवार मूलतः उत्तर प्रदेश के ही हरदोई स्थित संडीला से है। हालांकि, उनके पिता शंभू दयाल शुक्ल सत्तर के दशक में लखनऊ आ गए थे। उनकी मां गृहिणी हैं। वहीं, दो बहनें निधि और शुचि हैं।

शुभांशु की पत्नी डॉ. कामना डेंटिस्ट हैं और उनका एक बेटा (कियास) है। शुभांशु को परिजन प्यार से गुंजन बुलाते हैं।

2003 में उन्हें एनडीए में चुना गया। ट्रेनिंग के बाद शुभांशु ने विमानन क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की और भारतीय वायुसेना का हिस्सा बने।

17 जून 2006 को शुभांशु भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स को उड़ाने वाले बेड़े का हिस्सा बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने करियर में आगे बढ़ते हुए 2019 में उन्होंने विंग कमांडर की रैंक हासिल की।

शुभांशु फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास लगभग दो हजार घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने एसयू-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, एएन-32 समेत कई तरह के विमान उड़ाए हैं।

गौरतलब है कि 2019 ही वह साल था, जब भारत ने अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन- गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्री की खोज शुरू की थी। शुभांशु का सैन्य रिकॉर्ड और कॉम्बैट अनुभव यहीं अहम साबित हुआ और वे मिशन के लिए चुने जाने वालों में से एक बने।

भारतीय सेना में शामिल होने वाले शुभांशु अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं। उनके परिजन चाहते थे कि शुभांशु सिविल सेवा में जाएं या फिर डॉक्टर बनें, लेकिन वह तो सैन्य अधिकारी बनने की ठाने बैठे थे। उनके एनडीए में चयन की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। शुभांशु ने सेना में जाने के लिए एसएसबी का फॉर्म भरा था। वहीं, उनका एक दोस्त एनडीए का फॉर्म लेकर आया, लेकिन दोस्त का मन पलट गया और उसने एनडीए का फॉर्म भरने से इन्कार कर दिया। शुरू से ही अवसर को भांपने में माहिर शुभांशु ने अपने दोस्त से एनडीए वाला फॉर्म ले लिया और खुद भर दिया। संयोग से शुभांशु का एसएसबी और एनडीए, दोनों में चयन हो गया, लेकिन उन्होंने एनडीए में जाने का निश्चय किया।

एग्जियोम मिशन की लॉन्चिंग से पहले शुभांशु के घर पर जश्न का माहौल है। उनके अंतरिक्ष रवाना होने से उनके घर को उनकी जीवन यात्रा से जुड़े पोस्टर लगाकर सजाया गया है। साथ ही इसमें उनको इस बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई दी गई है। इनमें वह अलग-अलग कार्यक्रमों में दिख रहे हैं। किसी में प्रधानमंत्री मोदी उनका हौसला अफजाई कर रहे हैं। किसी में वह प्रशिक्षण स्थान पर दिख रहे हैं।

भारतीय सेना में शामिल होने वाले शुभांशु अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं। उनके परिजन चाहते थे कि शुभांशु सिविल सेवा में जाएं या फिर डॉक्टर बनें, लेकिन वह तो सैन्य अधिकारी बनने की ठाने बैठे थे। उनके एनडीए में चयन की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। शुभांशु ने सेना में जाने के लिए एसएसबी का फॉर्म भरा था। वहीं, उनका एक दोस्त एनडीए का फॉर्म लेकर आया, लेकिन दोस्त का मन पलट गया और उसने एनडीए का फॉर्म भरने से इन्कार कर दिया। शुरू से ही अवसर को भांपने में माहिर शुभांशु ने अपने दोस्त से एनडीए वाला फॉर्म ले लिया और खुद भर दिया। संयोग से शुभांशु का एसएसबी और एनडीए, दोनों में चयन हो गया, लेकिन उन्होंने एनडीए में जाने का निश्चय किया।

एग्जियोम मिशन की लॉन्चिंग से पहले शुभांशु के घर पर जश्न का माहौल है। उनके अंतरिक्ष रवाना होने से उनके घर को उनकी जीवन यात्रा से जुड़े पोस्टर लगाकर सजाया गया है। साथ ही इसमें उनको इस बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई दी गई है। इनमें वह अलग-अलग कार्यक्रमों में दिख रहे हैं। किसी में प्रधानमंत्री मोदी उनका हौसला अफजाई कर रहे हैं। किसी में वह प्रशिक्षण स्थान पर दिख रहे हैं।

कैसे हासिल की पहली अंतरिक्ष यात्रा के लिए ट्रेनिंग?

शुभांशु शुक्ला का टेस्ट पायलट होना उनके अंतरिक्ष मिशन के लिए चुने जाने की एक बड़ी वजह बना। हालांकि, अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए उन्हें लंबी और कठोर ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा है। भारत और रूस के बीच गगनयान मिशन की ट्रेनिंग के लिए हुए समझौते के तहत शुभांशु को साथी भारतवासियों के साथ 2021 में मॉस्को में गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया। यहां उन्हें जीरो ग्रैविटी से लेकर आपात प्रोटोकॉल्स और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशंस तक की ट्रेनिंग दी गई।

भारत वापस आने के बाद शुभांशु इसरो के बंगलूरू स्थित ट्रेनिंग सेंटर में जारी परीक्षणों में भी शामिल रहे। 27 फरवरी 2024 को आखिरकार गगनयान मिशन के लिए जिन चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम का एलान किया गया, उनमें एक नाम शुभांशु शुक्ल का भी था।

शुभांशु शुक्ला को एक प्रधान अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया है। प्रधान अंतरिक्ष यात्री वह होता है, जिसे उड़ान भरने के लिए चुना जाता है। उनके अलावा प्रशांत बालकृष्णन नायर को एक बैकअप अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुना गया है। किसी भी दुर्घटना की स्थिति में अंतिम समय में अंतरिक्ष यात्री को बदलने की जरूरत होती है तो बैकअप ही इसके लिए तैयार रहता है।

कौन-कौन होगा एग्जियोम के मिशन में शुभांशु का साथी यात्री?

इस मिशन को एग्जियोम और नासा एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की मदद से अंजाम देंगे। स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में शुभांशु शुक्ला के अलावा अमेरिका की कमांडर पेगी व्हिट्सन, पोलैंड से मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोज उज्नान्स्की शामिल रहेंगे। इसके अलावा हंगरी के मिशन स्पेशलिस्ट टिबोर कापू भी अभियान में शामिल रहेंगे।

यह मिशन सिर्फ शुभांशु के लिए निजी तौर पर अहम नहीं होगा, बल्कि एग्जियोम-4 के जरिए वे भारत के अपने गगनयान मिशन के लिए भी तैयारी करेंगे। इस मिशन में हासिल किए गए अनुभव के जरिए शुक्ला गगनयान के बाकी सह-यात्रियों की मदद भी कर सकेंगे। खासकर अंतरिक्ष के माहौल का सीधा अनुभव उनकी और मिशन के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।

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