- अब तक की खानापूर्ति से एनजीटी असंतुष्ट, अधिकारियों पर हो सकती है कार्रवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनजीटी ने ग्रीन बेल्ट को लेकर सख्ती कर दी हैं। अब तक जो खानापूर्ति की जा रही थी, उससे एनजीटी संतुष्ट नहीं हैं। इसमें कार्रवाई नहीं होने पर एनजीटी से अधिकारियों पर कार्रवाई भी संभव हो सकती हैं। एनजीटी ने स्पष्ट कर दिया है कि ग्रीन बेल्ट को कब्जा मुक्त कराएं तथा एनजीटी को मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा की गई कार्रवाई की वीडियो और फुटेज भी उपलब्ध कराई जाए।
एनजीटी में डा. अजय कुमार ने याचिका दायर की थी, जिस पर अमल नहीं हो रहा हैं। पिछले दिनों एनजीटी के आदेश पर ग्रीन बेल्ट में कार्रवाई तो की थी, लेकिन इसके बाद फिर से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को बंद कर दिया गया था। यही वजह है कि पूरी तरह से ग्रीन बेल्ट को कब्जा मुक्त नहीं किया जा सका।
परतापुर से लेकर मोदीपुरम तक ग्रीन बेल्ट में व्यापक स्तर पर अवैध कब्जे किए गए हैं। सड़क के दोनों तरफ अवैध कब्जे हैं, जहां पर होटल, व्यापारिक प्रतिष्ठान आदि का निर्माण करन दिया गया हैं। वर्तमान में भी कई स्थानों पर होटल का निर्माण हाइवे एनएच-58 पर कर दिया गया है। एनजीटी सख्त दिखाई दे रहा है। एनजीटी के स्पष्ट आदेश हैं कि ग्रीन बेल्ट को कब्जा मुक्त किया जाए।
एनजीटी ने यह भी कहा है कि ग्रीन बेल्ट पर किए गए अवैध कब्जों को गिराने की वीडियो और फुटेज भी कराई जाए, जिसको एनजीटी में पेश किया जाए। इस तरह से परतापुर से लेकर मोदीपुरम के बीच दोनों साइड में ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जे कर लिए गए हैं, यह सभी ग्रीन बेल्ट का क्षेत्र हैं। मास्टर प्लान के अनुसार यहां पर कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता हैं, लेकिन इसके बावजूद ग्रीन बेल्ट में कैसे होटल व अन्य प्रतिष्ठान संचालित कर दिये गए।
इसके लिए हो न हो एमडीए के इंजीनियर पूरी तरह से जिम्मेदार हैं? क्योंकि एमडीए इंजीनियरों की सेटिंग से ही ग्रीन बेल्ट में अवैध निर्माण कर बिल्डिंग खड़ी कर दी गई हैं। इन पर कोई कार्रवाई वर्तमान में नहीं की जा रही हैं। ग्रीन बेल्ट में अवैध निर्माण कराने वाले इंजीनियरों पर भी कोई कार्रवाई एमडीए वीसी और कमिश्नर नहीं कर पा रहे हैं। लोगों ने होटल व्यापारिक प्रतिष्ठान, विवाह मंडप तक इस पर बना डाले हैं।
इन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं? यह बड़ा सवाल हैं। व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं? एनजीटी के आदेश के बाद भी ग्रीन बेल्ट में बने निर्माणों को अभयदान दिया जा रहा हैं। आखिर इसके जिम्मेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं? ग्रीन बेल्ट पूरी तरह से लोगों के अवैध कब्जे में है। एनजीटी ग्रीन बेल्ट पर अब तक हुई कार्रवाई से कतई संतुष्ट नहीं है,
जिसके बाद कहा गया है कि ग्रीन बेल्ट को खाली कराए। इसमें मेरठ विकास प्राधिकरण और अन्य विभागों की भी जवाबदेही तय की जाएगी। अब देखना यह है कि एनजीटी की सख्ती के बाद ग्रीन बेल्ट को खाली कराया जाता है या फिर नहीं? …या फिर एनजीटी के आदेश भी हवा हवाई साबित होंगे।
कमिश्नर के आदेश पर पहुंची एमडीए की टीम से अभद्रता
एनएच-58 स्थित आरर्क सिटी के पीछे अवैध कॉलोनी में देर शाम को सड़क का निर्माण कराया जा रहा था, जिसका कुछ लोगों ने विरोध कर दिया। सड़क निर्माण आधी रात को करने की शिकायत फोन से कमिश्नर को की गई, जिसके बाद कमिश्नर ने रात में ही मेरठ विकास प्राधिकरण इंजीनियरों की टीम को मौके पर भेजकर काम रुकवाया।
इस दौरान सड़क निर्माण करा रहे लोगों ने मेरठ विकास प्राधिकरण की टीम के साथ भी अभद्रता कर दी और प्राधिकरण इंजीनियर और निर्माण करा रही लोगों की भीड़ आमने-सामने आ गई, तभी रात में ही कंकरखेड़ा थाने से पुलिस मौके पर पहुंची। इसके बाद ही निर्माण रुकवाया गया।
इस अवैध कॉलोनी को गिराने के लिए फोर्स की मांग की है। बताया गया यह कॉलोनी जगत नामक व्यक्ति की बताई गई है। जगत की पैतृक कृषि भूमि यहां पर थी, जिस पर बिना मानचित्र स्वीकृत कराए किसान ही जमीन पर खुद ही डेवलपमेंट कर प्लाटिंग कर रहा हैं। मेरठ विकास प्राधिकरण की तरफ से एसएसपी को एक पत्र लिखकर फोर्स की मांग की गई है।
बताया गया कि 4 दिन के भीतर जगत नामक व्यक्ति की अवैध रूप से निर्मित की जा रही कॉलोनी को जमींदोज कर दिया जाएगा। फिर से कोई बवाल ना हो इसी वजह से पीएससी और कई थानों की फोर्स की मांग भी मेरठ विकास प्राधिकरण ने की है।