नई दिल्ली, भाषा: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि हम किसी राज्य का अधिकार नहीं छीन रहे हैं और जीएसटी से जुड़ा राज्यों के हिस्से का पैसा केंद्र सरकार निश्चित तौर पर देगी। लोकसभा में कराधान और अन्य विधियां (कतिपय उपबंधों का संशोधन एवं छूट) विधेयक 2020 पेश किए जाते समय वित्त मंत्री ने यह बात कही।
इस दौरान केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर सहित भाजपा सदस्यों की टिप्पणियों के कारण कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सदस्यों ने सदन में काफी शोर-शराबा किया। इसके कारण कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। इससे पहले, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस आदि विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल का प्रयास है। विपक्षी सदस्यों ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत राज्यों के हिस्से का बकाया पैसा देने की मांग की। उन्होंने पीएम केयर्स कोष पर भी सवाल उठाए और इसे प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में मिलाने का सुझाव दिया। वहीं, वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि यह गलतफहमी है कि हम किसी राज्य का अधिकार छीन रहे हैं। मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि हम जिम्मेदारी से नहीं भाग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक कर के भुगतान, टैक्स फाइलिंग और रिटर्न फाइल करने से जुड़ा है और हम ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं जिससे जीएसटी परिषद का उल्लंघन हो। वित्त मंत्री ने कहा कि कर के भुगतान, टैक्स फाइलिंग और रिटर्न फाइल करने का विषय केंद्र सरकार के दायरे में आता है। जीएसटी में राज्यों के हिस्से के विषय का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि हमें राज्यों का जो पैसा देना है, वह बिल्कुल देंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं, उन्हें मालूम है कि राज्यों की क्या परेशानियां हैं। हमें प्रधानमंत्री से इस बारे में मार्गदर्शन मिलता रहता है। सीतारमण ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि राज्यों का भुगतान नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हम निश्चित तौर पर पैसा देंगे, इसलिए इस बारे में गलत व्याख्या नहीं की जाए। गौरतलब है कि कराधान और अन्य विधियां विधेयक में करदाताओं के लिये विभिन्न प्रकार के अनुपालन राहत का प्रस्ताव किया गया है जिसमें रिटर्न जमा करने की समय अवधि बढ़ाने, आधार को पैन से जोड़ने जैसे विषय शामिल हैं।
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