- रखरखाव का अभाव, अव्यवस्था एवं व्याप्त गंदगी पार्कों की बदहाली को दर्शा रही
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर के सुंदरीकरण और लोगों को बाहर घूमने-फिरने व व्यायायाम करने के लिए जो नगर निगम ने दर्जनों पार्क तो बना डाले, लेकिन अधिकांश पार्क बदहाली से जूझ रहे हैं। शहर में एक भी पार्क ऐसा नहीं, जहां लोग निडर होकर ताजी हवा ले सके। पार्क में शाम के समय नशेड़ियों का जमावड़ा लग जाता है।
जिससे पार्क में लोग नहीं, अब सिर्फ नशेड़ी ही आते हैं। इसके चलते आम आदमी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लोगों ने बताया कि यहां पर फूलदार पौधे लगाए थे। परंतु देर रात नशेड़ियों द्वारा पार्क में शराब पीने के बाद यहीं पर खाली बोतल व अन्य सामान फेंक देने से पार्क में गंदगी फैल रही है। पार्क की दीवार को अराजक तत्वों ने तोड़ दिया है। शाम होते ही पार्क में नशेड़ियों का कब्जा हो जाता है। पार्क में न झूले हैं और न बैठने की व्यवस्था। कई बार शिकायत करने के बाद भी नगर निगम की बेरूखी से स्थानीय निवासी खासे नाराज हैं।
जिमखाना मैदान के समीप राजकीय महिला उद्यान सहित इन्द्रा चौक पर प्रसिद्ध शायर हफीज मेरठी पार्क, टाऊन हाल घंटाघर, जलीकोठी में अब्दुल हमीद पार्क, माधवपुरम सेक्टर-3 में डा. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद पार्क की अव्यवस्था को देखकर लगता है कि नगर निगम प्रशासन को इसकी जर्रा भी फिक्र नहीं हैं। अधिकांश पार्कों की दीवारें टूट चुकी हैं, इन पार्कों में मनोरंजन के लिये झूले तक नहीं हैं और वर्षों से इन पार्कों की रंगाई-पुताई तक नहीं कराई जा सकी।
यहां तक कि बच्चों के लिये मनोरंजन के साधन भी नहीं हैं और सफाई एवं रखरखाव का तो बुरा हाल है। वर्षों पूर्व टाऊन हाल का पार्क देखते ही बनता था जहां महात्मा गांधी की प्रतिमा के चारों कोनों में सुन्दर रंग बिरंगे फव्वारे हुआ करते थे, लेकिन आज इन फव्वारों की खामोशी स्वयं बयान कर रही है।
जिस तरह सरकार साफ-सफाई एवं स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित किये हुए है। उसी तरह जनता की सुविधा के लिये इन बदहाल पार्कों का दुरुस्त होना बहुत जरूरी है। इन पार्कों में पीने के पानी का अभाव है तो बैठने के लिये प्रयाप्त बैंचे भी नहीं है। नगर निगम द्वारा बच्चा पार्क स्थित प्राचीन पार्क का अस्तित्व समाप्त किये जाने पर पूर्व पार्षद अफजाल सैफी ने सरकार से मांग की है कि इस प्रकरण की जांच गुप्तचर विभाग से कराई जाए। उधर, आम जनता का भी कहना है कि स्वास्थ्य जीवन के लिये पार्कों की अव्यवस्था को सुधारना बहुत जरूरी है और यह जनता की सुख शांति के लिये भी आवश्यक है।
झूलों के नाम पर हो हैं चुका बड़ा घोटाला
नगर निगम ने शहर के पार्कों में झूले लगाये थे, जिसमें बड़ा घोटाला सामने आ चुका हैं। एक्सईएन, एई समेत तीन इंजीनियरों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हो चुकी हैं। घोटाले की जांच कमिश्नर स्तर से चल रही हैं, जिसमें घोटाला साबित होने पर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई संभव हो सकती हैं।
इस तरह से पार्कों में झूले लगाने के नाम पर निगम के अधिकारियों ने घोटाला कर दिया था। इससे निगम की खासी किरकिरी हुई थी। लखनऊ तक यह मामला पहुंच गया था। घोटाला में फंसी एक्सईएन की वर्तमान में तैनाती लखनऊ में हैं, वहीं पर नगर विकास विभाग में अटैच किया गया हैं।
पार्कों में नशेड़ियों का कब्जा
पार्कों की अव्यवस्था एवं बदहाली पर गोर करें तो शहर के कुछ पार्कों का नक्शा सूखा, नशा करने वाले नव युवकों ने दूषित किया हुआ है। पार्कों में उनके जमावड़े से समाज के सभ्य लोगों को भी पार्क में न आने पर मजबूर कर दिया। देखा जाए तो शहर क्षेत्र का टाऊन हाल इस सूखे नशे का मुख्य केन्द्र कहा जाता है। जहां दिन रात चरस एवं सूखा नशा करने वाले टाऊन हाल परिसर में इधर-उधर देखे जा सकते हैं।
कभी-कभी अंदर पार्क में भी नशेड़ी अपनी टोली के साथ जी भरकर नशा करते हैं। जलीकोठी के पार्क का भी यही हाल है यहां भी नशेड़ी रात में पार्क के अंदर बैठकर सूखा नशा करते हैं। क्षेत्र के लोग बताते हैं कि मना करने पर भी यह नशेड़ी बाज नहीं आते। टाऊन हाल में कई बार पुलिस ने नशेड़ियों को पकड़ा, लेकिन बाद में फिर वे अपनी पुरानी जगह आ जाते हैं। इस कारण अधिकांश पार्कों में नशेड़ियों के कब्जे से भी इस अव्यवस्था को बल मिल रहा है। इसके लिये पुलिस प्रशासन को सख्ती करनी पड़ेगी।