Saturday, July 27, 2024
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फजीहत के बाद डैमेज कंट्रोल में अफसर

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  • शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर प्रभारी मंत्री ने लगायी थी लताड़
  • नगरायुक्त ने सफाई की कराई निगम अफसरों से क्रॉस चेकिंग
  • औचक निरीक्षण की रिपोर्ट पर अफसर कुछ भी बोलने को तैयारी नहीं

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: स्वच्छता रैंकिंग को लेकर पहले देशव्यापी फजीहत और उसके बाद जिले के प्रभारी मंत्री की फटकार व भाजपाइयों की चढ़ी त्यौरियां। इतना सब कुछ होने पर अब नगर निगम प्रशासन के आला अफसर डैमेज कंट्रोल मोड में आ गए हैं। माना जा रहा है कि इसके चलते आज नगरायुक्त ने निगम के तमाम अनुभागों के अफसरों की मीटिंग में सफाई व्यवस्था को लेकर क्रॉस चेकिंग करायी।

सूत्रों ने जानकारी दी है कि बैठक में महानगर के तमाम वार्डों को लेकर नगरायुक्त ने कार्य का एक बुलू प्रिंट प्रस्तुत किया। काफी देर तक चली इस बैठक में मौजूद तमाम अफसरों को शहर की सफाई व्यवस्था की जांच के लिए टॉस्क दिया गया। साथ ही यह भी निर्देश दिए कि सफाई के औचक निरीक्षण के उपरांत जो भी रिपोर्ट सबमिट की जाए वह किसी को शेयर नहीं की जानी चाहिए।

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कहीं भी वह रिपोर्ट लीक न होने पाए। बताया जाता है कि हुआ भी ऐसा ही जो भी अधिकारी औचक निरीक्षण को भेजे गए थे, उन्होंने सीधे नगरायुक्त को ही रिपोर्ट किया। हालांकि यह भी जानकारी मिली है कि जो रिपोर्ट पहुंची है उसको संतोषजनक तो कतई नहीं मान जा सकता। हालांकि दिल्ली रोड व गढ़ रोड के शास्त्रीनगर सरीखे इलाकों को लेकर जरूर निगम का सेनेट्री सेक्शन अपनी पीठ थपथपा सकता है।

ये हैं मुसीबत की जड़

महानगर की सफाई व्यवस्था की यदि बात की जाए तो इसकी जड़ या कहें वजह की फेहरिस्त काफी लंबी है। यहां तक भी कहा जा सकता है कि जिम्मेदारी भले ही किसी को भी दे दी जाए, लेकिन भौगोलिक स्थिति का यदि आंकलन करने बैठ गए तो फिलहाल जो हालात हैं उनके चलते मेरठ को एक स्वच्छ शहर का दर्जा दिलाना अभी तो असंभव सा नजर आता है। अब यदि इसकी वजह की बात कर ली जाए तो उसकी पीछे के कुछ प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं।

  • महानगर में तमाम नाले नालियों पर अवैध कब्जे
  • प्रभावशाली लोगों के अवैध कब्जों के आगे निगम अफसरों की बेबसी
  • अक्सर कार्रवाई को जाने वाले अफसर विरोध पर उलटे पांव है लौटते
  • दावा भले ही कुछ भी किया जाए, लेकिन शहर में चल रही अवैध डेयरियां
  • सिंगल यूज पॉलीथिन के बैगों का दुकानदारों के अलावा अन्य जगह व्यापक उपयोग
  • नाले नालियों में घर व प्रतिष्ठान का कूड़ा कचरा पॉलीथिन की पन्नियों में ले जाकर डंप करना
  • भारी भरकम सेलरी लेने वाले निगम के प्रवर्तन दल की काम को लेकर आउटपुट निराशा जनक
  • प्रवर्तन दल न तो शत प्रतिशत दूध डेयरियां ही आबादी से बाहर कर सका है और न ही पॉलीथिन के प्रयोग पर प्रभावी रोक लगी है।
  • निगम का प्रवर्तन दल भी केवल कमजोर पर हाथ डालता है, जो लोग पॉलीथिन बना रहे हैं या बडेÞ डीलर हैं उन पर हाथ डालने का साहस नहीं
  • महानगर में चल रहे निर्माण कार्य भी इलाकों में पसरी गंदगी की बड़ी वजह हैं। निर्माण कार्य के चलते नाले नालियां चौक पड़ी हुई हैं।
  • महानगर के ओडियन सरीखे तमाम दूसरे नालों की कभी भी रोक का तल्ली झाड़ सफाई का ना कराया जाना। अवैध कब्जे बडेÞ बाधक
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