Thursday, April 17, 2025
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कादिर राणा के बेटे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे अफसर

  • शाह मोहम्मद को देहरादून और मेरठ जीएसटी की टीम ने किया मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: पुलिस व जीएसटी के अफसर गुरुवार देर रात कारोबारी व पूर्व सांसद कादिर राणा के पुत्र शाह मोहम्मद को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे थे। इसके साथ भारी पुलिस फोर्स चल चला था। शाह मोहम्मद को डाक्टरी के लिए जिला अस्पताल लाया गया था। डाक्टरी के बाद उसको थाना सदर बाजार में भेज दिया गया। शुक्रवार को उसको कोर्ट में पेश किया जाएगा। सूत्रों ने जानकारी दी है कि जीएसटी की ज्वाइंट टीम ने मुजफ्फरनगर में कादिर राणा के ठिकाने पर दबिश दी थी।

बताया जाता है कि जैसे ही अफसरों की गाड़ियां वहां पहुंची। शाह मोहम्मद पीछे की दीवार कूदकर फरार होने की फिराक में था, लेकिन वहां पहले से मुस्तैद स्टॉफ ने उसको दबोच लिया। कार्रवाई के दौरान कादिर राणा व शाहनवाज राणा तथा परिवार की दो महिलाओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि दोनों महिलाओं को तो जमानत दे दी गयी, लेकिन कादिर राणा व शाहनवाज राण को भेज भेज दिया गया। बताया गया है कि शाह मोहम्मद पर जीएसटी के कुछ केस मेरठ से भी हैं, इसलिए उसको पहले मेरठ में पेश किया जाएगा।

आफिया हत्याकांड में फरार तीन हत्यारोपियों पर 25-25 हजार का इनाम घोषित

सरधना: कालंद गांव में हुए आफिया हत्याकांड में फरार चल रहे हत्यारोपियों पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया। पुलिस ने नामजद तीन हत्यारोपियों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। पुलिस आरोपियों की तलाश में लगातार दबिश डाल रही है। गुरुवार को भी पुलिस ने विभिन्न स्थानों पर दबिश दी।

गौरतलब है कि कोतवाली क्षेत्र के कालंद गांव निवासी डेयरी संचालक तहसीन के घर रंजिशन कुछ लोगों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी। हमले में आठ वर्षीय बच्ची आफिया की गोली लगने से मौत हो गई थी। मृतक पक्ष ने चार नामजद तथा पांच अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। कई दिन की मशक्कत के बाद अब तक पुलिस एक ही आरोपी को गिरफ्तार कर सकी है। बाकी आरोपी अभी तक फरार चल रहे हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है। लगातार दबिश के बाद भी आरोपी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहे हैं।

ऐसे में पुलिस ने दूसरे रास्ते से हत्यारोपियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पुलिस ने फरार चल रहे नामजद हत्यारोपी कैफ, सोहराब व कामरान पर 25-25 हजार रुपये की इनाम घोषित कर दिया है। गुरुवार को भी पुलिस ने विभिन्न स्थानों पर दबिश दी, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। इस संबंध में इंस्पेक्टर प्रताप सिंह का कहना है कि आरोपियों की तलाश में दबिश जारी है। जल्द सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। तीन आरोपियों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है।

पिता के गले नहीं उतर पा रही बेटे की बातें

मुंडाली: ड्रग्स तस्करी के मामले में सऊदी अरब की जेद्दाह सेंट्रल जेल में बंद रछौती निवासी जैद की बुधवार शाम अपने परिजनों से फोन पर बात हो गई। जैद ने अपनी कुशलक्षेम बताते हुए खुद को 15 वर्ष की सजा होने की जानकारी दी। साथ ही जुर्माना अदायगी पर जल्द रिहा होकर सकुशल घर पहुंचने की उम्मीद भी जताई, लेकिन जैद की बातों पर परिजनों खासतौर पर पिता को यकीन नहीं हो रहा है। वे इसे कोई साजिश मान रहे हैं।

बृहस्पतिवार को जैद के पिता जुबैर ने बताया कि बुधवार शाम करीब 8:00 बजे उनके बेटे जैद ने जेद्दाह सेंट्रल जेल से फोनकर बताया कि वह सकुशल है। जो नोटिस परिजनों को तीन दिन पूर्व प्राप्त हुआ है। ऐसा नोटिस उसे भी डेढ़ वर्ष पूर्व जेल में मिला था। जिस पर उसने मक्का क्रिमिनल कोर्ट में दया याचिका दायर की तो सजा-ए-मौत को उम्रकैद (20 वर्षीय) कारावास में बदल दिया गया। बकौल परिजन जैद ने बताया कि उसने पुन: याचिका दायर की तो सजा आर्थिक दंड सहित (15 वर्षीय) कारावास में बदल गई। यदि अर्थदंड अदा कर दिया गया तो जैद जल्द सकुशल घर लौट आएगा,

लेकिन जैद की बातें परिजनों के गले नहीं उतर रही हैं। उनका मानना है कि जैद साजिश का शिकार होकर या किसी दबाव में ऐसी बातें कर रहा है। क्योंकि मुकदमे की सुनवाई के बाद जुर्म साबित होने पर अदालत सजा और न होने पर रिहाई का आदेश करती है। सजा में बार-बार बदलाव कहां होता है? परिजनों का कहना है कि नोटिस मिलने से पहले जैद ने उन्हें कभी खुद को सजा-ए-मौत होने की बात नहीं बताई। जबकि आठ महीने पहले भी उनकी जैद से बात सुई थी।

परिजनों का कहना है कि सऊदी में बैठा ड्रग्स तस्करों का सरगना वहां की हुकूमत का पुलिस अफसर है। वह इस मकड़जाल से खुद को बचाने के लिए तरह-तरह की साजिशें कर रहा है। जैद से मुकदमें की सच्चाई छुपाकर वह उसे मौत के मुंह में धकेल रहा है। परिजन उसकी बातों में नहीं आएंगे। उन्होंने जेद्दाह में मौजूद भाई नईम व दोस्त बिलाल से जैद की दस मिनट बात कराई है। जल्द ही नईम और बिलाल अपना वकील कर जैद से जेल में मुलाकात करेंगे। तभी नोटिस और मुकदमे की सच्चाई सामने आएगी।

रात में डंपर, दिन में संदिग्ध सामान

जैद के भाई सुहेल ने बताया कि अल-जफर कंपनी से भागने के बाद जैद को जिस व्यक्ति ने नौकरी दी वह सऊदी में एक पुलिस अफसर है। उसके पास जैद के अलावा दो पाकिस्तानी नौकर और थे। पुलिस अफसर रात में तीनों लोगों से कूड़े के डंपर चलवाता और दिन में अपनी घरेलू गाड़ियों से कुछ सामान जगह-जगह भिजवाता था। इस सामान से तीनों ही चालक नावाकिफ थे। बताया कि एक दिन सऊदी स्पेशल सेल ने रास्ते में जैद और उन पाकिस्तानियों की गाड़ियां चेक कीं तो मादक पदार्थ का जखीरा पकड़ में आ गया। आरोप है कि खुद को बचाने के लिए उक्त अफसर इन्हें जेल से रिहाई समेत कई तरह के प्रलोभन देता चला आ रहा है।

मिला वकीलों का डेलीगेशन

सुहेल ने बताया कि बुधवार रात करीब नौ बजे वकीलों के एक डेलीगेशन ने उनके परिवार से मुलाकात कर परिजनों को भारत से सऊदी अरब तक निजि खर्च पर मुफ्त कानूनी मदद का भरोसा दिया। वकीलों ने कहा कि जैद की मदद के लिए जरूरत पड़ने पर वे सऊदी अरब भी जाएंगे। उन्होंने फोन पर नईम और बिलाल से भी बात की।

नोटिस और नौकरशाही पर प्रश्नचिन्ह

परिजनों से जैद की 25 मिनट की फोनिंग वार्ता ने मक्का कोर्ट के नोटिस और अरब से भारत तक की नौकरशाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि नोटिस वास्तव में डेढ़ वर्ष पुराना है तो ये अब तक किस कार्यालय की फाइल की शोभा बढ़ाता रहा। क्यों नोटिस वक़्त पर परिजनों तक नहीं पहुंचा। जैद के पिता का कहना है कि इंडियन कांसिलेट या एमबीसी नोटिस को इतने लंबे समय तक नहीं रोक सकती। यदि नोटिस रोका गया है तो ये अफसरों की लापरवाही है या साजिश इसकी जांच होनी चाहिए। क्योंकि ये लेटलतीफी जैद के लिए जानलेवा भी हो सकती थी।

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