- शहर में सड़क सिमटकर हो गई संकरी, सड़कों पर हो रहे अवैध कब्जे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: घनी आबादी वाले इलाकों में अतिक्रमण से बुरा हाल है। चौड़ी सड़कें संकरी गलियों की तरह हो गई है। इसके बावजूद सड़कों पर कब्जा कर दुकाने व ठेले लगाने का सिलसिला जारी है। अतिक्रमण का यह आलम है कि दिन भर जाम की स्थित बनी रहती है। जाम में फंस कर लोग बिलबिला जाते हैं। घंटों-घंटों तक जाम में खड़ा रहना पड़ता है।
इन इलाकों में न तो कभी अभियान चलता है न ही सड़क पर लगी दुकानों पर कार्रवाई की जाती है। सड़क पर दुकानों व गाड़ियों को भी नहीं हटाया जाता है। कई बार हाथापाई की नौबत भी आ चुकी है। खैरनगर से लेकर घंटाघर चौराहे होते हुए रेलवे रोड चौराहा, दिल्ली रोड स्थित फुटबॉल चौराहे से लेकर सोतीगंज होते हुए बेगमपुल तक। सड़कें तो चौड़ी हैं, मगर यहां अतिक्रमण का बुरा हाल है।
घनी आबादी वाले अन्य सड़के, घनी आबादी में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां अतिक्रमण की वजह से राहगीरों को परेशान नहीं होना पड़ता हो। सोतीगंज से बच्चा पार्क जाने के लिए यदि आप जाते हैं तो वहां पर अतिक्रमण का बुरा हाल है। सड़क के बीचो-बीच बाइक ठीक करने का काम चलता है।
यहां पर हर समय जाम लगा रहता है, जिससे छुटकारा दिलाने की कोई पहल नहीं कर पा रहा है। नगर निगम में अतिक्रमण हटाने के लिए लंबी चौड़ी फौज हैं, जिसकी जिम्मेदारी ही अतिक्रमण हटाने की हैं। उसके लिए ही वेतन मिल रहा है। ये सभी प्राइवेट लोग हैं, लेकिन निगम ने संविदा पर रखा है।
फिर भी अतिक्रमण क्यों नहीं हटाया जा रहा हैं। यदि अतिक्रमण नहीं हटा पा रहे हैं तो फिर इन्हें हटा देना चाहिए, कम से कम नगर निगम का वेतन तो बच जाएगा। खैरनगर, जलीकोठी ऐरिया में दिन में वाहन का निकलना दूभर हो जाता हैं। वहां से अतिक्रमण नहीं हटाया जा रहा हैं। आखिर क्यों? जब वेतन ही इसके लिए मिल रहा है तो अतिक्रमण से सड़कों को मुक्त क्यों नहीं कराया जा रहा है।
एक तरफ तो कहा जा रहा है कि शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में प्रयास चल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सड़कें अतिक्रमण से मुक्त नहीं हो पा रही है। सोहराब गेट डिपो के सामने भी जाम की हर समय स्थिति बनी रही है, लेकिन वहां जनता जाम से जूझ रही है तो जूझती रहे,लेकिन नगर निगम अफसरों को इसमें कोई लेना देना नहीं है। सड़क के दोनों तरफ वाहन के अवैध स्टैंड बने हुए हैं।
दोनों तरफ की सड़क वाहनों से घिरी रहती है। इस मार्ग पर सुबह से रात तक जाम की स्थित बनी रहती है। ट्रैफिक पुलिस कर्मी भी तैनात रहते हैं, लेकिन उनको जाम की समस्या खत्म करने की बजाय चालान काटने, अन्य राज्यों के वाहनों को चेकिंग के नाम पर रोकने में ज्यादा रूचि रहती है। कुछ इस तरह के हालात फुटबाल चौराहे के भी हैं, वहां भी ट्रैफिक जाम में रहता है।