- अभी तक 2020 के बिजली चोरी के मामलों में नहीं हो सकी कार्रवाई, जुर्माना भी नहीं वसूला
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की ओर से बिजली चोरी रोकने के लिए सितंबर 2019 से शुरू किए गए विद्युत चोरी निरोधक थाना मेरठ में करीब पौने तीन साल की अवधि में हजारों की संख्या में बिजली चोरी के मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। लेकिन इनके अनुपात में निस्तारण की गति बहुत धीमी रही है। स्थिति यह है अभी तक 2020 तक के दर्ज 4400 केसों तक में करीब एक हजार केस अभी तक लंबित पड़े हुए हैं।
बिजली चोरी के मामलों में अमूमन अर्थ दंड का प्रावधान होने के कारण इनके केस दर्ज करने के लिए पीवीवीएनएल की ओर से सितंबर 2019 से जनपद स्तर पर थाने शुरू किए गए। मेरठ जनपद का एंटी पावर थैफ्ट थाना कंकरखेड़ा स्थित बिजलीघर परिसर में खोला गया।
पहले वर्ष के तीन महीनों में केस अधिक नहीं आए, लेकिन वर्ष 2020 में इनकी संख्या 4400 तक पहुंच गई। इसके बाद चुनाव के महीनों को छोड़ दें, तो हर माह एक हजार तक बिजली चोरी के केस दर्ज हो चुके हैं। 2021 में इनकी संख्या बढ़कर छह हजार से अधिक हो गई।
जबकि वर्तमान वर्ष के छह महीनों के दौरान बिजली चोरी के रिकार्ड 4500 केस दर्ज हो चुके हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मार्च के महीने तक शासनादेश के अनुसार छापेमारी की कार्रवाई लगभग न के बराबर रही है। यानि बीते तीन महीनों में ही साढ़े चार हजार केस दर्ज किए गए हैं।
इतनी बड़ी संख्या में दर्ज किए जा रहे इन केसों का निस्तारण किस प्रकार किया जाता है, यह जानना भी काफी दिलचस्प है। मेरठ के एंटी पावर थैफ्ट थाने के स्टाफ ने बताया कि यहां दो धाराओं में केस दर्ज किए जाते हैं। एक सीधे बिजली चोरी किए जाने की स्थिति में 135 के अंतर्गत और दूसरे बकाया में काटे गए कनेक्शन के चालू पाए जाने की स्थिति में 138 के अंतर्गत केस किए जाते हैं।
दोनों ही स्थिति में विभाग का प्रयास होता है कि संबंधित व्यक्ति के यहां जाकर जुर्माना और बिल जमा कराने के लिए दबाव बनाया जाए। इसी प्रक्रिया में लंबित प्रकरणों की संख्या बढ़ती रही है। आज की स्थिति यह है कि वर्ष 2020 के एक हजार से अधिक मामले लंबित हैं। जिनमें से कई को लेकर कोर्ट में भी रिपोर्ट प्रेषित की गई है।
इस थाने में नहीं होती आरोपी की गिरफ्तारी
एंटी पावर थैफ्ट थानों का उद्देश्य बिजली चोरी को रोकना रहा है। अधिकारियों के अनुसार बिजली चोरी के मामले पकड़े जाने के स्थिति में अर्थदंड का प्रावधान है। अगर कोई व्यक्ति अर्थदंड नहीं देता, तो कोर्ट से ही सजा निर्धारित की जाती है। ऐसे में एंटी पावर थैफ्ट थाना पुलिस बिजली चोरी करने वालों पर केस दर्ज होने के बाद दबाव तो बनाती है। लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं करती।