Tuesday, July 9, 2024
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ऑनलाइन गेमिंग से सट्टेबाजी का कारोबार

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Samvad


Ali khan 1केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित नए नियम जारी किए हैं, जिसके मुताबिक, सट्टेबाजी एवं दांव लगाने से संबंधित किसी भी गेम को कारोबार की इजाजत नहीं दी जाएगी। बीते गुरुवार को इलेक्ट्रॉनिक्स व आइटी मंत्रालय की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई। जिसके मुताबिक ऐसे आॅनलाइन गेम जिसमें सट्टेबाजी या सीधे तौर पर पैसा लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा हो उन्हें बैन किया जा सकता है। कहा जा सकता है ऐसे गेम जिसमें रियल मनी का झांसा दिया जाता है या बच्चों को गुमराह किया जाता है, उन पर सरकार नकेल कसने की तैयारी कर रही है।आईटी नियम 2021 में संशोधन को लेकर कहा गया है कि देश में कौन-सा गेम चलता रहेगा और कौन-सा गेम बैन होगा। इसका फैसला लेने के लिए सरकार द्वारा कुछ सेल्फ रेगुलेटरी आॅर्गेनाइजेशन यानी एसआरओ बनाए जाएंगे जो भारत में उपलब्ध ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म की निगरानी करेंगे।

दरअसल ये एसआरओ ही जांच-पड़ताल करने के बाद तय करेंगे किस ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को देश में एक्टिव रहने की परमिशन दी जा सकती है और किसे नहीं। एसआरओ द्वारा ऑनलाइन गेमिंग पर पैनी नजर रखी जाएगी और अगर कोई ऐसा गेम पाया जाता है जिसमें सट्टा लगाने के लिए उकसाया जा रहा है, गैंबलिंग करने का लालच दिया जा रहा है और सेल्फ हार्म यानी खुद को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, या फिर बच्चों को किसी भी चीज का आदि बनाया जा रहा है, तो उन्हें बैन किया जाएगा।

इसके साथ ही इन्हीं एसआरओ के माध्यम से आप किसी कंपनी के खिलाफ शिकायत भी कर पाएंगे। इतना ही नहीं नए संसोधन में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि यूूजर्स के पास ऑनलाइन गेमिंग की शिकायत को लेकर किसी कंपनी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का भी अधिकार होगा।

उल्लेखनीय है कि एसआरओ के सदस्यों में सरकार की ओर से गेमिंग इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स के साथ ही मनो-चिकित्सक तथा बाल अधिकारों के जानकार लोगों को शामिल किया जाएगा और यही तय करेंगे कि कौन-से आॅनलाइन गेम को इजाजत दी जाएगी।

सरकार ने साफ कर दिया है कि अभी फिलहाल तीन एसआरओ बनाए जाएंगे तथा जरूरत पड़ने पर इनकी संख्या बढाई जा सकती है। लेकिन एसआरओ के सामने सबसे बड़ी चुनौती ऑनलाइन गेम की सही श्रेणी परिभाषित करने की रहेगी।

दरअसल भारत सरकार ने अलग-अलग कैटेगरी वाले ऑनलाइन गेम्स के लिए अलग-अलग जीएसटी की दरें तय कर रखी है। अभी ‘कौशल वाले खेल’ पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है।

वहीं दूसरी ओर ‘किस्मत आजमाने वाले खेल’ पर लगने वाली जीएसटी दर 28 फीसदी की है। इस 10 फीसदी के बड़े अंतर के चलते भी डेवलेपर्स अपने गेम की कैटेगरी को गलत बता देते हैं। अब देखना दिलचस्प रहेगा कि एसआरओ इस चुनौती से कैसे पार पाता है।

गौरतलब है कि इन दिनों रुमी, तीन पत्ती और गरेना फ्री फायर आॅनलाइन गेम्स पर विवाद मचा हुआ है। ये तीनों ऑनलाइन गेम देश में बड़े विवाद का कारण बने हैं। रमी और तीन पत्ती जहां ऑनलाइन कार्ड गेम हैं वहीं गरेना फ्री फायर एक बैटल रोयल गेम है जो मोबाइल के लिए उपलब्ध है।

कुछ संगठनों को कहना है कि इन ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर सट्टेबाजी या जुआ शामिल है लेकिन ये अपने प्रोडक्ट को ‘कौशल वाले खेल’ कैटेगरी में बताते हैं। मालूम हो कि देश की कई राज्य सरकारें व संगठन ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन कर रही हैं और इन्हें देश में पूर्णत: बैन करने की बात कह रही है। वहीं हाल ही में इस मुद्दे पर तमिलनाडु सरकार का बयान भी आया था कि ऑनलाइन सट्टेबाजी वाले खेलों में किशोर और वयस्क अपनी पूरी कमाई और बचत खो रहे हैं।

भारत में आॅनलाइन गेमिंग का बाजार की बात करें तो सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में भारत का आॅनलाइन गेमिंग बाजार 54.30 करोड़ डॉलर के करीब था।

जो वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 2.6 अरब डॉलर के करीब पहुंच चुका है। वहीं माना जा रहा है कि वर्ष 2027 तक यह 8.6 अरब डॉलर पार कर सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस वक्त भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मोबाइल गेम खेलने वाला देश बन चुका है।

वर्ष 2021 में तकरीबन 45 करोड़ इंडियन आॅनलाइन गेमर्स थे तथा ठीक एक साल बाद यह गिनती 50 करोड़ से भी ज्यादा हो गई थी। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 तक इंडियन आॅनलाइन गेमर्स की संख्या 70 करोड़ के करीब पहुंच सकती है।

हाल ही में सामने आई एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि वित्त वर्ष 2022 के दौरान भारत में तकरीबन 12 करोड़ ऐसे मोबाइल यूजर्स थे जिन्होंने आॅनलाइन गेमिंग में खेल के लिए पैसों का भुगतान किया था।

यह पैसा गैंबलिंग और बेटिंग के साथ-साथ गेम कॉइन्स, यूसी, गेम स्कीन, गेम रैंक तथा गेमिंग के दौरान यूज होने वाले अन्य वचुर्अल सामान को खरीदने में लगाया गया था। शहरों की सट्टेबाजी की संस्कृति ने अब ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पूरी पैठ बना ली है। बेरोजगार युवकों के लिए एक आसरा या समय काटने का सहारा बना सट्टा उनके परिवारों को बर्बादी की कगार पर खड़ा करता जा रहा है।

हकीकत यह भी है कि सट्टेबाजी के चलते आपराधिक घटनाओं में वृद्धि हुई है। आॅनलाइन गेम्स की लत और इसमें चलने वाली सट्टेबाजी के चलते देशभर से कई लोगों के आत्महत्या किए जाने के प्रकरण भी सामने आते रहे हैं। देश में आॅनलाइन गेम्स युवा आबादी को सट्टेबाजी और जुआ जैसी बेहद बुरी लत में धकेलने का काम कर रहे हैं। इसे रोका जाना निहायत तौर पर जरूरी है।


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