- लाचार श्रमिकों को अपने साथियों के नाम तक नहीं मालूम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जाको राखे सांइया मार सके न कोय। यह कहावत उधमपुर के उन 11 श्रमिकों पर सटीक बैठ रही है, जो हादसे से 15 मिनट पहले कोल्ड स्टोर से बाहर निकल गए थे। इन लोगों ने मां वैष्णो देवी का आभार व्यक्त किया, लेकिन अपने साथियों के दुनिया से दूर जाने से उनके चेहरे पर दहशत साफ झलक रही थी।
करीब 40 सालों से श्रमिकों की सप्लाई का काम करने वाले कश्मीर के उधमपुर निवासी जगदीश कुमार पूर्व विधायक चौधरी चन्द्रवीर के जनशक्ति कोल्ड स्टोरेज में काम कराने के लिये 27 श्रमिकों को लेकर आज सुबह ही मेरठ आए थे। शुक्रवार को ही कोल्ड स्टोर में काम शुरू होना था। ट्रेन की लंबी यात्रा करके आए श्रमिकों को पता नहीं था कि यह उनकी जिंदगी की शुरुआत नहीं बल्कि मौत का पैगाम लेकर आ रही है।
बाल बाल बचे श्रमिकों ने बताया कि साढ़े तीन बजे के करीब हादसा हुआ और वो लोग सवा तीन बजे खाना खाने के लिये कोल्ड स्टोर के अंदर से निकले थे। राम नगर जम्मू के यशपाल और उधमपुर के कृष्ण ने बताया कि 10 लोगों ने रोटी बनानी शुरू ही की थी कि तेज धमाके के साथ इमारत की छत भरभरा कर नीचे गिर पड़ी और चीखों से पूरा कैंपस दहल गया।
श्रमिकों ने बताया कि इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल था कि हादसे में कौन दबा है और कौन बच कर निकला है। रतन ने बताया कि मां वैष्णो देवी की कृपा से हम लोग तो बच गए लेकिन अपने साथियों को नहीं बचा पाये। जो मजदूर इस हादसे में किस्मत से बच गये उनका कहना है कि जैसे ही दीवार और छत गिरी हम सभी भागने लगे। इससे पहले श्रमिक आलू भरने के लिए बोरियां तैयार कर रहे थे।
उन्हें पता नहीं चला कि एकाएक क्या हो गया। मजदूरों ने बताया कि वो दोपहर में रोटी बना रहे थे। शेरु गोपाल सिंदूरु नाम के मजदूरों ने बताया कि जम्मू से साठ किलोमीटर आगे उधमपुर से आए हैं। उधमपुर के गांव लाली से एक श्रमिक ने बताया कि उसकी आंखों के सामने हुए हादसे को भूलने में काफी वक्त लग जाएगा,
अब बस यही मन कर रहा है कि घर चले जाएं लेकिन पेट का सवाल कदमों को पीछे खींच रहा है। श्रमिकों को लग रहा है कि ठेकेदार अब उनकी मदद करेगा और उनको वापस ले जाएगा क्योंकि इस कोल्ड स्टोर में फिलहाल लंबे समय तक काम होना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि इमारत में दरारें पड़ गई है।