- दूसरे राज्य की बसों और लोकल ट्रक से हजारों वसूले
- ब्रेजा कार में आए, कुछ ही घंटो में किसी से 10 हजार तो किसी से पांच हजार लिये
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पुलिस महानिदेशक लाख कहते रहें कि दूसरे राज्यों की गाड़ियों को चेकिंग के नाम पर परेशान नहीं किया जाएगा, लेकिन मेरठ की ट्रैफिक पुलिस को इससे कोई लेना देना नहीं है। सोमवार को टोल प्लाजा के पास ब्रेजा कार में सवार ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने मध्य प्रदेश की एक टूरिस्ट बस से सात हजार रुपये तो एक कंटेनर से 10 हजार रुपये लेकर जाने दिया। ट्रांसपोर्ट नगर की यूनियन के एक ट्रक से पांच हजार रुपये मांगे, लेकिन ट्रक ड्राइवर को दो हजार रुपये लेकर मुक्त किया। ट्रक मालिक ने एसपी ट्रैफिक को फोन कर शिकायत भी की।
एसएसपी प्रभाकर चौधरी के जाने के बाद से मेरठ में दूसरे राज्यों की गाड़ियों की चेकिंग के नाम पर जमकर लूट चल रही है। अब ट्रैफिक पुलिस ने नया ठिकाना ढूंढ लिया है। सोमवार को टोल प्लाजा पर शाम पांच बजे के करीब एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने गाड़ियों को रोकना शुरू किया। सफेद ड्रेस में पुलिसकर्मी ने शहर में आ रहे एक खाली ट्रक को रोक कर कहा कि 10 साल पुराना ट्रक चला रहे हो।
ड्राइवर ने मना किया तो उससे पांच हजार रुपये देने को कहा। ड्राइवर ने कहा यूनियन की गाड़ी है तो दो हजार रुपये लेकर छोड़ दिया। तभी वहां पर मध्य प्रदेश नंबर की एक टूरिस्ट बस आ गई और उससे कागज देखने के नाम पर छह हजार रुपये ले लिये। एक बस के चालक ने पूछा कि आप लोग क्या आरटीओ से हो तो पुलिसकर्मी बोला आरटीओ से नहीं बल्कि ट्रैफिक से हूं।
जिस वक्त उगाही का काम चल रहा था उस वक्त गाड़ियों की लाइन लग गई थी। तभी ट्रांसपोर्ट यूनियन के एक पदाधिकारी ने एसपी ट्रैफिक जितेन्द्र श्रीवास्तव को फोन करके जानकारी भी दी। मध्य प्रदेश नंबर की बस के चालक ने कहा भी कि मेरठ में गत वर्ष आए थे तब किसी ने नहीं रोका था, लेकिन अब तो खुली लूट चल रही है। ट्रैफिक पुलिस मवाना रोड, डेयरी फार्म, जीरो माइल आदि जगहों पर विवादों के घेरे में आ गई है।
खुद डीजीपी ने कहा है कि सिर्फ कागज चेक करने के नाम पर गाड़ियों को नहीं रोका जाए नहीं तो संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही होगी। सवाल यह उठ रहा है कि पूर्व एसएसपी प्रभाकर चौधरी के समय गाड़ियां चेक होती थी, लेकिन वसूली के आरोप नहीं लगते थे, अब ऐसा क्या हो गया कि वही पुलिसकर्मी अब नये अंदाज में सड़कों पर उतर आए हैं।