- ओवरलोडिंग वाहनों को लेकर न तो परिवहन विभाग और न ही ट्रैफिक पुलिस नहीं है सक्रिय
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शासन की तमाम कवायद के बाद भी ओवरलोड वाहनों का संचालन बेधड़क हो रहा है। चाहे वह मालवाहक हो या फिर सवारी वाहन से लेकर कृषि कार्य के लिए अधिकृत वाहन हो, सभी पर ओवरलोडिंग की जा रही है। इसके बावजूद न तो परिवहन विभाग सक्रिय दिख रहा है और न ही ट्रैफिक पुलिस।
ओवरलोड वाहन आए दिन हादसे का पर्याय बनते हैं। इसके बाद भी जिले में ओवरलोडिंग पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है। डग्गामार वाहन जहां दिनभर सड़कों पर क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाकर फर्राटा भर रहे हैं। वहीं, पिकप, डीसीएम व ट्रक आदि वाहन भी ओवरलोडिंग कर सड़कों पर आवागमन करते देखे जा रहे हैं। यातायात सुरक्षा को लेकर पुलिस से लेकर परिवहन विभाग तक की ओर से लोगों को सड़क सुरक्षा का पाठ पढ़ाया जाता है।
विभाग की टीमें समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को तेज गति से वाहन न चलाने और क्षमता से अधिक भार लेकर न चलने की हिदायत देते हैं, लेकिन जिस तरह ओवरलोडिंग कर वाहन जिले की सड़कों पर दौड़ रहे हैं उससे साफ पता चलता है कि विभाग पूरी तरह से सक्रिय नहीं है।
नियम है कि कोई भी भार वाहक वाहन में क्षमता से अधिक भार नहीं लादा जाय। वाहन में डाले के बराबर ही मानक के अनुरूप ही सामान भरा जाए, लेकिन यह नियम इस जिले में धराशायी है। चालक पिकप, ट्रक व डीसीएम में तिरपाल लगाकर चाहे भूसी हो या फिर गत्ता व अन्य सामान डाले से करीब तीन से चार फीट ऊंचाई तक भरते हैं और सरेआम सड़कों पर फर्राटा भरते है।
शहर के हर मुख्य मार्ग पर पुलिस थाने और पुलिस चौकियां मौजूद है। चौक चौराहों पर भी ट्रैफिक पुलिस मुस्तैद रहती है। इसके बाद भी ओवरलोड कर ये वाहन धड़ल्ले से सड़कों पर आवागमन करते है और इन पर कोई रोक नहीं लगाई जाती है। डाले से ऊपर सामान लादने के बाद कभी भी वाहन के असंतुलित होने की संभावना रहती है।
इससे बड़ा हादसा भी हो सकता है। जिसकी चपेट में खुद वाहन चालक व अन्य लोग आ सकते हैं। इन सबके बावजूद भी न तो पुलिस और न ही परिवहन विभाग इस पर अंकुश लगा पा रहा है।