- आखिरी समय में मारी बाजी, नेताओं की खींचतान आई आड़े
- शाम को की गई अधिकारिक घोषणा, सभी रहे लखनऊ मौजूद
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ के लिए ‘अनजान’ चेहरा है। कोई उसे नहीं जानता। उसकी यहां पर कोई टीम भी नहीं है। मेरठ से किसी तरह का वास्ता भी उनका नहीं है। भानु प्रताप सिंह का नाम भी कभी नहीं सुना। उनके नाम की जैसे ही घोषणा हुई तो अचानक चारों ओर मायूस छा गई। मेरठ के लोगों से जब बात की गई तो उनका कहना था कि सपा का उम्मीदवार ‘अनजान’ चेहरा है। उसकी अपनी कोई पकड़ नहीं तो दलितों में है और नहीं मुसलमानों में।
इस तरह से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ‘अनजान’ चेहरे पर कैसे दांव लगा दिया? यह बात समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेताओं के भी गले से नीचे नहीं उतर रही है। चारों ओर मायूसी और सन्नाटा पसर गया है। समाजवादी पार्टी में भी कहीं दलित बड़े नेता थे, लेकिन उनको हाशिये पर कर किस तरह से पैराशूट प्रत्याशी समाजवादी पार्टी ने मेरठ में उतारा है,
उसको लेकर पार्टी नेताओं को भी बड़ा झटका लगा है। वास्तव में मेरठ लोकसभा सीट को लेकर सपा की इस बार बड़ी मजबूत दावेदारी मानी जा रही थी, लेकिन सपा ने पैराशूट प्रत्याशी उतार कर भाजपा के लिए तमाम रास्ते खोल दिए हैं। इस तरह की चर्चाएं शहर में चल रही है। लोग कह रहे हैं कि सपा का प्रत्याशी भानु प्रताप सिंह आखिर है कौन?
समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी घोषित हो गये हैं। ये एक तरह से पैराशूट प्रत्याशी है। समाजवादी पार्टी में भी कभी नहीं रहे। क्रांतिधारा से भी देखा जाए तो एलएलबी करने के अलावा कोई रिश्ता नहीं रहा। समाजवादी पार्टी के जो भी नेता है, उन्हें भी जब भानु प्रताप सिंह के नाम की घोषणा का पता चला तो एक-दूसरे से पूछने लगे कि ये कौन है? क्योंकि सपा के नेताओं को भी नहीं पता था कि भानु प्रताप सिंह कौन है और मेरठ से चुनावी मैदान में उतरने की क्या वजह हो सकती है?
लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं की बड़ी जरूरत होती है। क्योंकि लोकसभा चुनाव है, लेकिन यहां प्रत्याशी ही पैराशूट है। फिर समाजवादी पार्टी का कोई संगठन भी ग्राउंड स्तर पर काम नहीं कर रहा है। ऐसे में सब कुछ हवा हवाई है। अब देखना ये है कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भानु प्रताप सिंह क्या अपनी मजबूत पकड़ बना पाएंगे? ये उनके लिए परीक्षा की घड़ी हैं। क्योंकि ये भाजपा का किला है।
इसलिए तीन टर्म से राजेंद्र अग्रवाल भाजपा के सांसद बन रहे हैं। हालांकि पिछली बार हाजी याकूब से मात्र चार हजार मतों के अंतर पर राजेंद्र अग्रवाल ने जीत दर्ज की थी। इसी वजह से भाजपा मेरठ को लेकर अब भी गंभीर है और किसी का नाम घोषित नहीं किया है। अब एक तरह से समाजवादी पार्टी का पैराशूट प्रत्याशी भानु प्रताप सिंह तो आ गए हैं।
वहीं, बसपा के देवव्रत त्यागी के नाम पर चर्चा चल रही है। हालांकि उनके नाम की अधिकृत घोषणा भी अभी बसपा सुप्रीमो मायावती ने नहीं की है। माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के नेताओं की आपसी लड़ाई में बाहरी प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार दिया गया है।
ये है भानु प्रताप सिंह का प्रोफाइल
- नाम-भानु प्रताप सिंह
- पिता: पदम सिंह, रिटायर्ड एडीजे दिल्ली, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के साथ राजनीति में सक्रिय रहे और चुनाव भी लड़ा
- शिक्षा: बुलंदशहर प्राइमरी स्कूल से आठवीं, बुलंदशहर जीआईसी से स्कूलिंग, मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ कॉलेज से 1993 में लॉ की पढ़ाई पूरी की है।
- प्रोफेशन: सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट
- निवास स्थान: मूलरूप से बुलंदशहर से ताल्लुक रखने वाले भानु प्रताप सिंह इन दिनों राजेंद्र नगर साहिबाबाद में रहते हैं।
- राजनीति प्रोफाइल: राष्ट्रीय जनहित संघर्ष पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
मेरठ वाले लड़ते ही रह गये और टिकट ले गये भानु प्रताप
आखिर वही हुआ, जिसका डर था। आपसी खीचतान और एक-दूसरे को नीचा दिखाने का समाजवादी पार्टी के नेताओं को जो बुखार चढ़ा। उससे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खासे नाराज हुए। अब अखिलेश यादव ने सभी को किनारे करके एडवोकेट भानु प्रताप के नाम को फाइनल कर दिया है। मूलरूप से बुलंदशहर के रहने वाले भानु प्रताप दिल्ली में रहकर सक्रिय हैं तथा वहीं वकालत की प्रैक्टिस भी करते हैं। वह ईवीएम से चुनाव न कराने के बयान को लेकर खासे चर्चा में रह चुके हैं।
मेरठ के सभी कद्दावर नेताओं के हिस्से में इंतजार करने को कहा गया है। सरधना विधायक अतुल प्रधान किठौर विधायक शाहिद मंजूर तथा मेरठ शहर विधायक हाजी रफीक अंसारी को अपने-अपने विधान सभा क्षेत्रों में ही रहकर मेहनत करने को कहा गया है। नेताओं में पैराशूट प्रत्याशी को टिकट देने से सभी नेताओं में गहमागहमी है। सभी अभी लखनऊ में ही जमे हुए हैं। हालांकि शाम को अखिलेश यादव के अधिकारिक घोषणा करने के बाद अब सभी को बैरंग लौटना पड़ेगा।
गत 12 मार्च को अखिलेश यादव के दरबार में मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर टिकट के उम्मीदवार का ऐलान करने का था। सपा अध्यक्ष पहले ही साफ कर चुके थे कि वर्तमान विधायकों को टिकट नहीं दिया जायेगा। लेकिन फिर भी मेरठ जिले के तीनों विधायक अपनी-अपनी तशरीफ लेकर पहुंच गये। अखिलेश यादव ने सभी नेताओं को अलग-अलग बुलाकर उनको पांच-पांच मिनट का समय दिया।
इन पांच मिनट में नेताओं ने अपनी तारीफ या मेरठ सीट के जातिगत आंकड़ों तथा अपनी जीत का आधार तो अखिलेश यादव को समझाया नहीं। हां इतना बताया कि फलां तो गैंगस्टर में निरुद्ध हो रहा है। फलाने नेता की हिस्ट्री सीट खुली हुई है। किसी नेता को यह बताया गया कि वह तो अपने घर पर अपने परिवार की ही वोट हासिल नहीं कर सकता। तो किसी को यह बताया कि उसकी छवि पैराशूट नेता की है।
किसी नेता के बारे में कहा गया कि उसको साली भगाने पर पत्नी ही पीट चुकी है। अख्लिोश यादव के पास पूरे पांच मिनट की 11 नेताओं की परेड में एक ही नेता ऐसा नहीं पहुंचा। जिसको देखकर अखिलेश यादव सीट का ऐलान कर पाते। हालांकि अखिलेश यादव पूरी तरह मन बना चुके थे कि दो नेताओं में से एक को इस आधार पर चुन लिया जायेगा कि उसके पास इतना समर्थन है। लेकिन यहां तो मामला ही उलट पच्चीस साबित हुआ।
अपने संगठन की इतनी बुरी दुर्दशा देखकर अखिलेश यादव का माथा ठनक गया है। उनको साफ नजर आ रहा था कि यदि मेरठ में अपनी धाक जमानी है और लोकसभा सीट भी हासिल करनी है तो संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन भी करना मुफीद रहेगा। लिहाजा अखिलेश यादव ने इन सभी नेताओं को बैरंग लौटा दिया तथा मेरठ के टिकट को होल्ड पर डाल दिया। बैठक में मौजूद सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव इतने गुस्से मे थे कि सभी को इंतजार करने को कह कर टाल दिया और हुआ भी ठीक ऐसा ही जैसा अखिलेश यादव चाहते थे।
शाम को अखिलेश यादव ने मेरठ लोकसभा सीट से एडवोकेट भानु प्रताप सिंह को टिकट देने की घोषणा की। इससे टिकट पाने के सभी दावेदार मायूस हो गये। यह सभी दावेदार 11 मार्च से लखनऊ में डेरा डाले हुए थे। बड़े नेताओं की परिक्रमा भी कर रहे थे, लेकिन सारे प्रयास निर्थक ही साबित हुए। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी ने एडवोकेट भानु प्रताप सिंह के मेरठ सीट से प्रत्याशी घोषित किये जाने की पुष्टि की।
हालांकि विपिन चौधरी खुद भी दावेदार थे। उनका कहना है कि पार्टी प्रत्याशी को मजबूती से चुनाव लड़ाया जायेगा। एडवोकेट भानु प्रताप सिंह को टिकट दिये जाने पर पूर्व विधान सभा प्रत्याशी दिलशाद मुन्ना, पूर्व कैंट विधान सभा प्रत्याशी परविन्दर सिंह ईशु, पूर्व पार्षद अफजाल सैफी, पूर्व पार्षद हिफ्जुरहमान अंसारी, चांद कुरैशी, महमूद इकबाल कस्सार, शरीफ मेवाती आदि ने हर्ष जताया है।
12 को बैठक में अखिलेश के बगलगीर थे भानु
मेरठ-हापुड़ लोक सभा सीट से घोषित किये गये समाजवादी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी एडवोकेट भानु प्रताप सिंह गत 12 मार्च को पार्टी कार्यालय में हुई बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बिल्कुल करीब बैठे थे। तब बैठक में मौजूद मेरठ जनपद के किसी भी नेता को यह गुमान नहीं था कि अखिलेश भईया के करीब बैठने वाला बाजी मार ले जायेगा और वह आपसी गुटबंदी में हाथ ही मलते रह जायेंगे।
महत्वपूर्ण बिंदू
ईवीएम हटाओ अभियान चलाया था। 13 अप्रैल 2022 को जहां जहां बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती थी वहां उन्होंने ईवीएम हटाओ अभियान चलाया था। ईवीएम के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने वाले एडवोकेट हैं। प्रेसवार्ता कर ईवीएम के खिलाफ खुलासा किया था। लखीमपुर खीरीकांड में शहीद किसानों की अंतिम अरदास में भी पहुंचे थे।
क्यों मिला टिकट?
लगातार ईवीएम मुद्दे को लेकर फायर हैं। पीडीए को मजबूत करने के लिए सपा ने यहां दलित चेहरा उतारा है। दलित समाज के उत्पीड़न की लगातार घटनाएं, दलितों का शोषण जैसे मामलों में दलित वर्ग के साथ खड़े होने का संदेश देते हुए सपा ने यह डिसीजन लिया है। मेरठ में सपा में नेताओं में अंदरुनी कलह चल रही थी, जिसकी शिकायतें लगातार मिल रही थी। उसको देखते हुए भी अखिलेश यादव ने यह डिसीजन लिया है।