एक विद्यार्थी के लिए किसी भी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए यह एक अनिवार्य नियम के रूप में कार्य करता है कि वे जो भी पढ़ें उसके मेन पॉइंट्स, फैक्ट्स और फिगर्स को अवश्य नोट करते जाएं। ऐसा करने से किसी भी पाठ को आत्मसात करना आसान हो जाता है। लिख-लिख कर पढ़ने का अपना मनोविज्ञान और सिद्धांत है। आपने सर्दियों के गुनगुने धूप में हाउसवाइव्स को स्वेटर बुनते जरुर देखा होगा। क्या आपने यह गौर किया है कि ये महिलाएं स्वेटर की तरफ बिना देखे और अपने सहेलियों से बातें करते हुए भी बिना किसी गलती के स्वेटर कैसे बुनती चली जाती हैं? इससे भी इतर एक उदाहरण काफी प्रैक्टिकल है।
कंप्यूटर पर जब कोई एक प्रोफेशनल कुछ टेक्स्ट टाइप करता है तो वह कीबोर्ड की तरफ बिलकुल नहीं देखता है और उसकी नजर सिर्फ और सिर्फ कंप्यूटर के मॉनिटर पर होता है। क्या आपने कभी इस हैरतअंगेज कारनामे के पीछे काम कर रहे किसी जादू के बारे में शिद्दत से कयास लगाने का प्रयास किया है?
सच पूछिये तो उपर्युक्त दोनों उदाहरणों में न तो कोई जादू है और न कोई करिश्मा। इन दोनों कार्यों को अंजाम देने वाले कारीगरों के पास कोई हाथ की सफाई भी नहीं होती है। फिर होता क्या है?
उपर्युक्त दोनों उदाहरणों में निरंतर अभ्यास से किसी कला में महारथ हासिल करने का संदेश छुपा होता है। जब किसी कार्य को बार-बार किया जाता है तो कोई भी व्यक्ति उस कार्य में इतना दक्ष हो जाता है कि उसे एक समय के पश्चात किसी सहारे की जरूरत नहीं रह जाती है। सर्कस के कलाकार की हैरतंगेज कलाबाजियां और जग्ग्लेरी भी इसी महारथ के उदाहरण हैं।
इसीलिए जब कोई विद्यार्थी अपने किसी पाठ को पढ़ते समय उसके मुख्य पॉइंट्स को लिखते भी जाता है तो इसके कई फायदे हैं और ये सभी उस विद्यार्थी को किसी पाठ को एक लंबी अवधि के लिए याद रखने में मदद करता है-
याद करना आसान होता है
पहले तो जो चीजें पढ़ी जाती हैं, उसे जब विद्यार्थी लिखता भी जाता है तो वही चीजें उस विद्यार्थी के मस्तिष्क से दो बार गुजरता है। पहले तो वह टेक्स्ट बुक में पढ़ता है और फिर वह उसे अपने नोटबुक में लिखने के समय अपने दिमाग में वापस लाता है। इस प्रकार विषय-वस्तु आसानी से मेमेरी में बैठता जाता है। एकाग्रता बढ़ती है
दूसरी बात जब हम किसी पाठ को साथ-साथ लिखने के उद्देश्य से पढ़ते जाते हैं तो हम उस पाठ को बड़ी सावधानी और संजीदीगी से पढ़ते हैं। मन में भटकाव नहीं होता है। हमारा पूरा ध्यान अपने सब्जेक्ट मैटर पर होता है। पढने के साथ-साथ लिखने की इस पूरी प्रक्रिया से कंसंट्रेशन पॉवर बढ़ता है। जब किसी पाठ को अधिक कंसंट्रेशन के साथ पढ़ा जाए तो वह आसानी से लॉन्ग टाइम के लिए स्थायी रह जाता है।
पढने के समय क्या-क्या नोट करें
अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर पढने के समय क्या-क्या चीजें लिखने के लायक होती हैं। इसके लिए हमेशा ध्यान रखें-
- आॅब्जेक्टिव प्रश्नों को हम यहीं से तैयार कर सकते हैं।
- कब, कहां, कैसे, क्यों, कौन और क्या-ये प्रश्नों के प्रकार का अल्फाबेट कहलाता है। इन्हें ही ‘डब्लूएच’ प्रश्न भी कहा जाता है। इसीलिए पाठ पढ़ते समय जब भी लगे कि इनमें से ‘डब्लूएच’ प्रश्न पूछे जा सकते हैं तो फिर हमें ऐसे फैक्ट्स और फिगर्स को अवश्य नोट कर लेना चाहिए।
- डायग्राम्स और ग्राफ्स को खुद बनाने की प्रैक्टिस करनी चाहिए।
- वकब्युलरी को समृद्ध कर सकते हैं।
इस प्रकार जब पाठ को पढ़ते समय लिखते भी जाएं तो न केवल सिलेबस अपने समय पर पूरा हो जाता है बल्कि सभी सब्जेक्ट्स के अच्छे नोट्स भी बिना एक्स्ट्रा टाइम में तैयार हो जाते हैं।
आप परफेक्ट होते जाते हैं
प्राय: ऐसा माना जाता है कि पढ़ने के साथ-साथ लिखने के रूप में जो नोट तैयार किया जाता हैं, वह सर्वोत्तम नोट बुक होता है, क्योंकि उस नोट बुक के सभी मैटेरियल्स आपके द्वारा तैयार किए गए होते हैं और उनकी प्रमाणिकता सौ प्रतिशत करेक्ट होता है। आप उस नोट बुक के हर एक पेज से परिचित होते हैं। यही कारण है कि आपको परीक्षा के समय कंटेंट्स के रिविजन में कोई कठिनाई नहीं होती है।
इससे भी अधिक उस नोट बुक को तैयार करने के पीछे अपनी कठिन मेहनत और कठोर साधना को आप दिल से महसूस कर सकते हैं। इस प्रकार से पढ़ने के साथ-साथ लिखने का अभ्यास आपको अपने सब्जेक्ट्स में परफेक्ट बनाता है। जीवन के प्रति आपका नजरिया तीक्ष्ण और कंडेंस्ड होता जाता है। अंतत: आप अपने जीवन में सफलताओं के शीर्ष पर शीघ्रता से पहुंचने में कामयाब हो जाते हैं।
-एसपी शर्मा