Wednesday, July 3, 2024
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दुर्लभ सिद्धियों की दाता है परमा एकादशी

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परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के बाद पीपल पर जल में दूध मिलाकर अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं। फिर सायंकाल के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाकर 11 परिक्रमा करें और परिक्रमा करते हुए भगवान से क्षमा मांगे और जीवन के कष्ट दूर करने के लिए प्रार्थना करें।

परमा एकादशी इस बार शनिवार को है इसलिए इस दिन कौवे को अनाज अवश्य खिलाएं क्योंकि कौवा शनिदेव का वाहन माना गया है। साथ ही काले कुत्ते द्वार पर बुलाकर रोटी खिलाएं। ऐसा करने से शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

अधिकमास में कृष्ण पक्ष में जो एकादशी आती है वह परमा, पुरुषोत्तमी या कमला एकादशी कहलाती है। वैसे तो प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियां होती हैं।जब अधिकमास या मलमास आता है, तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। अधिकमास या मलमास को जोड़कर वर्ष में 26 एकादशियां होती हैं।

अधिकमास में 2 एकादशियां होती हैं, जो पद्मिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) और परमा एकादशी (कृष्ण पक्ष) के नाम से जानी जाती है। इस वर्ष अधिक मास की परमा एकादशी 12 अगस्त 2023, दिन शनिवार को पड़ रही है।

यह तिथि पुरुषोत्तम मास और श्रावण के महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी है, जिसे परमा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह एकादशी परम दुर्लभ सिद्धियों की दाता है इसीलिए इसे परमा कहते हैं।

यह धन, सुख और ऐश्वर्य की दाता है। इस एकादशी में स्वर्ण दान, विद्या दान, अन्न दान, भूमि दान और गौदान करना चाहिए। परमा एकादशी का व्रत रखना बहुत ही सौभाग्य की बात है क्योंकि यह एकादशी हर वर्ष नहीं आती है। पुरुषोत्तम मास में ही यह एकादशी आती है। पुरुषोत्तम मास को अधिकमास भी कहते हैं।

परमा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को परमा एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था। परमा एकादशी व्रत की कथा के मुताबिक, प्राचीन काल में काम्पिल्य नगर में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण रहता था और उसकी पत्नी का नाम पवित्रा था।

पवित्रा बहुत ज्यादा धार्मिक थी और परम सती व साध्वी स्त्री थी। एक दिन गरीबी से परेशान होकर ब्राह्मण ने विदेश धन कमाने जाने का विचार किया, लेकिन पवित्रा ने कहा कि धन और संतान पूर्व जन्म के फल से प्राप्त होते हैं, इसलिए आप चिंता न करें।

कुछ दिनों बाद महर्षि कौंडिन्य गरीब ब्राह्मण के घर आए। ब्राह्मण दंपति ने तन-मन से महर्षि कौंडिन्य की सेवा की तो उन्होंने गरीबी दूर का धार्मिक उपाय बताया। महर्षि कौंडिन्य ने बताया कि अधिक मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत तथा रात्रि जागरण करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इतना कहकर मुनि कौंडिन्य चले गए और सुमेधा ने पत्नी सहित व्रत किया और उन्हें सुखी जीवन प्राप्त हुआ।

परमा एकादशी व्रत माहात्म्य

परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के बाद पीपल पर जल में दूध मिलाकर अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं। फिर सायंकाल के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाकर 11 परिक्रमा करें और परिक्रमा करते हुए भगवान से क्षमा मांगे और जीवन के कष्ट दूर करने के लिए प्रार्थना करें।

परमा एकादशी इस बार शनिवार को है इसलिए इस दिन कौवे को अनाज अवश्य खिलाएं क्योंकि कौवा शनिदेव का वाहन माना गया है। साथ ही काले कुत्ते द्वार पर बुलाकर रोटी खिलाएं। ऐसा करने से शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

शनिदेव बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त हैं और जो कोई व्यक्ति भगवान कृष्ण पूजा अर्चना करता है, शनि की दृष्टि उस व्यक्ति से दूर रहती है। एकादशी व्रत का माहात्म्य श्रोताओं के सुनने योग्य सर्वोत्तम विषय है यह पवित्र वस्तुओं में सबसे उत्तम है।

इससे सभी पापकर्मों का नाश होता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। जो पुरुष श्रद्धा पूर्वक इस एकादशी का व्रतपालन तथा माहात्म्य का श्रवण करता है वह समस्त महापातकों से भी तत्काल मुक्त हो जाता है। शास्त्रों में पुरुषोत्तम माह की परमा एकादशी का बहुत महत्व बताया गया है।

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय है व अधिक मास भी श्री विष्णुजी को समर्पित है, इसलिए धार्मिक दृष्टि से इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है। भक्तों को इस दिन की जाने वाली पूजा एवं व्रत का विशेष पुण्य प्राप्त होगा। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी संताप नष्ट होते है एवं भगवान् विष्णु के साथ श्रीमहालक्ष्मी जी की अनुकूल कृपा प्राप्त होती है।

डॉ. पवन शर्मा


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