Friday, July 5, 2024
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ढलावघरों की वजह से लोगों का जीना मुहाल

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  • आवारा पशुओं की चारागाह बनकर रह गए कैंट के ढलावघर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: रखरखाव की कमी की वजह से कैंट के ढलावघरों ने आसपास की आबादी का जीना मुहाल कर दिया है। उनका जीवन नारकीय हो गया है। कई बार तो हालत इतनी खराब हो जाती है कि सांस लेना तक दुश्वार हो जाता है।

ढलावघरों को लेकर कई बार लोगों की ओर से शिकायत दर्ज करायी जा चुकी है, लेकिन कैंट बोर्ड के सदस्य इस समस्या का कोई स्थायी समाधान करने में पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं।

सबसे ज्यादा मुसीबत तो सदर, काठ का पुल, लालकुर्ती, महताब व कैंट बोर्ड की बगल में स्थित ढलावघर बने हुए हैं। ढलावघर आवारा पशुओं की चारागाह बने हुए हैं।

कुत्ते आदि पशु यहां से गंदगी को खींचकर पूरे इलाके में फैला देते हैं। जनवाणी संवाददाता ने शुक्रवार को कैंट के ढलावघरों का मौके पर पहुंचकर जायजा लिया तो हालत वाकई बेहद डरावनी थी।

शहीद योगेंद्र

काठ का पुल स्थित शहीद योगेंद्र हाट की बगल में नाले के किनारे बनाया गया ढलावघर इस पूरे इलाके के लिए मुसीबत बना हुआ है। लोगों ने बताया कि इसको लेकर कई बार शिकायत की जा चुकी है। ढलावघर में भोजना की तलाश में आने वाले आवारा पशु इसकी समस्या को और भी ज्यादा खतरनाक बना रहे हैं। ढलावघर की गंदगी दूर तक फैली रहती है।

सदर टंकी मोहल्ला

सदर टंकी मोहल्ला में घनी आबादी के बीच स्थित ढलाव घर लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है। उनका कहना है कि कई बार तो यहां डंप किए जाने वाले कूड़ा कचरा में मृत पशुओं का लाकर भी डाल दिया जाता है।

गर्मी के मौसम में मृत पशु में से उठने वाली सड़ांध की वजह से घरों में रहकर भी सांस लेना मुश्किल हो जाता है। आबादी के अलावा सदर बाजार भी इससे चंद कदम की दूरी पर है।

महताब ढलावघर

महताब ढलावघर भी बड़ी आबादी के लिए मुसीबत बना हुआ। दिन भर यहां आवारा पशुओं के अलावा चील आदि पक्षी भी मंडराते देखे जा सकते हैं। मृत पशुओं को सबसे ज्यादा यहीं पर लाकर डाला जाता है। इसके पास ही ट्रांसपोर्ट के कई कार्यालय चलते हैं।

बड़ी संख्या में यहां गाड़ियों का स्टाफ रहता है। चंद कदम की दूरी पर मछेरान की मीट मार्केट है। लोगों का कहना है कि यह यहां से हटाया जाना चाहिए।

सदर गंज बाजार

सदर गंज बाजार में जिस स्थान पर ढलावघर बनाया गया है। उसको देखकर उम्मीद नहीं की जा सकती कि वहां भी ढलावघर बनाया जा सकता है।

लोगों ने बताया कि इसको लेकर कई बार कैंट बोर्ड के सदस्य अनिल जैन से भी शिकायत की जा चुकी है। अनिल जैन ने इस मुद्दे को कई बार बोर्ड बैठक में भी उठाया। लोगों को लेकर अधिकारियों से भी मिले, लेकिन अब भी समस्या जस की तस है।

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अन्य ढलावघर

लालकुर्ती थाना के सामने व बाउंड्री रोड पर बनाए गए ढलावघर भी मुसीबत बने हुए हैं। लोगों का कहना है कि जिस वक्त यह ढलावघर बनाए गए थे तब इतनी आबादी नहीं थी। अब आबादी के फैलाव को देखते हुए कैंट प्रशासन को किसी अन्य स्थान पर इन्हें शिफ्ट किया जाना चाहिए। लोगों के लिए ये मुसीबत बने हुए हैं।

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