Wednesday, May 7, 2025
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तबादलों का खेल खेलने वाले खिलाड़ी ‘आउट’!

  • पीडब्ल्यूडी में हुए ‘तथाकथित’ तबादलों पर रिव्यू करने के आदेश
  • विभागाध्यक्ष मनोज गुप्ता पर कार्रवाई की सिफारिश, तीन अन्य भी कार्रवाई की जद में

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: लोक निर्माण विभाग में गत दिनों हुए बहुचर्चित तबादलों को लेकर चल रही उठापटक पर से पर्दा उठा गया है। कार्रवाई की जद में कई अफसरों की गर्दनें फंस गई हैं। तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत कर दी गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर कई अधिकारियों की सांसे ऊपर नीचे होनी शुरू हो गई हैं।

उधर इस पूरे मामले में सरकार की छवि धूमिल होते देख इन सभी तबादलों में रिव्यू करने के आदेश भी जारी हो गए हैं। रिव्यू के आदेश जारी होने से उन अभियंताओं की बांछे खिल गई हैं जो इन तबादलों से खासे नाराज थे। इनमें मेरठ से दूरस्थ स्थानों पर भेजे गए अभियंता भी शामिल हैं।

पिछले कई दिनों से पीडब्ल्यूडी में अभियंताओं के तबादलों में खेल खेला जा रहा था जिसके बाद विभागीय अभियंताओं में इसका गुप चुप विरोध शुरू हो गया था जो बाद में सार्वजनिक हो गया। मेरठ सहित प्रदेश के कई दूसरे इलाकों में अभियंताओं के तबादले किए गए थे। इस पूरे मामले में विभागाध्यक्ष मनोज गुप्ता को कटघरे में खड़ा किया गया था।

विभागीय सूत्रों के अनुसार विभाग का जो अध्यक्ष होता है उस पर ही तबादलों का प्रस्ताव तैयार करने की जिम्मेदारी होती है। बताया जाता है कि प्रस्ताव तैयार करने में ऐसा खेल खेला गया कि अपनों अपनों को मलाई मिल सके। आरोप है कि सभी तबादले मानक के विपरीत किए गए।

इस मामले में सोमवार को ही सरकार ने एक्शन लेते हुए विभागीय मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडीए के पांडेय पर कार्रवाई का चाबुक चला दिया। वो केन्द्र से प्रतिनियुक्ति पर उत्तर प्रदेश में तैनात थे। इस प्रकरण के बाद उनकी प्रतिनियुक्ति के आदेशों को समाप्त करते हुए उन्हें वापस केन्द्र के सुपुर्द किया जा रहा है साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी कर दी गई है।

इसके अलावा जो तीन और अधिकारी कार्रवाई की जद में बताए जा रहे हैं उनमें खुद विभागाध्यक्ष मनोज गुप्ता, उनके स्टाफ आॅफिसर शैलेन्द्र यादव व राकेश सक्सेना शामिल हैं। आरोप तो यहां तक लग रहे हैं कि पूर्व में शैलेन्द्र यादव का तबादला हो गया था, लेकिन इसके बावजूद वो मुख्यालय में जमे रहे और बाकायदा तबादला प्रक्रिया का हिस्सा भी बने। इस पर भी सरकार ने कड़ा एक्शन लिया है।

जनवाणी ने पहले ही किया था ‘खबरदार’

जनवाणी ने अपने 17 जुलाई के अंक में पहले ही इस बात का अंदेशा जता दिया था कि विभागाध्यक्ष मनोज गुप्ता पर सरकार सीधे कार्रवाई कर सकती है। अखबार ने ‘तबदलों के खिलाड़ियों पर एक्शन के कयास’ नामक शीर्षक से प्रमुखता के साथ समाचार प्रकाशित किया था।

जो जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गई है उसके बाद मनोज गुप्ता को दोषी पाते हुए उन पर कार्रवाई की सिफारिश कर दी गई है। मनोज गुप्ता पर सीधे यह आरोप लग रहे हैं कि उनके स्तर से तबादलों के जो प्रस्ताव तैयार किए गए वो पूरी तरह गलत तरीके से तैयार किए गए और इसमें अपने चेहतों को पूरी तरह से लाभ पहुंचाना बताया जा रहा है।

दिन भर लखनऊ पर लगी रहीं निगाहें

पीडब्ल्यूडी के जिन जिन अधिकारियोें के ट्रांसफर हुए हैं उनकी निगाहें मंगलवार को पूरे दिन लखनऊ मुख्यालय पर टिकी रहीं। इन लोगों में इस बात को लेकर सबसे ज्यादा जिज्ञासा थी कि बाकी कौन कौन अफसर कार्रवाई की जद में आते हैं तथा सरकार ने तबादला आदेशों का जो रिव्यू करने का फैसला किया है उसमें क्या निर्णय होता है।

एक अभियंता का छलका दर्द

‘इनको हटाकर छवि सुधार तो हो गया, पर जो काम ये कर चुके उसका क्या’। पीडब्ल्यूडी के एक बड़े अफसर ने अपना यह दर्द दैनिक जनवाणी के समक्ष बयां किया। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तबादले तो कर दिए गए यानि कि जो काम होना था वो तो हो गया न।

मतलब कि उनके दर्द के शब्दों का लब्बोलुआब यही है कि यदि संबधित दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है तो सरकार को उन अभियंताओं के बारे में भी दोबारा सोचना चाहिए जिन्हें लीक से हटकर अन्य स्थानों पर भेजा गया।

पीडब्ल्यूडी में पांच और अधिकारी निलंबित

भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए प्रदेश सरकार ने पीडब्ल्यूडी में हुए तबादलों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की है। इस पूरे मामले में शासन ने पीडब्ल्यूडी के पांच और अधिकारियों को मंगलवार को निलंबित कर दिया। जिन अधिकारियों का निलंबन किया गया है

उनमें पीडब्ल्यूडी के एचओडी मनोज कुमार गुप्ता के अलावा प्रमुख अभियंता राकेश कुमार सक्सेना और वरिष्ठ स्टाफ आॅफिसर शैलेंद्र कुमार यादव शामिल है। इसके अलावा जो दो और अधिकारी सस्पेंड हुए हैं उनमें प्रशासनिक अधिकारी पंकज दीक्षित और प्रधान सहायक संजय कुमार चौरसिया भी शामिल है।

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