Friday, May 30, 2025
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पितृ पक्ष में बरतें ये सावधानियां, विधि-विधान से करे तर्पण

  • नियमानुसार तर्पण करने से ही प्रसन्न होंगे पूर्वज

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: अपने पितृों को याद करते समय सभी विधि विधान का विशेष रूप से ध्यान रखें। जिससे किसी भी भूल की वजह से आपकी साधना व्यर्थ न हो जाए। यह कहना है धर्म गुरुओं का।

पितृ पक्ष समय को पितरों से आशीर्वाद पाने के लिए उत्तम माना जाता है। इसके साथ ही यह समय पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दौरान कुछ खास नियमों का पालन करन बेहद आवश्यक है।

नौचंदी स्थित श्रीबालाजी मंदिर के पुजारी आचार्य मनीष गोस्वामी ने बताया कि अपने परिवार के पूर्वजों व पितरों के प्रति सम्मान का भाव रखने के अतिरिक्त प्रकृति व समस्त जीव-जंतुओं से मनुष्य जाति के जुड़ाव को पितृ पक्ष दर्शाता है।

इस समय पितरों के नाम पर जो भी दान-पुण्य या भोजन तर्पण किया जाता है, उसमें पशु-पक्षियों व वनस्पति की सहभागिता प्रमुखता से है। पितृ पक्ष के दौरान कुछ बातों का खासतौर पर ख्याल रखना आवश्यक है।

इस विधि से करे तर्पण

तपर्ण करते समय सर्वप्रथम अपने पास शुद्ध जल, कुशा का बैठने का आसन, बड़ी थाली या ताम्रण, कच्चा दूध, गुलाब के फूल, फूल-माला, कुशा, सुपारी, जौ, काले तिल, जनेऊ आदि पास में रखे।

आचमन के बाद हाथ धोकर अपने ऊपर जल छिड़के। फिर गायत्री मंत्र से शिखा बांधकर तिलक लगाकर कुशे की पवित्री यानी अंगूठी बनाकर अनामिका अंगूली में पहन कर हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल लेकर निम्न संकल्प लें। फिर थाली या ताम्र पात्र में जल, कच्चा दूध, गुलाब की पंखुड़ी डाले और हाथ में चावल लेकर देवता एवं ऋषियों का आह्वान करें। स्वयं पूर्व मुख करके बैठें, जनेऊ को रखें।

कुशा के अग्रभाग को पूर्व की ओर रखें, देवतीर्थ से अर्थात दाएं हाथ की अंगुलियों के अग्रभाग से तर्पण दें। इसी प्रकार ऋषियों को तर्पण दें। इसके पश्चात उत्तर मुख करके जनेऊ को कंठी करके पहने एवं पालकी लगाकर बैठे।

साथ ही दोनों हथेलियों के बीच से जल गिराकर दिव्य मनुष्य को तर्पण दें। इसके बाद दक्षिण मुख बैठकर जनेऊ को दाहिने कंधे पर रखकर बाएं हाथ के नीचे ले जाए। थाली या ताम्र पात्र में काली तिल छोड़े फिर काली तिल हाथ में लेकर अपने पितरों का आह्वान करें।

पितृपक्ष में इन बातों का भी रखे ध्यान

  • पितृपक्ष के दौरान देवी-देवताओं की नित्य पूजा करें।
  • पितृ पक्ष में रोजाना तर्पण करना अनिवार्य माना गया है।
  • इस दौरान दूध, पानी, जौ, चावल और गंगाजल से तर्पण करें।
  • पितृ पक्ष में पिंडदान करें।
  • पिंड को शरीर का प्रतीक माना जाता है।
  • पितृ पक्ष में दान-दक्षिणा को शुभ माना गया है।
  • पितृ पक्ष के दौरान नए वस्त्र या सामान न खरीदें।
  • इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य, विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं। इसकी वजह है कि इस
  • दौरान किए गए कोई भी कार्य स्थायी नहीं होते हैं और न ही शुभ फल देते हैं।
  • जिस दिन आप किसी करीबी का श्राद्ध कर रहे हैं, उस दिन पान खाने और तेल लगाने की मनाही होती है।
  • पितृ पक्ष में शादी या उससे जुड़े कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
  • इस दौरान गरीबों, भिखारियों या किसी भी जीव-जंतु का अपमान नहीं करना चाहिए।
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