Wednesday, May 28, 2025
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सीएक्यूएम के खिलाफ एनजीटी कोर्ट जाने की तैयारी

  • महज आधा घंटा जनसेट चलने से कितना पोल्यूशन होता है, आईआईए ने उठाया बड़ा सवाल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एनसीआर में लागू सीएक्यूएम के एक अक्टूबर से जनरेटर बंद करने या उन्हें निर्धारित मानक के अनुसार लगाने के आदेश को आईआईए ने एनजीटी कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर ली है। एसोसिएशन की ओर से एक बड़ा सवाल यह उठाया गया है कि महज आधा घंटा जनरेटर चलने से कितना प्रदूषण फैल सकता है।

आईआईए मेरठ चैप्टर के चेयरमैन तनुज गुप्ता ने बताया कि एसोसिएशन की ओर से वकील हायर किया गया है। जिसके माध्यम से एनजीटी कोर्ट में रिट दायर करने की तैयारी की जा रही है। इस रिट में मुख्य रूप से सीएक्यूएम, सीपीसीबी, यूपीपीसीबी से यह बताने को कहा जाएगा कि जनरेटर के 30 मिनट चलने पर प्रदूषण में इसका कितना योगदान है। उनका कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र में 23 घंटे 30 मिनट प्रतिदिन बिजली आपूर्ति की जाती है।

शेष बचे 30 मिनट की अवधि में ही उद्योगों को चलाने के लिए जनरेटर चलाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में संगठन अधिकारियों से यही जानना चाहेगा कि क्या उन्होंने इस 30 मिनट की अवधि में होने वाले प्रदूषण को लेकर कोई सर्वेक्षण कराया है। अगर हां, तो बताया जाए कि इस अवधि में औद्योगिक क्षेत्र के जनरेटर कितना प्रदूषण फैलाते हैं। तनुज गुप्ता का कहना है कि एनसीआर के लिए बनाए गए सीएक्यूएम अधिकारियों ने बिना किसी सर्वे के जनरेटर बंद कराने या डीजल से संचालित जनरेटरों को बंद कराके इनको सीपीसीबी-4 प्लस तकनीकी युक्त जनरेटर में बदलने का काम कराया जाए।

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विभाग की ओर से कुछ उद्योगों पर सील भी लगाई गई है। जबकि संगठन की प्रमुख मांग यह भी है कि सीएक्यूएम 125 केवीए से कम क्षमता के जनरेटर को चलाने की अनुमति प्रदान करे। सीपीसीबी के अधिकारी जब भी किसी उद्यम का औचक निरीक्षण करें, तब किसी प्रकार का शोषण न हो। सीएक्यूएम की ओर से जो इकाइयां बन्द कराई जा रही हंै, उन्हें खुलवाते हुए ऐसी कार्रवाई पर रोक लगाई जाए।

सितंबर माह में इस समस्या के समाधान के लिए सांसद राजेन्द्र अग्रवाल और आयुक्त सेल्वा कुमारी जे. की मौजूदगी में एक बैठक का आयोजन भी किया जा चुका है। जिसमें अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की ओर से कहा गया है कि सीपीसीबी मेरठ क्षेत्र के वायु प्रदूषण प्रतिशत के संबंध में स्टडी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

जनसेट बदले तो पड़ेगा 250 करोड़ का भार

आईआईए चेयरमैन तनुज गुप्ता का कहना है कि मेरठ में छोटी-बड़ी करीब पांच हजार इकाइयां मौजूद हैं। जिनमें से करीब 800 यूनिट के स्वामी संगठन के सदस्य हैं। एक इकाई में जनरेटर बदलने की स्थिति में लगभग पांच लाख रुपये का खर्च आएगा। इस प्रकार सभी पांच हजार औद्योगिक इकाइयों में जनरेटर सेट बदलने में लगभग 250 रुपये खर्च हो जाएंगे। गौरतलब है कि एक्यूआई 300 पहुंच जाने के कारण एनसीआर में डीजल से चलने वाले जनरेटर बंद करने के लिए जारी आदेश लागू हो जाता है।

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