Sunday, April 13, 2025
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डिजिटल युग में शिक्षकों एवं छात्रों के लिए एक क्रांति का वादा: उमेश शर्मा

जनवाणी संवाददाता |

रुड़की: वर्चुअल लैब्स भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की (आईआईटी रूड़की) एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, उत्तराखंड ने आईसीटी के माध्यम से शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमईआईसीटी) के सहयोग से, उत्तराखंड में पॉलिटेक्निक संस्थानों के संकाय सदस्यों के लिए वर्चुअल लैब्स पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस पहल का उद्देश्य शिक्षकों को वर्चुअल लैब्स के लाभों से परिचित कराना था, जो विभिन्न वैज्ञानिक तथा इंजीनियरिंग अवधारणाओं को पढ़ाने के लिए सिमुलेशन-आधारित प्रयोग की प्रस्तुतीकरण करते हैं।

कार्यशाला में उत्तराखंड के पॉलिटेक्निक संस्थानों के संकाय सदस्यों के साथ-साथ प्रोफेसर उमेश शर्मा (आईआईटी रूड़की के कार्यवाहक निदेशक), आर पी गुप्ता (निदेशक, तकनीकी शिक्षा विभाग उत्तराखंड), देश राज (अतिरिक्त निदेशक, तकनीकी शिक्षा विभाग, उत्तराखंड), प्रोफेसर भावेश भालजा (विद्युत अभियांत्रिकी विभाग प्रमुख), एवं प्रोफेसर आरएस आनंद (आईआईटी रूड़की में वर्चुअल लैब्स के प्रमुख संस्थान समन्वयक) ने भी भाग लिया।

प्रोफेसर आरएस आनंद ने प्रतिभागियों का स्वागत किया व विज्ञान एवं इंजीनियरिंग शिक्षा को बढ़ाने में वर्चुअल लैब्स के महत्व पर जोर दिया। प्रोफेसर उमेश के शर्मा ने शिक्षकों के लिए क्षमता निर्माण एवं कौशल विकास में वर्चुअल लैब्स की भूमिका पर प्रकाश डाला, तथा उद्योग की उभरती मांगों को पूरा करने में उनके महत्व पर जोर दिया।

आरपी गुप्ता ने कार्यशाला आयोजित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के प्रति आभार व्यक्त किया व भौतिक प्रयोगशाला सुविधाओं एवं प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सिमुलेशन-आधारित प्रयोगशालाओं तक पहुँच प्रदान करने के परियोजना के लक्ष्य पर जोर दिया। देश राज ने वर्चुअल लैब्स की पहुँच एवं उपयोग में आसानी को ध्यान में रखते हुए इसके लाभों की भी सराहना की।

आईआईआईटी दिल्ली के निदेशक एवं वर्चुअल लैब्स प्रोजेक्ट के राष्ट्रीय समन्वयक प्रोफेसर रंजन बोस ने शैक्षिक सेटिंग्स में वर्चुअल लैब्स की परिवर्तनकारी क्षमता तथा चौबीसों घंटे उनकी पहुँच को रेखांकित किया। कार्यशाला में इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किए गए जहाँ वर्चुअल लैब्स आउटरीच टीम ने विभिन्न विषयों में विभिन्न प्रयोगों के बारे में बताया। उनका उद्देश्य संकाय सदस्यों को ऑनलाइन प्रयोगों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए ज्ञान एवं कौशल से लैस करना था।

विकास टीम ने छात्रों के लिए सिमुलेशन-आधारित प्रयोगशालाओं एवं प्रशिक्षण पद्धतियों के मॉडल पर चर्चा की। उन्होंने विकास बूटकैंप व इंटर्नशिप की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। कोडिंग टीम ने नवीन शिक्षण वातावरण पर जोर देते हुए वर्चुअल लैब्स में वेब पेजों के लिए फ्रंट-एंड और बैक-एंड कोडिंग में अंतर्दृष्टि प्रदान की।

कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर आरएस आनंद द्वारा पूरे भारत में इंजीनियरिंग एवं विज्ञान विषयों में प्रयोगशाला मानकों व व्यावहारिक प्रशिक्षण में सुधार के लिए वर्चुअल लैब्स परियोजना के मिशन पर जोर देने के साथ हुआ, जो डिजिटल युग में शिक्षकों एवं छात्रों के लिए आभासी प्रयोगशालाओं में एक क्रांति का वादा करता है।

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