आयुर्वेद के बारे में कहा जाता है, ‘आयुर्वेदयति बोधयति इति आयुर्वेद:’। अर्थात जो शास्त्र आयु का बोध कराता हो उसे आयुर्वेद कहा जाता है। यह भारतीय चिकित्सा प्रणाली विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। जिसका संबंध मानव शरीर को निरोगी रखने, रोगों का शमन करने और मानव जीवन को दीघार्यु बनाने से है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार आयुर्वेद को देवताओं की चिकित्सा पद्धति के रूप में शुमार किया जाता है। धन्वंतरि को आयुर्वेद का प्रवर्तक माना जाता है।
आयुर्वेद चिकित्सा को आठ शाखाओं में बांटा जाता है, जिसे अष्टांग वैद्यक भी कहते हैं-
कायाचिकित्सा: जेनरल फिजिशियन के प्रोफेशन से संबंधित।
कौमार: भृत्य-पेडीट्रिक्स (शिशु रोग विज्ञान) और आब्सटेट्रिक्स (प्रसूति विज्ञान) से जुड़ा हुआ है।
शल्यतंत्र: सर्जिकल साइंस।
शालक्यतंत्र : कान, आंख, नाक और मुंह के प्रॉब्लम्स से रिलेटेड ट्रीटमेंट का साइंस।
भूतविद्या: आत्माओं का शमन करने से संबंधित साइंस (साइकोथेरेपी)।
अगदतंत्र/विशागारा: विरोधी तंत्र (टैक्सीकोलॉजी)
रसायनतंत्र: आयु, बुद्धि और बल को पोषित करने से संबंधित।
वाजीकरण तंत्र: अफ्रोडिजिएक (सेक्सुअल एनर्जी और प्लेजर बढ़ाने से रिलेटेड)
इसके अतिरिक्त आयुर्वेद में पंचकर्म के नाम से दुनिया की सर्वोत्तम परिष्करण (रिफाइनिंग) प्रोटोकॉल है, जिसमें पांच थेरेपी के द्वारा शरीर के सभी हानिकारक दोषों को दूर करके आरोग्य और दीघार्यु प्रदान किया जाता है
आयुर्वेद में करियर की शुरूआत कैसे करें
आयुर्वेद में करियर के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए आगाज किसी मान्यताप्राप्त बोर्ड या यूनिवर्सिटी से फिजिक्स, केमिस्ट्री, और बायोलॉजी के साथ बारहवीं परीक्षा पास करने के बाद हो जाता है। आयुर्वेद में मेडिकल करियर शुरू करने के लिए बीएएमएस की डिग्री प्राप्त करना अनिवार्य होता है।
बीएएमएस (बैचलर आॅफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) कोर्स
आयुर्वेद में करियर की शुरुआत आयुर्वेद में बीएएमएस, एमएस और एमडी की डिग्री के साथ कर सकते हैं। आयुर्वेद डॉक्टर के बनने के लिए एमबीबीएस के तौर पर ही कैंडिडेट को बीएएमएस (बैचलर आॅफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) की डिग्री हासिल करनी होती है।
इस अंडरग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए नेशनल लेवल के एंट्रेंस एग्जामिनेशन जिसे नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) कहा जाता है क्वालीफाई करना होता है। इसके फलस्वरूप आयुर्वेदिक कॉलेज में बैचलर लेवल के कोर्स बीएएमएस (बैचलर आॅफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) में एडमिशन होता है। यह कोर्स साढ़े पांच वर्ष का होता है जिसमें एक वर्ष का इंटर्नशिप भी शामिल होता है।
बीएएमएस की डिग्री के बाद कैंडिडेट को क्वालिफाइड आयुर्वेद डॉक्टर की मान्यता मिल जाती है और वे आॅलटर्नेटिव मेडिसिन में प्रैक्टिस की शुरुआत कर सकते हैं। बीएएमएस में ग्रेजुएशन के बाद आयुर्वेद में एमडी या एमएस की डिग्री भी प्राप्त की जा सकती है जो तीन वर्ष की अवधि का होता है।
इसके अतिरिक्त सर्टिफिकेट इन आयुर्वेद पंचकर्म, डिप्लोमा इन आयुर्वेद मेडिसिन, डिप्लोमा इन आयुर्वेदिक मसाज, डिप्लोमा इन आयुर्वेदिक पंचकर्म इत्यादि कुछ अन्य कोर्स हैं जिसके करने के बाद भी आयुर्वेद डॉक्टर के रूप में करियर की शुरूआत की जा सकती है।
रोजगार कहां है
आॅलटर्नेटिव थेरेपी के रूप में आयुर्वेद का तेजी से विकास हो रहा है। सरकारी और प्राइवेट आयुर्वेदिक हॉस्पिटल्स में डॉक्टर्स के रूप में कार्य करने के साथ एम्प्लॉयमेंट के अन्य बहुत सारे अवेन्यू हैं।
आयुर्वेदिक हेल्थ एक्सपर्ट: आयुर्वेद में बीएएमएस, एमएस और एमडी की डिग्रियों के साथ अभ्यर्थी हेल्थ काउंसलर और मेडिकल प्रैक्टिशनर के रूप में अपने करियर का निर्माण कर सकते हैं। सरकारी और निजी संस्थानों में आयुर्वेदिक हेल्थ एक्सपर्ट्स का फुल-टाइम और पार्ट-टाइम बेसिस पर अपॉइंटमेंट किया जाता है।
रोगों के शमन के लिए आयुर्वेद: आयुर्वेद रोगों के शमन में काफी अहम भूमिका निभाता है। आयुर्वेद के विभिन्न विधाओं में डिग्री प्राप्त किए हुए प्रोफेशनल्स के लिए योग शिक्षक, मसाज थेरेपिस्ट, थेरेपिस्ट, अक्युपंक्चरिस्ट, हेर्बल डॉक्टर के रूप में अपार संभावनाएं मौजूद हैं। आयुर्वेद के हीलिंग एक्सपर्ट्स के रूप में आयुर्वेद के क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स की मांग देश और विदेश में बड़ी तेजी से बढ़ रही है।
सेल्फ- एम्प्लॉयमेंट: सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट के अंतर्गत एक आयुर्वेदिक प्रोफेशनल और बीएएमएस डिग्री होल्डर खुद का एक आयुर्वेद वैलनेस क्लिनिक स्थापित कर सकता है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आयुर्वेद के प्रसार से यह करियर भी लाभकारी है।
उद्यमी के रूप में करियर: एक आॅलटर्नेटिव थेरेपी के रूप में लोगों में बढ़ती क्रेडिबिलिटी के कारण आयुर्वेद के डोमेन में एंट्रेप्रेन्योर बनने की अपार संभावनाएं हैं। आयुर्वेद के प्रोफेशनल डिग्री होल्डर्स उद्यमी के रूप में आयुर्वेदिक फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्री में स्टार्ट-अप बिजनेस या फ्रेंचाइजी के रूप में करियर और रोजगार का प्रारंभ कर सकते हैं।
आयुर्वेदिक काउंसलर: आयुर्वेद प्रोफेशनल काउंसलर के रूप में भी करियर की शुरुआत कर सकते हैं। आयुर्वेद के ये काउंसलर आयुर्वेद के गाइडलाइन्स के मुताबिक विभिन्न रोगों के रोकथाम के लिए अपने क्लाइंट्स को स्पेशल डाइट्स और लाइफ स्टाइल्स में अनिवार्य परिवर्तन के बारे में सलाह देते हैं।
प्रोडक्ट्स लॉन्चिंग में करियर: आयुर्वेद के विभिन्न कोर्स से प्राप्त ज्ञान के आधार पर मानसिक और शारीरिक व्याधियों के रोकथाम के लिए आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स के अपने ब्रांड लांच किए जा सकते हैं। इस प्रकार के प्रोडक्ट्स लॉन्चिंग आयुर्वेद प्रोफेशनल्स के लिए एक लुक्रेटिव करियर आॅप्शन के साथ-साथ एम्प्लॉयमेंट के अवसरों का अच्छा अवेन्यू साबित हो सकता है।
रिसर्च के डोमेन में करियर: रिसर्च के क्षेत्र में इच्छुक कैंडिडेट्स एमडी और पीएचडी कोर्स के माध्यम से रिसर्च का कार्य कर सकते हैं। वैसे रिसर्च में इंटरेस्टेड एस्पिरैंट क्लीनिकल रिसर्च में पीजी डिप्लोमा या एम.एससी भी कर सकते हैं। इन सभी कोर्स की अवधि छह महीने से लेकर दो वर्ष की होती है। रिसर्च के इन कोर्स को करने के बाद फार्मास्युटिकल्स रिसर्च यूनिट्स में क्लीनिकल रिसर्च एसोसिएट के रूप में अपने करियर का आगाज कर सकते हैं।
आयुर्वेद की स्टडी के लिए प्रमुख संस्थान
- श्री धन्वंतरि आयुर्वेदिक कॉलेज, चंडीगढ़।
- राजीव गांधी यूनिवर्सिटी आॅफ हेल्थ साइंसेज, बैंगलोर।
- जेबी रॉय स्टेट मेडिकल कॉलेज, कोलकाता।
- आयुर्वेदिक कॉलेज आॅफ लखनऊ।
- ऋषिकुल गवर्नमेंट पीजी आयुर्वेदिक कॉलेज एंड हॉस्पिटल, हरिद्वार।
- दयानंद आयुर्वेदिक कॉलेज, जालंधर।
- अष्टांग आयुर्वेदिक कॉलेज, इंदौर।