Monday, July 1, 2024
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शरीर को प्रदूषण से बचाएं

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अंबिका


जिस तरह हम अपने घर को सुरक्षित रखने के लिए उसे बाहर की धूल, मिट्टी व गंदगी से बचाने के लिए कई उपाय करते हैं, उसी प्रकार हमें अपने शरीर की सुरक्षा के लिए भी कई उपाय करने पड़ते हैं। हमारे शरीर के अंदर ही उसकी हर प्रकार से सुरक्षा करने के लिए कई सुरक्षा तत्व मौजूद हैं जैसे श्वेत रक्त कण, जो हर बीमारी से लड़ाई करने में मदद करते हैं। यह हमें सब तरह के बैक्टीरिया और विषैले पदार्थों और वाइरस इत्यादि से बचाते हैं लेकिन आज का अति प्रदूषित माहौल और हवा, पानी हमारी इस रोग प्रतिरोधी शक्ति को खराब कर देता है।

इससे धीरे-धीरे आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर पड़ जाती है और आपमें बीमारियों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि आप इस कमजोरी को कम करें और अपनी रोग प्रतिरोधी शक्ति को फिर से तन्दुरूस्त करें।

आप यह आसानी से कर सकते हैं अगर आप सही ढंग से खाने पर ध्यान दें। आप जितना भी प्राकृतिक आहार खाएंगे, उतनी ही आपकी सेहत ठीक होगी। खास तौर पर गर्मियों में ताजे फल, जूस व सब्जियों के सलाद आपके खून को बढ़ाते हैं और एक प्रकार से आपके शरीर को अंदर से धो देते हैं, क्योंकि इनसे आपके अंदर विषैले पदार्थ कम हो जाते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आपको रोजाना पांच प्रकार के फल व कच्ची सब्जियों का आहार लेना चाहिए, जो पौष्टिक तत्व कच्चे फल व सब्जियों में हैं, वे पके हुए खाने में नहीं हैं। जब हम पौष्टिक आहार की बात करते हैं तो यह भी जानना जरूरी है कि किस उम्र के हिसाब से कितना आहार जरूरी है।

बढ़ते बच्चे

बढ़ते बच्चों को अधिक कैलोरी चाहिए और उन्हें सही मात्रा में विटामिन, मिनॅरल्स, प्रोटीन इत्यादि चाहिए। इन बच्चों को अधिक कैल्शियम चाहिए जो दूध, दही इत्यादि में हैं। इस उम्र में यदि आप कैल्शियम, मिनॅरल तथा प्रोटीन सही मात्र में लें तो अवश्य आपकी सेहत की नींव मजबूत होगी।

किशोर अवस्था

इस उम्र में आपके शरीर से काफी जरूरी तत्व नष्ट हो जाते हैं, खास तौर पर मिनरल्स जैसे लोहा, कैल्शियम और पोटेशियम। यह सब काफी मात्र में मासिक के समय नष्ट हो जाते हैं, इसीलिए लड़कियों को इस उम्र में अधिक दूध, दही, मछली व फल जिनमें लोहा हो जैसे सेब, केला और आलूबुखारा इत्यादि खाना चाहिये।

गर्भावस्था

गर्भावस्था में भी हर स्त्री को लौह तत्वों की जरूरत पड़ती है। इस समय खास ध्यान रखा जाए कि कैल्शियम तथा लौहतत्वों की कमी न हो क्योंकि ये पैदा होने वाले बच्चे के लिए भी जरूरी हैं। इसके अलावा आपको अधिक विटॉमिन युक्त आहार जरूर लेना चाहिए। इस समय पालक, मछली, दूध, हर प्रकार के फल व हरी सब्जियों की जरूरत बढ़ जाती है। एक गर्भवती स्त्री को इस समय ब्रेड, मैदायुक्त आहार, ज्यादा मीठा इत्यादि कम कर देना चाहिए और फल व सब्जियों पर ज्यादा जोर देना चाहिए।

 बुढ़ापा

यह बात सच है कि बुढ़ापे में आप कम खाना खाते हैं लेकिन यह ध्यान में रखें कि इस उम्र में कैल्शियम व मिनॅरल अचानक कम हो जाते हैं। रक्तचाप रोकने के लिए भी आपको ज्यादा ध्यान देना चाहिए। विटॉमिन सी जो बहुत फायदेमंद है, जरूर लें। यह आपको कई तरह के फलों से मिल सकता है।

ज्यादा घी व तेलयुक्त खाना न लें। अंडे की सफेदी भी लें और हल्का उबला हुआ खाना लें। मिनॅरल्स की कमी को दूर करने के लिए उबली हुई मछली बहुत लाभदायक होती है। जो भी कमी आपके शरीर में है, उसे दूर करने के लिए आपको पता लगाकर उसे फल व सब्जियों से ही पूरा करना चाहिए।

आइए हम आपको कुछ आहार बताते हैं और यह भी बताते हैं कि किस आहार में क्या पाया जाता है। इससे आपको सही आहार चुनने में सुविधा होगी।

कैल्शियम: यह दूध, मछली, गुड़ व कई तरह से सलाद के पत्तों में पाया जाता है।

लौह तत्व: अंडे के पीले वाले भाग में, गुड़, आलबुखारा केला, पालक व कलेजी में पाया जाता है।

मैग्नीशियम: हरे सलाद के पत्तों, हरी सब्जियों, दाल में बीन्स, मूंगफली काजू इत्यादि में।

पोटेशियम: सूखे मेवे, खजूर खुबानी, गुड़, किशमिश इत्यादि में पाया जाता है।

सोडियम: यह अंडे, पालक, ब्रेड, बीन्स तथा नमक में पाया जाता है।


फीचर डेस्क Dainik Janwani

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