जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: पृथ्वी की उत्पति एवं विकास के साथ-साथ विभिन्न प्रकार जीवों की भी उत्पति हुई है। जिसके चलते केंचुए पूरी धरती पर समान रूप से पाए जाते हैं। बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रधान वैज्ञानिक डा. रितेश शर्मा ने बताया कि केंचुए जमीनी धरातल या जमीन के नीचे रहते हैं।
दोनों ही प्रकार से रहने के दौरान केंचुओं द्वारा कचरा एवं मिट्टी को खाकर उसके अवशिष्ट पदार्थ को खाद के रूप में पेड़-पौधों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था प्रकृति ने शायद मानव की बढ़ती हुई जरूरतों को ध्यान में रखकर की थी। लाखों करोड़ों वर्षों से पृथ्वी पर पेड़ पौधों के लिए उचित मात्रा में पोषक तत्त्व उपलब्ध कराने में इन केंचुओं की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। केंचुओं की करीब 4200 से अधिक प्रजातियां पूरे विश्व में अब तक पाई गयी है, करीब 50 वर्ष पहले तक जब रासायनिक खाद का विकास नहीं हुआ था।
वर्मी कंपोस्ट उत्पादन विधिवर्मी कंपोस्ट के लाभ
खाद बनाने के लिए तीन फीट लंबा तीन फीट चौड़ा तथा 2.5 फीट ऊंचा पिट तैयार करते हैं, जिसमें दो फीट ऊंचाई तक 10-15 दिन पुराना गोबर भरते हैं तथा लगभग 150 केंचुए छोड़ देते हैं। गोबर के ऊपर 5-10 सेमी पुआल/सूखी पत्तियां डाल दें। इस इकाई में बराबर 20-25 दिन तक पानी का छिड़काव करें।
इसमें 40 प्रतिशत नमी को बनाए रखने की आवश्यकता होती है। 40-45 दिन बाद वर्मी कंपोस्ट बन जाए तो दो से तीन दिन तक पानी का छिड़काव बंद कर दें। पिट को सीधे तेज धूप, बरसात व बर्फ से बचाने लिए छप्पर से ढक सकते हैं। जब खाद पकी हुई चाय की पत्ती की तरह दिखे तो खाद तैयार समझें।
पिट से खाद निकालना प्रयोग की मात्रा
तैयार खाद को पिट से एक तरफ एकत्र कर दें तथा दूसरी ओर फिर से नया गोबर भर दें। ऐसा करने से तैयार कंपोस्ट के सभी के केंचुए नए गोबर में चले जाएंगे। खाद को पिट से निकालकर छाया में ढेर लगा दें और हल्का सूखने के बाद छन्नी से छान लें। छनी हुई खाद को बोरी में भर कर रख लें। इस तैयार खाद में 20-25 प्रतिशत नमी होनी चाहिए। खाद को ऐसी जगह स्टोर करें जहां सूख न सकें।
फलदार पेड़ों में आवश्यकतानुसार करें प्रयोग
फलदार पेड़ों में आवश्यकतानुसार एक-10 किलो प्रति पेड़ वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करें। सब्जी की फसलों में छह-आठ कुंतल प्रति बीघा प्रयोग करें। कचिन गार्डन तथा गमलों के लिए 100 ग्राम प्रति गमला प्रयोग करें। खाद्यान्न फसलों में तीन-चार कुंतल प्रति बीघा प्रयोग करें।
केंचुआ पालन व वर्मी कम्पोस्टिंग फसल काटने के बाद खाली खेतों की मेढ़ों को आठ-10 इंच ऊंचा करके खेत में सड़न व गलनशील कार्बनिक व्यर्थ पदार्थों में फैला देते हैं। तत्पश्चात उसमें थोड़ी गोबर की खाद मिलकर पानी लगा देते हैं। स्वयं की क्रियाशीलता द्वारा 3-4 माह में उनकी संख्या काफी बढ़ जाती है।
यदि केंचुए अन्य उपयोग के लिए नहीं चाहिए, तो खेतों में छोड़ दिये जाते हैं। अन्यथा हेड पीकिंग द्वारा पकड़कर अन्य उपयोगों में लाये जाते हैं। यह विधि अमेरिका में प्रचलित है, जहां किसानों के पास कृषि भूमि अधिक है तथा अगला फसल चक्र आने पर खेतों को जोत कर खेती के लिए उपयोग करते हैं।