- स्कूल जाते वक्त कोई हादसा हुआ तो ढंूढते रहे जाओगे गाड़ी मालिक क
- स्कूली बच्चों को लाने ले जाने वाली गाड़ियों का ना इंश्योरेंस और ना ही आरसी, नंबर प्लेट भी फर्जी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बच्चों को घर से स्कूल लाने ले जाने वाली फर्जी कागजों वाली वैन व दूसरी गाड़ियों पर आरटीओ आफिस की पीटीओ प्रीति पांडे मेहरबान हैं, जिसके चलते खतरे में इन मासूमों बच्चों की जान है। इन गाड़ियों से स्कूली बच्चों को लाना ले जाना खतरे से खाली नहीं, यह जानते हुए भी महज से दो से पांच हजार के लालच में पीटीओ ने इनके चालकों को मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ का टोकन के नाम पर परमिट थमा दिया है।
जो गाड़ियां बच्चों को स्कूल लाने ले जाने में प्रयुक्त की जा रही हैं उनकी फिटनेस कैसी है यह जानने की जिम्मेदारी पीटीओ की है। ऐसी गाड़ियों को सीज करने के बजाए चंद सिक्कों के लालच में दो व पांच हजार वाला टोकन थमाकर आरटीओ आफिस की किसी भी कार्रवाई से प्रवर्तन दल की पीटीओ ने भयमुक्त कर दिया है।
इससे प्रथम दृष्टया यह साफ हो गया कि मासूमों की सुरक्षा को लेकर सूबे के सीएम योगी की चिंता से पीटीओ सरीखे अफसरों को कोई सरोकार नहीं रह गया है। पीएम मोदी और सीएम योगी दोनों की रोड सेफ्टी को लेकर चिंता किसी से छिपी नहीं है। प्रदेश भर के अफसरों से खासतौर से जो रोड सेफ्टी से जुडेÞ उन अफसरों के साथ नियमित रूप से होने वाली अपनी मीटिंगों में सीएम योगी बार-बार अफसरों को रोड सेफ्टी जिनमें स्कूली बच्चों की सुुरक्षा उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है,
को लेकर निर्देशित करते हैं व चेतावानी भी देते हैं, लेकिन जब जनवाणी की टीम मंगलवार को जमीनी हकीकत से रूबरू होने पहुंची तो पहली ही नजर में यह पुरी तरह से साफ हो गया कि आरटीओ प्रवर्तन दल के पीटीओ सरीखे अधिकारियों को ना तो रोड सेफ्टी व स्कूली बच्चों की सुरक्षा से कोई सरोकार रह गया है और ना ही उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त मिजाज माने जाने वाले सीएम योगी की किसी कार्रवाई का डर बाकी रह गया है।
जो हालात नजर आए उससे यही लगा कि सीएम योगी व प्रदेश के मुख्य सचिव सड़क सुरक्षा को लेकर जो कुछ कह रहे हैं या लगातार निर्देश दे रहे हैं उन निर्देशों से भी उनका कोई सरोकार नहीं है। उन्हें यदि सरोकार है तो प्रति गाड़ी दो से पांच हजार प्रतिमाह लेकर उन्हें एक माह तक योगी सरकार के द्वारा बनाए गए कायदे कानूनों के पैरों तले कुचलने की छूट देने भर से है।
छोटा लालच, लेकिन बड़ा खतरा
जिन बच्चों पर माता पिता जान छिड़कते हैं आरटीओ आॅफिस के प्रवर्तन दल के कुछ पीटीओ सरीखे अफसरों का चंद सिक्कों का लालच उनकी जान जोखिम में डाल रहा है। इससे हो यह रहा है कि इस प्रकार की आउट डेडेट यह कहें पेपरों में पूरी तरह से खत्म हो चुकी गाड़ियों से बच्चों को स्कूल लाने ले जाने वालों पर कोई अंकुश नहीं रह गया है।
दरअसल जो होना चाहिए वो ना होकर वो हो रहा है जो नहीं होना चाहिए। ऐसी आउट डेडेट गाड़ियों पर चाबुक चालने के बजाए महज छोटा सा दो से पांच हजार माह का भ्रष्टाचार कर ऐसी गाड़ियों को खुले में छोड़ दिया है। एक छोटे से लालच से बच्चों को बडेÞ खतरे में आरटीओ प्रवर्तन दल का स्टॉफ अपनी डयूटी के बजाए दो से पांच हजार प्रति माह पकड़ कर बडेÞ खतरे में डाल रहा है।
ग्राउंड जीरो पर हाल
अपने सामाजिक सरोकारों के प्रति सजग जनवाणी की टीम ने कैंट स्थित सोफिया स्कूल ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर स्कूली बच्चों की जान जोखिम में डालने पर उतारू आरटीओ के प्रवर्तन दल के कुछ अफसरों की कारगुजारियों की तह तक पहुंचने का प्रयास किया। जो कुछ भी जनवाणी की टीम ने देखा वो महज दो घंटे की एक्सरसाइज भर थी।