- अभी आधे लोगों के बयान भी नहीं हो पाए
- जांच में शामिल कई अधिकारी हो चुके हैं रिटायर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एक तरफ हस्तिनापुर में गंगा नदी पर बने भीमकुंड पुल का एक हिस्सा हवा में लटका हैवहीं दूसरी तरफ इस पुल को लेकर विजिलेंस जांच भी अभी तक अधर में लटकी हुई है। इन सबके चलते शासन की प्राथमिकता वाला यह मामला फिलहल ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है।
इस पूरे मामले में पीडब्ल्यूडी के अधिकारी भी अपना मुंह खोलन को कतई तैयार नहीं हैं। अधिकतर अधिकारी वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। इतना जरूर है कि जिस दिन यह मामला अखबार की सुर्खियां बनता है उस दिन जरूर विभागीय अधिकारियों में हलचल पैदा हो जाती है।
दरअसल, इस मामले में जांच पिछले साल ही मेरठ विजिलेंस को सौंपी गई थी। समय-समय पर इस प्रकरण से जुड़े कई अभियंताओं व कर्मचारियों के बयान भी विजिलेंस में दर्ज हुए, लेकिन चूंकि यह मामला 2008 से जुड़ा है लिहाजा इस मामले में पूछताछ वाले अधिकारियों व अभियंताओं की लिस्ट भी काफी लम्बी है।
सूत्रों के अनुसार इनमें से कई अभियंताओं के बयान तो दर्ज कर लिए गए हैं, लेकिन अभी कई अधिकारियों से पूछताछ होना बाकी है, क्योंकि लम्बा 2008 से लेकर अब तक कई अधिकारी रिटायर भी हो चुके हैं। इन अधिकारियों को ट्रेस कर इनके लिए विजिलेंस में पूछताछ संबधी लैटर भी जारी हो रहे हैं।
विजिलेंस दफ्तर से जुड़े सूत्रों के अनुसार क्योंकि जांच-पड़ताल करने वाले नामों की लिस्ट लम्बी है इसलिए अभी तो बयान पूरे होने में ही वक्फ लगेगा। इस पूरे मामले में जब वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने इस संबध में कोई भी जानकारी देने से यह कहते हुए साफ इंकार कर दिया कि यह गोपनीय जांच है, खुली जांच है और बड़ी जांच है और जांच पूरी होने के बाद इसकी रिपोर्ट मुख्यालय द्वारा शासन को ही सीधे प्रेक्षित की जाएगी।
विभागीय सूत्र इस ओर जरुर इशारा करते हैं कि भले ही इस मामले में कई बयान अब तक हो चुके हैं, लेकिन अभी भी काफी हद तक बचे हुए अधिकारियों के बयान होने बाकी हैं। जिस प्रकार से इस मामले में धीमी गति से जांच चल रही है उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि भीमकुंड प्रकरण की जांच में लम्बा खिंचता समय कहीं न कहीं दोषी विभागीय अफसरों अथवा अभियंताओं की रिहाई के रास्ते प्रशस्त करेगा।
चार्जशीट की आहट से भूचाल
इस प्रकरण से जुड़े अभियंताओं के खिलाफ चार्जशीट तैयार होने भर की अफवाह से संबंधित अभियंताओं के माथे पर बल पड़ गए। दरअसल, लोक निर्माण विभाग में इस बात को लेकर एकाएक चर्चा शुरु हो गई कि प्रकरण से जुड़े कुल 80 लोगों के खिलाफ चार्जशीट की तैयारी चल रही है। हालांकि जब इस संबध में विजिलेंस के वरिष्ठ विभागीय सूत्रों से जानकारी ली गई तो उन्होंने साफ कहा कि अभी फिलहाल तो जांच ही पूरी नहीं हुई है। जब जांच पूरी हो जाएगी उसके बाद ही एफआईआर संबंधी कोई फैसला होगा।