Tuesday, May 6, 2025
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कारी शफीकुर्रहमान चुने गए शहरकाजी

  • विवाद बढ़ा, कारी शफीक बोले-चंद लोग नहीं चुन सकते शहरकाजी
  • शहरकाजी के लिए मदरसे में पढ़ना जरूरी नहीं: डॉ. बशीर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहरकाजी जैनुस साजिदीन के इंतकाल के दिन ही उनके बेटे प्रो. सालेकिन को लोगों द्वारा शहरकाजी चुन लेने को लेकर विवाद खड़ा हो गया। आलिम कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने प्रो. सालेकिन को शहरकाजी चुने जाने का विरोध किया और एक वीडियो जारी करके उन्हें न तो कारी होने, न ही हाफिज होने की बात कही थी। इसका एक वीडियो जारी किया था, जो दिनभर सोशल मीडिया पर वायरल होता रहा।

उधर, प्रो. सालेकिन की बैक पर जामिया हमदर्द के पूर्व वाइस चांसलर डा. बशीर अहमद ने सोशल मीडिया पर एक संदेश जारी कर कहा कि शहरकाजी बनने के लिए आलिम होने या मदरसे से फारिंग होने की जरूरत नहीं। देर रात एल-ब्लॉक तिराहा, शास्त्रीनगर स्थित फेसम पैलेस में हुई कुछ मुस्लिमों की बैठक में कारी शफीकुर्रहमान कासमी को शहरकाजी चुन लिया और उन्हें पगड़ी बांधी।

दरअसल, शहरकाजी प्रो. जैनुस साजिदीन का सोमवार सुबह इंतकाल हो गया था। देर रात उनके जनाजे को चिश्ती पहलवान के कब्रिस्तान में दफीना किया गया था। उनके जनाजे में जनसैलाब उमड़ा था। सोमवार की देर रात लोगों ने प्रो. जैनुस साजिदीन के पुत्र प्रो. सालेकिन सिद्दीकी के सिर पर शहरकाजी की पगड़ी बांधकर उन्हें शहरकाजी घोषित कर दिया था। प्रो. सोलेकिन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, दारुल उलूम देवबंद से फाजिल हैं। उनके शहरकाजी बनने की घोषणा होने के चंद मिनटों बाद ही कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने इस घोषणा का विरोध करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया था

और प्रो. सालेकिन को न कारी होने व न हाफिज होने और न ही दीन की मालूमात होने की बात कहते हुए उन्हें शहरकाजी मानने से इंकार कर दिया था। इसके साथ ही शहरकाजी को लेकर विवाद खड़ा हो गया। रात करीब साढ़े दस बजे तराबीह की नमाज के शास्त्रीनगर एल ब्लॉक तिराहा स्थित फेमस पैलेस में हुई कुछ मस्लिमों की बैठक में कारी शफीकुर्रहमान कासमी को शहरकाजी चुन लिया गया और उन्हें पगड़ी बांधी गई।

एक शहर में दो शहरकाजी

अब मेरठ शहर में दो शहरकाजी हो गए। यह सोचकर मुसलमान परेशान हैं। उनके सामने समस्या खड़ी हो गई कि वे किसे शहरकाजी मानें। इसके साथ ही सवाल उठ रहा है कि शहर की शाही जामा मस्जिद में जुमे की नमाज कौन पढ़ाएगा और ईद के मौके पर शहर की शाही ईदगाह में कौन नमाज पढ़ाएगा? प्रशासन के सामने भी यह चुनौती खड़ी हो गई कि आखिरकार कौन शहरकाजी है।

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